M:- रात गवाई सोये कर दिवस गवायो खाये -२
हीरा जन्म अनमोल था कौड़ी बदले जाए कबीरा कोड़ी बदले जाए
बंदे तू कर बंदगी तो पावे दीदार -२
ओसर मानूस जन्म का बहुरि ना बारम्बार कबीरा बहुरि ना बारम्बार
जैसा भोजन खाइये तैसा ही मन होये -२
जैसा पानी पीजिये तैसी वाणी होये कबीरा तैसी वाणी होये
हाड जले लकड़ी जले जले जलवान हार -२
कौतिक हरा भी जले का सो करू पुकार कबीरा का सो करू पुकार
मन के हारे हार है मन के जीते जीत -२
कहे कबीर हर पाइये मन ही की प्रतीत कबीरा मन ही परतीत
जाति ना पूछो साधु की पूछ लीजिये ज्ञान -२
मोल करो तलवार को पड़ा रहना दो म्यान कबीरा पड़ा रहने दो म्यान
साधु भूखा भाव का धन भूखा नाही -२
धन भूखा जो फिरे सो तो साधु नाही कबीरा सो तो साधु नाही
हीरा परखे जोहरी शब्द ही परखे साध -२
कबीर के परखे साग को ताका माता अगाध कबीरा ताका माता अगाध
एक ही बार परखिये ना वा बारम्बार -२
बालू हो तो किरकिरी जो छाने सौ बार कबीरा जो छाने सौ बार
धर्म किये धन ना घटे नदी घटे ना नीर -२
अपने आँखों देख ले यो कथिहि कही कबीर कबीरा कथिहि कही कबी
या दुनिया दो रोज की मत कर या सो हेत -२
गुरु चरनन चित लाइए जो पुराण सुख देत कबीरा जो पुराण सुख देत
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