कब तक रहेगा रूठा बाबा कब तू बोलेगा
मंदिर के पट सांवरिया तू कब खोलेगा
तेरे होते हमे फिकर क्या
बीमारी महामारी से
द्वापर से कलयुग तक कापे
तीन बाण के धारी से
मन में है विशवास हमारे
वो विशवास न डोलेगा
हर फागुन में आते है हम
होली यहाँ खेलने को
तेरी कृपा की बरसाते
बाबा यहाँ देखने को
जैसे पहले खेला संग में
वैसे अब कब खेलेगा
तुझे पता है सब कुछ बाबा
तू सब कुछ ही जानता है
अपने भक्तो की जिद को
बाबा तू पहचानता है
हम भक्तो के मन की भावना
बाबा कब तक तोलेगा
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