जग ये मुझे क्या लुभाए,
भला क्या भटकाए,
जब खाटू वाला राह दिखाए,
मेरा सर्वेश्वर मेरा श्याम,
मेरा परमेश्वर मेरा श्याम।।
तर्ज – पग पग दीप जलाएं।
होता ना मैं कभी कमजोर,
श्याम ने थामी जिन्दगी की डोर,
मुश्किलों का भी अब,
चले ना कोई जोर,
कदम नहीं डगमगाए,
ये बढ़ते ही जाए,
जब खाटू वाला राह दिखाए,
मेरा सर्वेंश्वर मेरा श्याम,
मेरा परमेश्वर मेरा श्याम।।
माया में फसुंगा क्यों भला,
मायापति से है मेरा नाता,
दर ये सांवरे का,
हर खुशियों का पता,
फिर क्यों कोई कही जाए,
यहीं बस जाए,
वो हरदम रटता जाए,
मेरा सर्वेंश्वर मेरा श्याम,
मेरा परमेश्वर मेरा श्याम।।
गुरु आलूसिंह जी भक्त है महान,
उनके आदर्शो पे चलते है ‘श्याम’,
‘गोलू’ तू रटेजा,
बस श्याम का ही नाम,
श्याम श्याम जो भी गुनगुनाए,
कृपा हो जाए,
तो क्यों तू भी रटन लगाए,
मेरा सर्वेंश्वर मेरा श्याम,
मेरा परमेश्वर मेरा श्याम।।
जग ये मुझे क्या लुभाए,
भला क्या भटकाए,
जब खाटू वाला राह दिखाए,
मेरा सर्वेश्वर मेरा श्याम,
मेरा परमेश्वर मेरा श्याम।।
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