जो स्वर्ग देखना चाहते है,
वो कम्पिल जी आ जाते है,
जिन प्रभु की नगरी कम्पिल जी,
जिन प्रभु यहाँ मिल जाते है,
यहाँ प्रभु विराजे कण कण में वो कष्ट निवारे इक शन में,
वो वसे यहाँ रोम रोम वो शिखर में है जड़ में है,
जो मन में उनका ज्ञान धरे जिनप्रभु उन्हें मिल जाते है,
जिन प्रभु की नगरी कम्पिल जी,
जिन प्रभु यहाँ मिल जाते है,
जिन प्रभु का सच्चा दर है ये,
प्रभु विमल नाथ का दर है ये,
जग पूज रहा जिन मंत्रो से संगीत का ऐसा स्वर है ये,
जिन प्रभु की नगरी कम्पिल जी,
जिन प्रभु यहाँ मिल जाते है,
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