M:- मनुष्य का जब जन्म होता है तो मनुष्य शुरू से ही सोचता है की अच्छे कर्म
करूँगा अच्छे कर्म करूंगा लेकिन कर नहीं पाता है भगवान की पूजा पाठ
सब कुछ छोड़ देता है जवानी में और जब बुढ़ापा आता है जब उसे दुःख
मिलता है तो भगवान की पूजा पाठ करने की सोचता है लेकिन तब तक तो
समय खत्म हो जाता है -
M:- जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शम्मा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
M:- मनुष्य का जीवन जो है मनुष्य के अंदर एक आलस रहता है जब वो जवानी
की तरफ बढ़ता है इतने बुरे काम करता है भगवान की पूजा पाठ सच्चे कर्म
किसी में मन नहीं लगता है लेकिन जब बुढ़ापा आता है तो सोचता है मुझे अब
अच्छे कर्म करने चाहिए लेकिन तब तक सारा समय निकल जाता है |
M:- मन की मशीनरी ने कब चलना ठीक सीखा
कोरस:- मन की मशीनरी ने कब चलना ठीक सीखा
M:- मन की मशीनरी ने कब चलना ठीक सीखा
मन की मशीनरी ने कब चलना ठीक सीखा
जब इस बूढ़े तन के पुर्जे में जंग आया
जब इस बूढ़े तन के पुर्जे में जंग आया
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
M:- गाडी चली गयी तब घर से चला मुसाफिर
कोरस :- गाडी चली गयी तब घर से चला मुसाफिर
M:- गाडी चली गयी तब घर से चला मुसाफिर
गाडी चली गयी तब घर से चला मुसाफिर
मायूस हाथ मलता वापिस वो रंग आया
मायूस हाथ मलता वापिस वो रंग आया
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
M:- फुरसत के वक्त में फिर सुमिरन का वक्त आया
कोरस :- फुरसत के वक्त में फिर सुमिरन का वक्त आया
M:- फुरसत के वक्त में फिर सुमिरन का वक्त आया
फुरसत के वक्त में फिर सुमिरन का वक्त आया
उस वक्त वक्त माँगा जब वक्त तंग आया
उस वक्त वक्त माँगा जब वक्त तंग आया
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
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