Current Date: 22 Nov, 2024

जिंदगी सजने लगी

- अमित चांडक


तेरी चौखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी,
जिंदगी सजने लगी मेरी,
जिंदगी सजने लगी,
तेरी चौंखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी।।

तर्ज – सांवली सूरत पे मोहन।

जो भी तेरे दर पे आया,
कुछ ना कुछ ले के गया,
होले होले ही सही मेरी,
जिंदगी सजने लगी,
तेरी चौंखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी।।

ढूंढ आया सारे जग में,
देव तुमसा ना मिला,
तेरा दरवाजा खुला और,
जिंदगी सजने लगी,
तेरी चौंखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी।।

तू ही मूरत तू ही तीरथ,
तू ही सब कुछ है मेरा,
हाथ जो तुमने ये थामा,
जिंदगी सजने लगी,
तेरी चौंखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी।।

तेरी नजरे ओ बालाजी,
‘पंकज’ पे रखना सदा,
छोटी सी ख्वाहिश ‘अमित’ की,
जिंदगी सजने लगी,
तेरी चौंखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी।।

तेरी चौखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी,
जिंदगी सजने लगी मेरी,
जिंदगी सजने लगी,
तेरी चौंखट पे ओ बाबा,
जिंदगी सजने लगी।।

अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।