Current Date: 21 Dec, 2024

जीवन की सारी मुश्किल

- मुकेश बागड़ा जी।


जीवन की सारी मुश्किल,
आसान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।।

तर्ज – दिल दीवाने का डोला।


हर एक से हमने पूछा,
वन वन में जाकर ढूंढा,
सीता तुझे खोज ना पाए,
धीरज भी था मेरा छूटा,
हनुमान मिले, हनुमान मिले,
होंठो पे मुस्कान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।

जीवन की सारी मुष्किल,
आसान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।।


लक्ष्मण को मूर्छा आई,
मन ही मन हम घबराए,
संजीवन बूटी लाकर,
भाई के प्राण बचाए,
जिंदगानी मेरी इसपे,
जिंदगानी मेरी इसपे,
कुर्बान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।

जीवन की सारी मुष्किल,
आसान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।।


हनुमान से मिलकर सीता,
दिल में ये ख्याल है आया,
कोई लेख है पिछले जनम का,
ऐसा सेवक जो पाया,
रूठी मेरी किस्मत भी,
रूठी मेरी किस्मत भी,
मेहरबान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।

जीवन की सारी मुष्किल,
आसान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।।


जीवन की सारी मुश्किल,
आसान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से,
पहचान हो गई।।

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