जिनके सिर गंगधार है ,अरु चंद्रमा मा ,उन शंकर महादेव को ,जोड़ रहे हम हाथ माथे तीजा नेत्र है, विकटी है विकराल, देवों के ये देव है ,कालों के महाकाल गले में काले नाग है ,बिच्छू कुंडल कान ,धुनी प्रभु रामाई के, मग्न रहे प्रभु ध्यान औघड़ रूप बनाई के ,ओड़ी है मृग छाल, आप फकीरी भेष है ,बांटे भक्तन मान
हर हर हर महादेव -4 ,
एक हाथ त्रिशूल है, डमरु दूजे हाथ, नमः शिवाय बोल दो
रहे प्रभु हरदम साथ, सावन की बरसात है, बम बम की जय कार ,कावड़ियों में बांट रहे ,भोले अपना प्यार ,कांधे कांवर धार के, चले सब शिव के धाम ,नमः शिवाय बोले रहे ,जप रहे शिव का नाम, है ऊंचे कैलाश पर ,शिव भोले का धाम, तीनो लोको गूंज रहा शिव शंकर का नाम ,
हर हर हर महादेव -4,
ओघड़ भूत नाथ है, कर सृष्टि संघार ,कार्तिक गणेश गौरीजा, शिव जी का परिवार ,सागर मंथन के समय, विश को कंठ लगा नीलकंठ के नाम से, सृष्टि उन्हें बुलाए, सारे वेदो का दीया, ब्रह्मा जी को ज्ञान लक्ष्मी जा विठाई दि, विष्णु जी के वाम , रावण ने सिर काट के, चरणों में जो चढ़ाए स्वर्ण की लंका रावण को, शिव ने देइ थमाय
हर हर हर महादेव -4,
भस्मासुर को दे दिया , शिव जी ने वरदान ,भस्मासुर भागा पीछे संकट आए प्राण, मोहिनी रूप बनाई के, विष्णु सम्मुख आए, शंकर भोलेनाथ के विष्णु प्राण बचाए शनि देव को सिखलाया, तुमने ज्ञान का मान ,गुरु शनि ने बना लिया, चरनन धरके मान गज का शीश लगाई के, दीया गणेश दिलाए, गणों का शीश बनाई के ,प्रथम पूज्य बनवान
हर हर हर महादेव -4
,शाती के संग विवाह हुआ दक्ष किए अपमान, यज्ञ में नहीं बुलाए के नहीं रखा था मान, शिव की इच्छा के विरुद्ध , सती यज्ञ में जाए, यज्ञ अग्नि में कूद के अपने प्राण गवाऐ, वीरभद्र उपजाई के, किया यज्ञ विध्वंस ,शीश दक्ष का काट के किया प्राणों का अंत, वीरन ने की प्रार्थना चरनन शीश नवाय, बकरे का सिर जोड़के दक्ष के प्राण लौटाए ,
हर हर हर महादेव - 4
कामदेव ने छोड़ दिया, शिव पे काम कबाड़ तिजे नेत्र को खोल के ,अरे काम के प्राण ,रति शरण में आई के ,बहुत ही रुदन मचाए दया करी शिव ने तभी, कामदेव बचवाय ,चंड मुंड ने कर दिया, स्वर्ग का सत्यानाश शिव ने मार्ग सुझाव दिया, जाओ शक्ति के पास ,शक्ति ने महाकाली का भगतो रूप बनाए ,शुंभ निशुंभ और चंड मुंड को, काली मार गिराए
हर हर हर महादेव - 4
महा क्रोध महाकाली का शांत नहीं हो पाए ,महाकाली के पांव तले, तब शिवजी आ जाए, सीने पर जो पैर पड़ा ,जीवा निकली लाल ,क्रोध कालिका शांत हुआ ,भक्तन हुए निहाय
महाकाली फिर आ गई ,महाकाल के वहां ,चरनन शीश नवाई के, सृष्टि जपती ना महारुद्र और रुद्राणी ,कार्तिक गणपत साथ ,नंदी भींगी और शिवगढ़, के शिव भोलेनाथ
हर हर हर महादेव - 4,
सती ने दूजा जन्म लिया, गोरा रूप में आय ,शिव शंकर भोले के संग गौरा ब्याह रचाए , औघड़ रूप बनाई के, गोरा बियाह ने आए ,भूत प्रेत बाराती बन सब उत्पात मचाए ,गोरा के आवाहन पर, निर्मल रूप बनाए ,फेरे लिए गोरा के संग
ब्रह्मा ने पड़वाए, शिव संग नंदी बैठ के, मां कैलाश पे आए ,नंदी भंगी और शिवगढ़ सब मिले मौज बनाएं ,
हर हर हर महादेव-4 ,
भागीरथ आवाहन पर दर्शन दिए अपार ,गंगा शीश पधारने हो गए शिव तैयार, विष्णु नक से निकल के ब्रह्म कमंडल आए ,पावन गंगा धार पे, शिव की जटा समाई ,शिव की जटा से वह निकल पड़ी गंगा की धार, भागीरथ के पुरखों का ,भागीरथ के पुरखों का कर डाला उद्धार भागीरथ ने नाम की खूब करी जयकार ,शिव भोले के चरणों में किया, नमन सौ बार
हर हर हर महादेव - 4,
सोमवार भी मानते ,सोम जो मंदिर जाए ,गंगा जल अर्पण करें शिव की कृपा पांए, दूध दही कृति शहद से, शिव का करो अभिषेक जीवन सफल बना लो तुम ,माथा चरनन टेक, भांग धतूरा बेलपत, शिवलिंग पे जो चढ़ाएं जीवन के सुख भोग के ,शिव के लोक को जाए ,चंदन तिलक लगाई के, शिव का करो गुणगान ,जीवन में पा जाओगे ,भगतो तुम सम्मान,
हर हर हर महादेव - 4
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