Current Date: 18 Nov, 2024

जय जय जय विमले महारानी

- Tara Devi


F:-          जय जय जय विमले महारानी , तेरी माया जग नहीं जानी । 
कोरस:-     मस्तक रजत मुकुट हैं राजे , बाँये अखण्ड ज्योति बिराजे । । 
F:-           मंगल , शनि होत अभिषेका , आरति , पूजन भांति अनेका । 
कोरस:-      केहरि साक्षात् रखवाला , अति मंजुल रमणीक शिवाला । 
 
F:-           उच्चभंग तव आसन राजे , पंचवटी सम चहुं दिश साजे ।
कोरस:-      चैत , क्वार में जलती ज्योति , पूरण आश भक्त की होती ।
F:-          श्रद्धा से जो ज्योति जलाता , नशे पाप वांछित फल पाता ।
कोरस:-     दर्शन जो कर गये तुम्हारे , हुए मुदित पाये सुख सारे ।
F:-         कह ली तेरी कीर्ति बखानी , तू है रिद्ध सिद्ध जग जानी । ।
कोरस:-      दृग से प्रेम विन्दु टपकाती , लाज भक्त की सदा बचाती । 
 
F:-           न पूजा न अर्चन आता , निश दिन नाम तुम्हारे गाता ।
कोरस:-      बस एक ध्यान तुम्हारे चरणा , होउं प्रसीद अनन्ता करुणा  । 
F:-           जो जन राठ करे इक बारा , शत अष्ट जपे इक बारा । । 
कोरस:-      तू ही शारदा , चण्डी , काली , दुर्गा , अम्बे , जग रखवाली । 
F:-           शिवा , तुमी , पुण्या , विमला , गौरी दृक् प्रकाशिनी कमला । । 
कोरस:-      भूतेशा सर्व तीर्थमयी हो , वर्ण रूपिणी शास्त्रमयी हो ।  
 
F:-           जन पूजिता व शुभा भारती , गुणमध्या तव करत आरती । 
कोरस:-      अशुभवा हो भूत धारणी , सूक्ष्मा कल्पा व नारायणी । 
F:-           कृष्या पिंगला निरालसा हो , जन प्रिया सर्व ज्ञान प्रदा हो । 
कोरस:-      नित्या नंदा कमला रानी , सूक्ष्मा सर्व गता महारानी । 
F:-           सदा जया गुणश्रया शान्ता , कामाक्षी निर्गुणा कान्ता । 
कोरस:-      दम्या सुजया वरूपिणी , शास्त्रा दृश्या विंध्यवासिनी ।
 
         
F:-           तुम्ही जान्हवी देवा माता , पार्वती हो जगविख्याता । 
कोरस:-      भूतेशा मात्रा शुभ्रा हो , इन्द्रा जेष्ठा व रौद्रा हो ।
F:-         तुम्ही चण्डिका जया दुरन्ता , दया दात्री तुम्ही दिगन्ता । ।
कोरस:-      दुराशया दुर्जया कराली , तुम्ही कामिनी लोक निराली । । 
 
F:-           दर युक्ता दर हरा वनीशा , दृष्टि गोचरा तुम्ही मनीशा ।
कोरस:-      सर्व अभीष्ट प्रदायनी अम्बे , दशदिक्ख्याता हो जगदम्बे । 
F:-           तुम्ही हो माता श्रुति पूजिता , दीन वत्सला देव वन्दिता ।
कोरस:-      दयाश्रया कर्मज्ञान प्रदा हो , दुष्कृति हरता तुम्ही सदा हो ।
F:-         सरस्वती हो दुष्ट दाहिनी , जनप्रिया हो रोग नाशिनी ।
कोरस:-      असुरहरा हो तुम्ही दिगम्बा , तू ही मोह माया हो जगदम्बा । 
 
F:-           देवरता हो देवमान्या , अम्बुज वासिनी देवधान्या ।
कोरस:-      भूतात्मिका तुम्ही रूद्रानी , उमा माधवी हो ब्रम्हानी । 
F:-           गहूं मैं शरण परम गति पाऊँ , करहुं कृतार्थ जनम गुण गाऊँ ।
कोरस:-      नित उठ पाठ करै नर जोई , ताकर पूर्ण मनोरथ होई । । 
F:-           हर विपदा में होत सहाई , अधम जानि नहि देव भुलाई ।
कोरस:-      नौव दिवस तक करे उपासा , मन में रखें धैर्य विश्वासा ।
F:-         नवरात्रि में ज्योति जलाये , श्रद्धा से जो पाठ कराये । । 
कोरस:-      मुदित होयगी निश्चित माता , हरण करेगी तीनों तापा । - 2 
 
। । दोहा । ।  
 
दम्या दुर्लभ रूपिणी , ज्ञान रूपा तपस्विनी । । 
निराकारा योगगम्या , नमोऽस्तुते विलासिनी । 
 

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