Current Date: 17 Nov, 2024

जय जय जय शारदा महारानी

- Tara Devi


॥ शारदा अमृतवाणी॥ 

F:- मूर्ति स्वयंभू शारदा
मैहर आन विराज 
माला, पुस्तक, धारिणी
वीणा कर में साज

जय जय जय शारदा महारानी
आदि शक्ति तुम जग कल्याणी
 कोरस:- रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता
 तीन लोक महं तुम विख्याता
F:- दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना
प्रगट भई शारदा जग जाना 
कोरस:- मैहर नगर विश्व विख्याता,
जहाँ बैठी शारदा जग मात

 त्रिकूट पर्वत शारदा वासा
मैहर नगरी परम प्रकाशा 
कोरस:- सर्द इन्दु सम बदन तुम्हारो
रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो
F:- कोटि सुर्य सम तन द्युति पावन
राज हंस तुम्हरो शचि वाहन
कोरस:- कानन कुण्डल लोल सुहवहि,
उर्मणी भाल अनूप दिखावहिं 
F:- वीणा पुस्तक अभय धारिणी
जगत्मातु तुम जग विहारिणी।
कोरस:- ब्रह्म सुता अखंड अनूपा
शारदा गुण गावत सुरभूपा

F:- हरिहर करहिं शारदा वन्दन
वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन 
कोरस:- शारदा रूप कहण्डी अवतारा
चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा 
F:- महिषा सुर वध कीन्हि भवानी
दुर्गा बन शारदा कल्याणी।
कोरस:- धरा रूप शारदा भई चण्डी,
रक्त बीज काटा रण मुण्डी॥
F:- तुलसी सुर्य आदि विद्वाना,
शारदा सुयश सदैव बखाना।
कोरस:- कालिदास भए अति विख्याता,
तुम्हरी दया शारदा माता

F:- वाल्मीकी नारद मुनि देवा
पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा
कोरस:- चरण-शरण देवहु जग माया
सब जग व्यापहिं शारदा माया
F:- अणु-परमाणु शारदा वासा
परम शक्तिमय परम प्रकाशा
कोरस:- हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा
शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा
F:- ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा
शारदा के गुण गावहिं वेदा
कोरस:- जय जग वन्दनि विश्व स्वरूपा
निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा

F:- सुमिरहु शारदा नाम अखंडा
व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा
कोरस:- सुर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे
शारदा कृपा चमकते सारे
F:- उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी
बन्दउ शारदा जगत तारिणी
कोरस:- दु:ख दरिद्र सब जाहिंन साई
तुम्हारीकृपा शारदा माई
F:- परम पुनीत जगत अधारा,मातु
शारदा ज्ञान तुम्हारा
कोरस:- विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी
जय जय जय शारदा भवानी
F:- शारदे पूजन जो जन करहिं
निश्चय ते भव सागर तरहीं
कोरस:- शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना
होई सकल्विधि अति कल्याणा
F:- जग के विषय महा दु:ख दाई
भजहुँ शारदा अति सुख पाई
कोरस:- परम प्रकाश शारदा तोरा
दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा

F:- परमानन्द मगन मन होई
मातु शारदा सुमिरई जोई
कोरस:- चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना
भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना
 F:- रचना रचित शारदा केरी
पाठ करहिं भव छटई फेरी
कोरस:- सत् – सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना
शारदा मातु करहिं कल्याणा
F:- शारदा महिमा को जग जाना
नेति-नेति कह वेद बखाना
कोरस:- सत् – सत् नमन शारदा तोरा
कृपा द्र्ष्टि कीजै मम ओरा
F:- जो जन सेवा करहिं तुम्हारी
तिन कहँ कतहुँ नाहि दु:खभारी 
कोरस:- जोयह पाठ करै चालीस
मातु शारदा देहुँ आशीषा
जोयह पाठ करै चालीस
मातु शारदा देहुँ आशीषा

 F:- बन्दऊँ शारद चरण रज भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ
सकल अविद्या दूर कर सदा बसहु उर्गेहुँ
जय-जय माई शारदा मैहर तेरौ धाम 
शरण मातु मोहिं लिजिए तोहि भजहुँ निष्काम 

F:- शारदा मैया की 
कोरस:- जय

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