जग कल्याण की खातिर करते लीला विष्णु भगवान
कोरस ;- जप लो विष्णु का नाम
जगत का करते हो कल्याण
वार्ता :- भक्तो हम आप को एक ऐसा प्रसंग सुनाते है जो धर्म निति और ज्ञान की सच्ची राह दिखाता है एक
समय विष्णु जी लक्ष्मी से कहने लगे प्रिये हम शेष सैया पे पड़े पड़े कुछ परेशान से हो गए है अतः
हमने पृथ्वी पर जाने का निर्णय लिया है हम पृथ्वी पर भृमण करने की सोची है तब लक्ष्मी जी ने
कहा स्वामी क्या आपके साथ मैं भी चल सकती हु विष्णु जी बोले हा हा क्यूँ नहीं परन्तु हमारी एक
शर्त है तुम पृथ्वी पर पहुंच कर आप उत्तर दिशा की और मत देखना लक्ष्मी जी ने यह शर्त मान ली
और विष्णु जी के साथ लक्ष्मी जी पृथ्वी लोक पर जाने लगी
१
चले करके तयारी
हरि हर संकट हारी
पृथ्वी लोक पे आये
लक्ष्मी को संग लाये
सजी थी सारी सृष्टि
पड़ी लक्ष्मी की दृष्टि
देखकर हरियल उपवन
झूमे लक्ष्मी जी का मन
रहा नहीं कुछ लक्ष्मी को उत्तर दिशा का ध्यान
जपलो विष्णु हरि का नाम
जगत का करते जो कल्याण
वार्ता :- हरे भरे उपवन पृथ्वी की सुंदरता देखकर लक्ष्मी जी ने चारो दिशाओ पर अपनी दृष्टि घुमाकर देखने लगी ख़ुशी में वो विष्णु की समझाई बात भूल गयी और उत्तर दिशा पर दृष्टि डाली वहां एक सुन्दर बगीचा उन्हें दिखाई दिया लक्ष्मी जी उस बगीचे में पहुंची और वह तरह तरह के फूलो को देखकर उनका एक फूल पर मन ललचा गया और वह उस भूल को तोड़कर विष्णु को समर्पित करने लगी कहा स्वामी में ये फूल उस बगीचे से तोड़कर आपके लिए लायी हु विष्णु जी बोले क्या यह फूल बगीचे के माली से पूछकर लायी हो लक्ष्मी जी बोली नहीं स्वामी विष्णु जी बोले तुमने ये बहुत बड़ा अपराध किया है अतः तुम्हे ये सजा भुगतनी पड़ेगी तुम्हे उस माली के यहाँ तीन बरस तक नौकरी करनी होगी
2
तोडा जो वचन हमारा
घोर अपराध तुम्हारा
कोरस :- फूल माली का तोडा
विधि का नियम छोड़ा
जाओ उस माली के घर
करो सेवा वहां जाकर
कोरस :- रहो वहां तीन बरस तक
मिठे ना पाप जब तक
विष्णु हरि जी लेटे अपनी पत्नी का इम्तहान
जपलो विष्णु हरि का नाम
जगत का करते जो कल्याण
वार्ता :- विष्णु ने कहा तुमने माली की आज्ञा बिना यह फूल तोडा है इस लिए तुम्हे इस माली के यहाँ तीन बरस तक नौकरी करनी होगी तीन साल बाद जब तुम दोष मुक्त उसका ऋण चूका कर हो जाओगे तब में तुम्हे स्वयं लेने आऊंगा लक्ष्मी जी ने विष्णु जी के आदेश अनुसार एक गरीब असहाय नारी का भेष रखकर उस माली के द्वार पर दस्तक दी माली ने पूछा है बालिका तुम कौन हो यहाँ क्यूँ आयी हो बालिका रूपी लक्ष्मी ने कहा बाबा में एक गरीब असहाय लड़की हु माली बोला बेटी में गरीब आदमी हु मेरे पांच बच्चे है अगर तुम मेरा रुखा सूखा खाकर रह सकती हो तो में तुम्हे अपनी बेटी की तरह अपने यहाँ रख सकता हु लक्ष्मी भेष धारी लड़की ने कहा में जैसा भी है गुजरा कर लुंगी
३
माली घर करे वो गुजरा
करे वो काम सारा
कोरस :- बगीचे में दे पानी
जगत की ये महारानी
नहीं कुछ मन में सोचा
करे वो झाड़ू पोछा
कोरस :- वचन माली ने दिए
तू बेटी युग जग जिए
लक्ष्मी जिसकी करे नौकरी वो है भाग्यवान
कोरस :- जपलो विष्णु हरि का नाम
जगत का करते जो कल्याण
वार्ता :- भक्तो माली के दो बेटे और तीन बेटियाँ पहले से ही थी चौथी बेटी इस अनजान बालिका को मानता था अपनी बेटियों से ज्यादा इसे प्रेम करता था लक्ष्मी गरीब बेटी के रूप में माली के घर का सारा काम करती बगीचे में पेड़ पोधो को सवारती पानी डालती माली का सारा हाथ बटाती रही माली माली भी अपनी बेटी की तरह सिर पर हाथ फेरकर कहता बेटी तेरे मेरे पूर्व संस्कार रूप ही होंगे जो तू मेरी सेवा और मेरा ध्यान रखती है
४
आयी जब से बिटिया
हुई पावन मेरी कुटिया
मिले जो रूखी सुखी
कोरस :- मिले जो रूखी सुखी
बड़े ही प्रेम से खाये
वचन जो दिया हरी को
लक्ष्मी उसे निभाए
विधि का नियम देखा
कोरस :- विधि का नियम देखा
मिटे न कर्म का लेखा
टाले से न टलता भक्तो विधि का ये विधान
जपलो विष्णु हरी का नाम
जगत का करते जो कल्याण
वार्ता :- माली जिस लड़की को गरीब समझकर रख रहा था उसे क्या पता ये बालिका धन लक्ष्मी देवी है समय बीतता गया लक्ष्मी माँ उस मलिका खूब ध्यान रखती अपने पिता समान माली की सेवा बड़ी ईमानदारी से करती रही उसकी तीनो बेटियों के साथ बड़े प्रेम से रहती थी घर का सारा काम बगीचे की देख रेख नित नियम से करती रहती एक बार माली बीमार हो गया लक्ष्मी को बहुत चिंता हुई और बोली
५
हुआ बीमार वो माली
हुई घर की बदहाली
करिश्मा करती माई
कोरस :- करिश्मा करती माई
माता एक बूटी लायी
घोट कर दवा बनायीं
माली काका को पिलाई
रोग से मुक्त हुआ वो
कोरस :- रोग से मुक्त हुआ वो
माई ने जान बचायी
मालिके हार संकट को वो माता करे निदान
वार्ता :- माली समझ नहीं पा रहा था की आखिर ये कन्या है कौन जो मेरी बेटियों से भी ज्यादा मेरा ध्यान रखती है लगता है ये कोई पूर्व जनम के संस्कार है मैं तो धन्य हो गया इस कन्या को पाकर धीरे धीरे समय बिता और माता को यहाँ रहते तीन बरस पुरे हो गए तब माता अपना असली स्वरूप धारण कर माली के द्वार पर खड़ी हो गयी माली ने माँ लक्ष्मी के साक्षात् दर्शन किये कहा है माँ तुमने मुझे धन्य कर दिया मैं जिस कन्या को मामूली समझ व्यवहार कर रहा था वो देवी तो धन लक्ष्मी माता है माता ने उसे आशीर्वाद देते हुए वरदान दिया
६
बोली माली से देवी
मिटेगी तेरी गरीबी
मिलेगी धन सम्पति
कोरस :-मिलेगी धन सम्पति
न चिंता करो जरा भी
तेरे घर में जो आयी
मेने लीला दिखलाई
वचन जो दिया हरी को
कोरस :-वचन जो दिया हरी को
बात वो मेने निभाई
समय जो पूरा हुआ तो लेने आये विष्णु भगवान
वार्ता :- माँ को साक्षात् देख कर माली चरणों में गिर पड़ा कहा था मैं इस योग्य नहीं था फिर भी तूने मुझपे कृपा की भूले से यदि मुझसे आप के सम्मान में गलती हो गयी हो तो मुझे क्षमा करना माँ मुझ गरीब पर कृपा सदा ही करना माँ ने उस माली को काका कह कर सम्बोधित किया उठा कर उसे ये वरदान दिया आज के बाद तुम्हारी गरीबी का अंत हो चूका है धन वैभव सारे सुखो का तुम आनंद भोगोगे और तुम जब भी मुझे याद करोगे मैं तुम्हारे पास अवश्य ही आउंगी इधर विष्णु गरुड़ पर सवार वह पहुंचे माँ लक्ष्मी को लेकर अपने लोक में आ जाते है
७
हरी की महिमा भारी
करे ये लीला न्यारी
भेद कोई समझ न पाया
कोरस :- भेद कोई समझ न पाया
जय हो नरसिंह अवतारी
पड़े देवो पर संकट
मिटाये विपदा सारी
नमन करते वैरागी
कोरस :- नमन करते वैरागी
लगन दर्शन की लागी
अपने भक्त जनो को विष्णु देते अटल वरदान
जपलो विष्णु हरी का नाम
जगत का करते जो कल्याण
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