Current Date: 21 Dec, 2024

जमाने में कहाँ टूटी

- मोहम्मद रफी


जमाने में कहाँ टूटी हुई तस्वीर बनती है
तेरे दरबार में बिगड़ी हुई तकदीर बनती है

तारीफ़ तेरी निकली है दिल से
आई है लब पे बनके कव्वाली

शिरडीवाले साईंबाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली


लब पे दुआयें, आँखों में आँसू,
दिल में उम्मीदें, पर झोली खाली

शिर्डीवाले साईंबाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली
शिर्डीवाले साईंबाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली


ओ मेरे साईं देवा,
तेरे सब नाम लेवा।
जुदा इन्सान सारे,
सभी तुझको हैं प्यारे॥

सुने फ़रियाद सबकी,
तुझे है याद सबकी।
बड़ा या कोई छोटा,
नहीं मायूस लौटा॥


 
अमीरों का सहारा,
गरीबों का गुज़ारा।
तेरी रहमत का किस्सा बयान,
अकबर करे क्या॥


 
दो दिन की दुनियाँ,
दुनियाँ है गुलशन।
सब फूल काँटे,
तू सब का माली॥

शिरडीवाले साईंबाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली॥

खुदा की शान तुझमे,
दिखे भगवान तुझमे।
तुझे सब मानते है,
तेरा घर जानते है॥

चले आते है दौड़े,
जो खुशकिस्मत है थोड़ें।
ये हर राही की मंजिल,
ये हर कश्ती का साहिल॥


 
जिसे सबने निकाला,
उसे तूने संभाला।
तू बिछड़ों को मिलाए,
बुझे दीपक जलाए॥

ये ग़म की रातें,
रातें ये काली।
इनको बना दे,
ईद और दीवाली॥

शिरडीवाले साईंबाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली

लब पे दुआयें, आँखों में आँसू,
दिल में उम्मीदें, पर झोली खाली

शिरडीवाले साईंबाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली

शिरडीवाले साईंबाबा,
आया है तेरे दर पे सवाली

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