Current Date: 22 Nov, 2024

जय राम रमा रमन शमनं 

- Traditional


M:-    रावण वध करने के बाद लंक विजय होने के बाद भगवान् श्री राम श्री जानकी जी श्री लक्ष्मण जी और सभी वानरों के साथ जब लंका अयोध्या पधारे है वहां भगवान् शंकर ने एक अद्भुत स्तुति का गायन किया भगवान् श्री राम के लिए जय राम रमा शमनं भव ताप भयाकुल पाहि जनम,आइये सभी गायन करे

    जय राम रमा रमनं समनं,
भव ताप भयाकुल पाहि जनम,
अवधेस सुरेस रमेस बिभो,
सरनागत मागत पाहि प्रभो,
दससीस बिनासन बीस भुजा,
कृत दूरी महा महि भूरी रुजा,
रजनीचर बृंद पतंग रहे,
सर पावक तेज प्रचंड दहे
महि मंडल मंडन चारुतरं,
धृत सायक चाप निषंग बरं,
मद मोह महा ममता रजनी,
तम पुंज दिवाकर तेज अनी,
मनजात किरात निपात किए,
मृग लोग कुभोग सरेन हिए,
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे,
बिषया बन पावँर भूली परे,
बहु रोग बियोगन्हि लोग हए,
भवदंघ्री निरादर के फल ए,
भव सिन्धु अगाध परे नर ते,
पद पंकज प्रेम न जे करते,
अति दीन मलीन दुखी नितहीं,
जिन्ह के पद पंकज प्रीती नहीं,
अवलंब भवंत कथा जिन्ह के,
प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह के,
नहीं राग न लोभ न मान मदा,
तिन्ह के सम बैभव वा बिपदा,
एहि ते तव सेवक होत मुदा,
मुनि त्यागत जोग भरोस सदा,
करि प्रेम निरंतर नेम लिएँ,
पड़ पंकज सेवत सुद्ध हिएँ,
सम मानि निरादर आदरही,
सब संत सुखी बिचरंति मही,
मुनि मानस पंकज भृंग भजे,
रघुबीर महा रंधीर अजे,
तव नाम जपामि नमामि हरी,
भव रोग महागद मान अरी,
गुण सील कृपा परमायतनं,
प्रणमामि निरंतर श्रीरमनं,
रघुनंद निकंदय द्वंद्वघनं,
महिपाल बिलोकय दीन जनं,
बार बार बर मागऊँ हरषी देहु श्रीरंग,
पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग,

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