M:- जय राम रमा रमनं समनं ।भव ताप भयाकुल पाहि जनम ॥
कोरस :- जय राम रमा रमनं समनं ।भव ताप भयाकुल पाहि जनम ॥
M:- अवधेस सुरेस रमेस बिभो । सरनागत मागत पाहि प्रभो ॥
कोरस :- अवधेस सुरेस रमेस बिभो । सरनागत मागत पाहि प्रभो ॥
M:- दससीस बिनासन बीस भुजा ।कृत दूरी महा महि भूरी रुजा ॥
कोरस :- दससीस बिनासन बीस भुजा । कृत दूरी महा महि भूरी रुजा ॥
M:- रजनीचर बृंद पतंग रहे । सर पावक तेज प्रचंड दहे ॥
M:- महि मंडल मंडन चारुतरं ।धृत सायक चाप निषंग बरं ॥
कोरस :- महि मंडल मंडन चारुतरं । धृत सायक चाप निषंग बरं ॥
M:- मद मोह महा ममता रजनी । तम पुंज दिवाकर तेज अनी ॥
कोरस :- मद मोह महा ममता रजनी । तम पुंज दिवाकर तेज अनी ॥
M:- मनजात किरात निपात किए । मृग लोग कुभोग सरेन हिए ॥
कोरस :- मनजात किरात निपात किए । मृग लोग कुभोग सरेन हिए ॥
M:- हति नाथ अनाथनि पाहि हरे । बिषया बन पावँर भूली परे ॥
कोरस :- हति नाथ अनाथनि पाहि हरे । बिषया बन पावँर भूली परे ॥
M:- बहु रोग बियोगन्हि लोग हए । भवदंघ्री निरादर के फल ए ॥
कोरस :- बहु रोग बियोगन्हि लोग हए । भवदंघ्री निरादर के फल ए ॥
M:- भव सिन्धु अगाध परे नर ते । पद पंकज प्रेम न जे करते॥
M:- अति दीन मलीन दुखी नितहीं । जिन्ह के पद पंकज प्रीती नहीं ॥
कोरस :- अति दीन मलीन दुखी नितहीं । जिन्ह के पद पंकज प्रीती नहीं ॥
M:- अवलंब भवंत कथा जिन्ह के । प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह के ॥
नहीं राग न लोभ न मान मदा । तिन्ह के सम बैभव वा बिपदा ॥
M:- नहीं राग न लोभ न मान मदा । तिन्ह के सम बैभव वा बिपदा ॥
एहि ते तव सेवक होत मुदा । मुनि त्यागत जोग भरोस सदा ॥
कोरस :- मुनि त्यागत जोग भरोस सदा । मुनि त्यागत जोग भरोस सदा ॥
M:- करि प्रेम निरंतर नेम लिएँ । पड़ पंकज सेवत सुद्ध हिएँ ॥
सम मानि निरादर आदरही । सब संत सुखी बिचरंति मही ॥
कोरस :- सम मानि निरादर आदरही । सब संत सुखी बिचरंति मही ॥
M:- मुनि मानस पंकज भृंग भजे । रघुबीर महा रंधीर अजे ॥
कोरस :- रघुबीर महा रंधीर अजे ॥
M:- तव नाम जपामि नमामि हरी । भव रोग महागद मान अरी ॥
कोरस :- तव नाम जपामि नमामि हरी । भव रोग महागद मान अरी ॥
M:- गुण सील कृपा परमायतनं । प्रणमामि निरंतर श्रीरमनं ॥
रघुनंद निकंदय द्वंद्वघनं ।महिपाल बिलोकय दीन जनं ॥
M:- सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम
राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम
राजाराम राजाराम राजाराम राजाराम
जय घनश्याम जय घनश्याम जय घनश्याम जय घनश्याम
जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम
जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम
सीताराम जय सीताराम सीताराम सीताराम
M:- बार बार बर मागऊँ हरषी देहु श्रीरंग।
पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग॥
बरनि उमापति राम गुन हरषि गए कैलास।
तब प्रभु कपिन्ह दिवाए सब बिधि सुखप्रद बास॥
बोलिये सियावर राम चंद्र भगवान की जय हो
अयोध्या के राजा राम की जय हो
करुणा के निधान की जय हो
भक्तवान छाकल पितरो सरकार की जय हो
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