जय माधव मदन मुरारी।
जय केशव कलिमल हारी॥
सुन्दर कुंडल, नयन विशाला,
गले सोहे वैजयंती माला।
या छवि की बलिहारी॥
कबहू लूट लूट दधि खायो,
कबहू मधुवन रास रचायो।
नाचत विपिन बिहारी॥
करुना कर द्रोपदी पुकारी,
पट में लिपट गए बनवारी।
निरख रहे नर नारी॥
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