M:- रावण के अत्याचार से पूरी पृथ्वी त्राहि त्राहि कर रही है सारे देवी देवता गौ
माता पृथ्वी सहित भगवान भोलेनाथ की शरण में भगवान आप ही बताओ
भगवान कहा मिलेंगे बाबा ने कहा घबराने की बात नहीं है मेरे प्रभु तो यत्र तत्र
सर्वत्र विराजमान है प्रेम से भगवान की स्तुति गाओ आज आकाशवाणी हुई है
की भगवान जल्दी ही श्री धाम अवध में अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराज
दशरथ के घर में ज्येष्ठ पुत्र के रूप में चारो भैया सहित अवतार लेने वाले है
देवता देवी माता पृथ्वी गो सहित भगवान की स्तुति कर रहे है बाबा पूज्य पाद
गोस्वामी तुलसीदास जी मानस में छंद के रूप में लिखते है आइये हम सभी
इस स्तुति को मन से भाव से गाते है -
M:- जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
कोरस :- जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
M:- गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता ॥
कोरस :- गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता ॥
M:- पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई ।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई ॥
जय हो जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा ।
कोरस :- जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा ।
M:- अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा ॥
कोरस :- अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा ॥
M:- जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा जय हो |
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा ॥
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा ।
कोरस :- जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा ।
M:- सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा ॥
कोरस :- सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा ॥
M:- जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा ।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा ॥
और सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना ।
कोरस :- सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना ।
M:- जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना ॥
कोरस :- जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना ॥
M:- भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा ।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा ।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा ॥
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा ॥
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
कोरस :- जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
M:- गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता ॥
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
कोरस :- जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
M:- बोलिये सच्चिदानंद भगवान की जय हो
सीता राम सीता राम सीता राम
कोरस :- सीता राम सीता राम सीता राम
M:- हरे राम हरे राम हरे राम
कोरस :- हरे राम हरे राम हरे राम
M:- सुख के धाम सुख के धाम हरे राम सीता राम
कोरस :- सुख के धाम सुख के धाम हरे राम सीता राम
M:- राधेश्याम राधेश्याम सीता राम सीता राम
सीता राम सीता राम सीता राम
जय जय राम जय जय राम जय जय राम जय
बोलिये आनंदकंद भगवान की जय हो
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