Current Date: 21 Nov, 2024

जगन्नाथ होके रथ पे सवार

- Satyendra Pathak


M:-    आते ही  आषाढ़ मास, भरे हृदय  उल्लास  
    मन्दिर पट खोले चले आए ,प्रभु  भक्तों के पास 
    जगन्नाथ, होके रथ पे सवार – 2
कोरस –     जगन्नाथ, होके रथ पे सवार – 2

M:-    सुभद्रा और बलभद्र  संग -2
    चले  गुण्डिचा  द्वार
    जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
कोरस –     जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
        1.
M:-    राजा सोने की झाड़ू बुहारे  हर्षाते हैं भक्त ये  सारे 
कोरस –     राजा सोने की झाड़ू बुहारे  हर्षाते हैं भक्त ये  सारे
M:-    गूंजे प्रभु वर के जयकारे 
कोरस –     गूंजे प्रभु वर के जयकारे
M:-    खुशियों के बादल से मिलकर-2
       नभ बरसाए रे धार 
    जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
कोरस –     जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
            2.
कोरस :-     आ आ आ आ आ आ आ
M:-    आज का दिन है कितना पावन, ईश्वर भक्ति है  मनभावन
कोरस –     आज का दिन है कितना पावन, ईश्वर भक्ति है  मनभावन
M:-    भीड़ खड़ी करने को दर्शन 
कोरस –     भीड़ खड़ी करने को दर्शन
M:-    अपने सेवक -2 जन की श्रद्धा, कर लेना  स्वीकार 
    जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
कोरस –     जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
        3.
M:-    हरेक मन में जगी है शुभ आस ,भक्ति  अपनी रहे ये अविनाश 
कोरस-     हरेक मन में जगी है शुभ आस ,भक्ति  अपनी रहे ये अविनाश
M:_    तुझसे जीवन का हो आभास  
कोरस –     तुझसे जीवन का हो आभास   
M:-    पूरब में पुरी  पश्चिम द्वारिका, -2  महिमा इनकी अपार 
    जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
कोरस –     जगन्नाथ, होके रथ पे सवार
M:-    सुभद्रा और बलभद्र  संग -2
    चले  गुण्डिचा  द्वार
    जगन्नाथ, होके रथ पे सवार 
कोरस –     जगन्नाथ, होके रथ पे सवार -4

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