जब मिलने को दिल चाहे,
तू ऐसी युक्ति बनाये,
एहसान तेरा सांवरिया,
मुझे हर ग्यारस पे बुलाये,
जब मिलने को दील चाहे,
तू ऐसी युक्ति बनाये।।
तर्ज – तुझे सूरज कहूं या।
जब हो मेरा व्याकुल मन,
और उठने लगे इक तड़पन,
तुझसे अरदास लगाऊं,
हल हो जाए हर उलझन,
हर राह पे बनके साथी,
मेरा हर पल साथ निभाए,
एहसान तेरा सांवरिया,
मुझे हर ग्यारस पे बुलाये,
जब मिलने को दील चाहे,
तू ऐसी युक्ति बनाये।।
मुश्किल से गुजरे ये दिन,
और रातें तारों को गिन,
ये तू जाने या दिल ये,
कैसा है अपना बंधन,
क्या प्रीत है तुझसे दिल की,
तेरी और खिंचा ही आये,
एहसान तेरा सांवरिया,
मुझे हर ग्यारस पे बुलाये,
जब मिलने को दील चाहे,
तू ऐसी युक्ति बनाये।।
कहाँ किस्मत में लिखा है,
सबको मिलना तेरा द्वारा,
‘धामी’ का भाग्य प्रबल है,
जो तूने दिया सहारा,
कैसे खाटू के दातारी,
‘सतविंदर’ क़र्ज़ चुकाए,
एहसान तेरा सांवरिया,
मुझे हर ग्यारस पे बुलाये,
जब मिलने को दील चाहे,
तू ऐसी युक्ति बनाये।।
जब मिलने को दिल चाहे,
तू ऐसी युक्ति बनाये,
एहसान तेरा सांवरिया,
मुझे हर ग्यारस पे बुलाये,
जब मिलने को दील चाहे,
तू ऐसी युक्ति बनाये।।
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