Current Date: 18 Dec, 2024

जब जब दुःख ने घेरा

- अनिल जी लता


जब जब दुःख ने घेरा,
तूने ही उबारा है,
डंके की चोंट कहता,
ये बाबा हमारा है,
जब जब दुख ने घेरा,
तूने ही उबारा है।।

तर्ज – एक प्यार का नगमा है।

चाहे काल खड़ा सिर पर,
कितना ही तड़पाए,
महाकाल पुकारूँ मैं,
तब काल भी टल जाए,
मतलब की दुनिया में,
बस तेरा सहारा है,
डंके की चोंट कहता,
ये बाबा हमारा है,
जब जब दुख ने घेरा,
तूने ही उबारा है।।

विश्वास के ये धागे,
जब तुझसे जुड़ जाए,
तूफां कैसा भी हो,
तुझे देख के मुड़ जाए,
कैसे बिगड़ेगा वो,
जिसे तूने संवारा है,
डंके की चोंट कहता,
ये बाबा हमारा है,
जब जब दुख ने घेरा,
तूने ही उबारा है।।

तू आता हो शायद,
ये सोच के बैठा हूँ,
दुःख कितने हो पीछे,
पर ठाट से रहता हूँ,
तेरे ही भरोसे तो,
परिवार ये सारा है,
डंके की चोंट कहता,
ये बाबा हमारा है,
जब जब दुख ने घेरा,
तूने ही उबारा है।।

अपनों ने ही बाबा,
गर्दिश में धकेला था,
बस पाया था तुझको,
जब जग में अकेला था,
‘आकाश’ के सिर पर तो,
अब हाथ तुम्हारा है,
डंके की चोंट कहता,
ये बाबा हमारा है,
जब जब दुख ने घेरा,
तूने ही उबारा है।।

जब जब दुःख ने घेरा,
तूने ही उबारा है,
डंके की चोंट कहता,
ये बाबा हमारा है,
जब जब दुख ने घेरा,
तूने ही उबारा है।।

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