इंसान को उसके कर्म नहीं
कर्म के पीछे की
इच्छाएं बांधे रखती हैं
क्योंकि इच्छाओं के कारण
ही कर्म निर्मित होते हैं..!
किसी जीव को कष्ट देकर
तुम मुझे खुश कैसे देख सकते हो!
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इंसान को उसके कर्म नहीं
कर्म के पीछे की
इच्छाएं बांधे रखती हैं
क्योंकि इच्छाओं के कारण
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किसी जीव को कष्ट देकर
तुम मुझे खुश कैसे देख सकते हो!
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