नाम (Name) | श्री इंद्रेश उपाध्याय जी( indresh upadhyay ji) |
उपनाम (Nickname) | इंद्रेश उपाध्याय ( indresh upadhyay) |
जन्म (Birth) | 7 अगस्त 1997 (7 August 1997) |
जन्म स्थान (Place of Birth) | वृन्दावन (Vrindavan) |
पिता का नाम (Father's Name) | श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री (Shri Krishna Chandra Shastri) |
शिक्षा (Education) | कान्हा माखन पब्लिक स्कूल kanha makhan public school |
अध्ययन (Study) |
दिव्यास्त्र Divyastra |
1. जन्म, शिक्षा (Birth, Education)
श्री इंद्रेश उपाध्याय जी का जन्म 7 अगस्त 1997 को भारत के श्री धाम वृंदावन में श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी (Thakur Ji) के घर में हुआ था। इंद्रेश उपाध्याय ने श्रीमद्भागवत के दिव्य ग्रंथ का अध्ययन किया है और मानवता के शाश्वत लाभ के लिए इस पवित्र पाठ की महिमा का वर्णन किया है। उन्होंने कान्हा माखन पब्लिक स्कूल से प्रथम चरण की शिक्षा प्राप्त की। इंद्रेश उपाध्याय जी एक बहुत ही उज्ज्वल और प्रसिद्ध कथाकार हैं। उनकी सुरीली आवाज सुनकर हर कोई भक्ति से सराबोर हो जाता है।
2. श्रीमद्भागवत पुराण (Shrimad Bhagwat Purana)
उनका जन्म पवित्र संतों के दिव्य परिवार में हुआ था, उपाध्याय जी के इस परिवार में असंख्य दिव्य आत्माओं का जन्म हुआ है जिन्हें संस्कृत भाषा और श्रीमद्भागवत पुराण का विशेष ज्ञान है।
उनके जन्म के बाद कई प्रसिद्ध संत और भक्त इस चमत्कारी लड़के की एक झलक पाने के लिए ठाकुर जी के घर आए। वह अपने अलौकिक गुणों से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने एक भविष्यवाणी की, "वह निकट भविष्य में दुनिया भर के लोगों को एक महान प्रबुद्ध व्यक्ति के रूप में आश्चर्यचकित करेगा"।
3. भागवत कथा का प्रचार-प्रसार (Propagation of Bhagwat Katha)
श्री इंद्रेश जी को महान आध्यात्मिक के साथ-साथ वैदिक ज्ञान भी प्राप्त है। जब वे केवल 13 वर्ष के थे, तब उन्होंने अपने पिता के आशीर्वाद और मार्गदर्शन से संपूर्ण श्रीमद्भागवत महापुराण सीखा था। कुछ ही महीनों में उन्होंने संपूर्ण श्रीमद्भागवत महापुराण को कंठस्थ कर लिया और प्रतिदिन पूरी श्रद्धा के साथ उसे समझा।
जब कोई उनकी कथा और भजन सुनता है, तो उसे कथा से प्यार हो जाता है और वह अपने भीतर और अपने आसपास आनंद महसूस करता है।
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हो सकता जो इनके वर्णनों से मंत्रमुग्ध न हो, क्योंकि जो व्यक्ति इन्हें सुनता है वह जीवन के सभी कष्टों और निराशाओं से मुक्त हो जाता है। जैसा कि सभी श्रोता बताते हैं, वातावरण में निर्मित जादू को महसूस किया जा सकता है; ज्ञान, भक्ति, दिव्यता चारों ओर फैली हुई है और व्यक्ति परम आनंद को प्राप्त करता है जो कि शाश्वत सत्य है।
उनके कथा पाठ में सभी भक्त भक्ति में सराबोर हो जाते हैं। और उनकी मधुर वाणी चारों ओर भक्तिमय वातावरण स्थापित कर देती है।
4. गौ सेवा (Cow Service)
इंद्रेश जी दैनिक जीवन में गौ सेवा और पूजा के साथ माता-पिता के सेवा धर्म को बड़ी लगन के साथ पूरा करते हैं। वह हमेशा गाय माता का उपदेश देते हैं और उनकी सेवा के कार्य में आगे बढ़ते हैं।
उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से गौ सेवा को समर्पित कर दिया है। वह अपने श्रोताओं के दिल में "वृंदावन" बनाने और गौरवशाली गौ माता का प्रसार करने के मिशन के साथ तत्पर हैं। उनके द्वारा गाए गए भजन बहुत मशहूर है। चलिए जानते है उनके 3 भजनों के बारे में जो लोगों द्वारा पसंद किये गए है।
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