मन में है ठाना अय्धोया है जाना होता मंदिर का निर्माण है
मंदिर नही वो माँ भारती की अंमित सी पहचान है
सिर को कर उचा बोलो जय जय जय श्री राम
आँखे करोड़ो थी पर एक ही सपना था मंदिर वही बनायेगे राग ये अपना था
सपन सच होगा बोलो जय जय श्री राम
धरती अयोध्या की भी खिल के मुस्काती है
देवी देवो की टोली पुष्प बरसाती है,
भजे ढोल ताशे बोलो जय जय श्री राम
आकश में भगवे झंडे हम तो लहराए गे
राम भक्त दुनिया भर से दर्श को आयेगे
संजीव कोहिली संग बोलो जय जय श्री राम
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