Current Date: 22 Dec, 2024

हम तो आये शरण में तुम्हारी

- संजय मित्तल जी।


हम तो आये शरण में तुम्हारी,
लाज हाथो में तेरे हमारी,
हमको तुमपे भरोसा अटल है,
तुम संभालोगे हमको मुरारी,
हम तो आये शरण मे तुम्हारी,
लाज हाथो में तेरे हमारी।।

तर्ज – इतनी शक्ति हमें देना दाता।

हम को विश्वास तुमपे है इतना,
गहरा होता समुन्दर है जितना,
आसमानो से ऊँचा इरादा,
साथ तेरा हमारे वो वादा,
हार पग पग पे तुमसे है हारी,
इसलिए जीत आगे हमारी,
हमको तुमपे भरोसा अटल है,
तुम संभालोगे हमको मुरारी,
हम तो आये शरण मे तुम्हारी,
लाज हाथो में तेरे हमारी।।

हम भगत तेरे डर क्या है हमको,
फिर डराती ये विपदा है किसको,
हम तो जैसे भी सह लेंगे इसको,
ये सहेंगी भला तुझको,
क्या बिगाड़ेगी विपदा बैचारी,
है खड़ा सामने चक्रधारी,
हमको तुमपे भरोसा अटल है,
तुम संभालोगे हमको मुरारी,
हम तो आये शरण मे तुम्हारी,
लाज हाथो में तेरे हमारी।।

जब से सौंपी ये नैया तुझको,
फिर तूफानों से डर क्या है हमको,
या किनारो को आना पड़ेगा,
या फिर पहुंचाए मझधार इसको,
देख विस्मित हुए संसारी,
बना ‘निर्मल’ को माझी बिहारी,
हमको तुमपे भरोसा अटल है,
तुम संभालोगे हमको मुरारी,
हम तो आये शरण मे तुम्हारी,
लाज हाथो में तेरे हमारी।।

हम तो आये शरण में तुम्हारी,
लाज हाथो में तेरे हमारी,
हमको तुमपे भरोसा अटल है,
तुम संभालोगे हमको मुरारी,
हम तो आये शरण मे तुम्हारी,
लाज हाथो में तेरे हमारी।।

अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।