Current Date: 18 Nov, 2024

हम सूर्यपुत्र शनिदेव की

- Kumar Vishu


हम सूर्यपुत्र शनिदेव की महिमा प्रेम से गाते है 
पावन कथा सुनाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं 
यह कथा सुनाते हैं
इसलिए शनिश्वर कलयुग के महाराज कहाते है
 उनको यह समझाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं 
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
कैसे शनि देव का जन्म हुआ सब सुनो लगाकर ध्यान
यह अद्भुत गाथा सुनने से हो जाता है कल्याण
हो जाता है कल्याण
फिर संज्ञा देवी सूर्य देवता के मन को भाई
बंधे पड़े बंधन मैं दोनों घड़ी ये शुभ आई
दोनों घड़ी ये शुभ आई
लेकिन संज्ञा सूर्य देव का तेज न सह पाई
हो गई अंतर्ध्यान छोड़ कर अपनी परछाई
छोड़ कर अपनी परछाई
सूर्य और छाया के मिलन से जन्मे शनेश्वर
सूर्यदेव फूले न समाए जब यह सुनी खबर
जब यह सुनी खबर
बेटे का देखने मुखड़ा वो महलों में जाते हैं
वो महलों में जाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
सूर्यदेव बोले हैं भगवन यह है क्या माया
भूल हुई क्या मुझसे मुझको यह दिन दिखलाया
मुझको यह दिन दिखलाया
कैसे इसको गले लगाऊं कैसे करूं दुलार
देखके इसकी सूरत देगा ताने यह संसार
देगा ताने यह संसार
है विचित्र सा चेहरा काका जैसा है काला
 लाल है इसके नेत्र धधकती है उनमें ज्वाला
धधकती है उनमें ज्वाला
पाप कहूं पिछले जन्मों का या अभिशाप कहूं
मैं ऐसे बच्चे का खुद को कैसे बाप कहूं
खुद को कैसे बाप कहूं
सूर्य देव शनि देव की महिमा जान ना पाते हैं
महिमा जान ना पाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
अहंकार में सूर्य देवता ऐसे भरमाए
शनि राज की शक्ति को पहचान नहीं पाए
पहचान नहीं पाए
सह ना पाए शनिदेव अपना इतना अपमान
अपने पिता को शक्ति दिखाऊंगा ली मन में ठान
दिखाऊंगा ली मन में ठान
वक्र दृष्टि शनिदेव ने डाली दिन में हो गई रैन
पहुंचाया यमलोक सारथी यशवो के छीने नेन
सारथी यशवो के छीने नेन
सनी वक्र दृष्टि की पड़ी जब सूर्य पे छाया
पल भर में छह रोगी  हो गई कंचन सी काया
हो गई कंचन सी काया
ज्ञानी ध्यानी सूर्य देव को यह समझाते हैं
हां यह समझाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
उड़ ना सका रथ सूर्य देव का हुआ घोर अंधकार
देवी देवता चिंतित हो गए मच गई हाहाकार
मच गई हाहाकार
सूर्य देवता से यू बोले फिर शंकर भगवान
अहंकार वश किया शनेश्वर का तुमने अपमान
शनेश्वर का तुमने अपमान
महा विष्णु अवतार है यह महाकाली का वरदान
कलयुग में नहीं  और कोई शक्ति में इनके समान
कोई शक्ति में इनके समान
इसीलिए कली देव कहे इनको यह सकल जहान
अगर चाहिए मुक्ति दुख से करो इन्हीं का ध्यान
करो इन्हीं का ध्यान
सूर्यदेव चरणों में शनि के शीश झुकाते हैं
हां शीश झुकाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
उज्जैनी नगरी में है महा कालेश्वर का वास
यहां का राजा विक्रम आदित्य था संभू जी का दास
संभू जी का दास
राजा विक्रम गुणी जनों का करता था सम्मान
करवाता था नित्य भंडारे करता अन्य का दान
करता अन्य का दान
उसकी भक्ति देखके होता चकित सकल संसार
स्वर्ग यात्रा की विक्रम बन्ना जाने कितनी बार
जाने कितनी बार
राजा विक्रम की होती थी जग में जय जय कार
शनि देव के मन में आया एक दिन यूं ही विचार
आया एक दिन यूं ही विचार
इस सोने को कष्टों की अग्नि में तपाते हैं
अग्नि में तपाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
राज्यसभा में बैठे थे एक दिन सारे विद्वान
चर्चा छिड़ी हुई थी नवग्रह में है कौन महान
नवग्रह में है कौन महान
कौन श्रेष्ठ है कौन है छोटा किसकी ऊंची शान
बात बात में बात बढ़ गई किसका कहां स्थान
किसका कहां स्थान
शांत कराया विक्रम ने सब को कहकर यह बात
गुणी जनों इस बात पे चर्चा  करेंगे कल हम साथ
चर्चा  करेंगे कल हम साथ
व्यर्थ की बातों में ऐसे मत करो समय बर्बाद
कल सुबह दरबार में होगा फिर से  यह संवाद
होगा फिर से  यह संवाद
सुनकर यह आदेश सब आ घर अपने जाते हैं
सब आ घर अपने जाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
अगले दिन फिर पहुंच गए जब सारे दरबारी
बोले विक्रम बात कहो अपनी बारी बारी
बात अपनी बारी बारी
एक एक  ग्रह के बारे में समझाते जाओ
अपनी अपनी बुद्धि के गुण दिखलाते जाओ
गुण सब दिखलाते जाओ
पहले पंडित ने उठ राजा को किया प्रणाम 
और फिर बोला करता हूं मैं उलझन दूर तमाम
मैं उलझन दूर तमाम
वैसे तो यह राजन है नवग्रह सभी समान
फिर भी सब से श्रेष्ठ है इनमें रवि सूर्य भगवान
इनमें रवि सूर्य भगवान
इनकी करुणा से दुख के बादल छट जाते हैं
बादल छट जाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
दूजा पंडित बोला राजन सोम की शक्ति अपार
यह शीतल है चंद्र के जैसे जाने कुल संसार
इनको जाने फुल संसार
शीतल रजनी नाथ ना किसी को कष्ट यह पहुंचाए
इसीलिए तो नवग्रह में बस श्रेष्ठ यही कहलाए
श्रेष्ठ यही कहलाए
तीजा  पंडित बोला मंगल कारी मंगल नाम
मंगलमय हो उसका जीवन यह है जिसके साथ
यह है जिसके साथ
मंगल दाता भक्तों पे करता सुख की बरसात
इसीलिए मंगल ग्रह देता है हर ग्रह को मार
देता है हर ग्रह को मार
इस ग्रह की महिमा को राजन देव भी गाते हैं
राजन देव भी गाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
चौथा पंडित यह समझाएं बुध है बड़ा महान
सुख शांति वह पाए करता है जो इसका ध्यान
करता है जो इसका ध्यान
इसके स्वर्ण से ही हो जाता है भक्तों कल्याण
इसे किसी से बैर नहीं यह सब का बढ़ाए मान
यह सब का बढ़ाए मान
करने लगा पांचवा पंडित गुरु का फिर गुणगान
बोला राजन कोई नहीं है बृहस्पति देव समान
बृहस्पति देव समान
गुरु के गुण गाए संसारी गुरु गुणों की खान
गुरु की बातें अमृत का किस्मत से हो रसपान
किस्मत से हो रसपान
छठ ब्राह्मण फिर शुक्र देव की महिमा गाते हैं
फिर महिमा गाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
सातवा पंडित राहु केतु दहका करे पठान 
बोला इन दोनों के जैसा नहीं कोई बलवान
नहीं कोई बलवान
जो इनकी शक्ति ना माने वह मूर्ख नादान
तीनों लोकों में होता इन दोनों का सम्मान
इन दोनों का सम्मान
आठवें नौवें ब्राह्मण ने छोड़ा जो अपना स्थान
हाथ जोड़कर बोले हमको क्षमा करें यजमान
हमको क्षमा करें यजमान
खाली बातें करने से हिल सकता नहीं पसान
शनि देव की लीला सुनिए राजन देकर ध्यान
सुनिए राजन देकर ध्यान
के क्रोध से ऋषि मुनि सब घबराते हैं
हां सब घबराते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
पंडित ने राजा विक्रम का भरम मिटाया है
शनि जन्म कावा के आगे खोर सुनाया है
ये खोर सुनाया है
लेते ही शनि देव ने जन्म पिता को ढूंढ दिया
पिता ने मांगी शमा तभी उनका उद्धार हुआ
तभी उनका उद्धार हुआ
वक्र दृष्टि से इनकी राजन डरता है संसार
उत्तम कहलाने का तो बस इनको है अधिकार
तो बस इनको है अधिकार
कितना सुनकर विक्रम बोले तुम पर है धिक्कार
ऐसे दुष्ट अधर्मी की करते हो जय जय कार
करते हो जय जय कार
नाम ना लो शनिदेव का राजा हुक्म सुनाते हैं
राजा हुक्म सुनाते हैं
यह कितने शक्तिशाली हैं हम आज बताते हैं
यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोकों पे चलता है तुम्हारा राज
विक्रम ने जब शनिदेव का या घोर अपमान
पहुंच गए तत्काल शनि वाह जब देख अपमान
क्रोध में जब सनी देव को देखा विक्रम जोड़े हाथ
सभा में सन्नाटा छाया अनहोनी हो गई बात
अनहोनी हो गई बात
मैं अज्ञानी मूड मति हूं माफ करो हे नाथ
भूले से भी नहीं करूंगा अब मैं ऐसी बात
अब मैं ऐसी बात
कहां शनि ने सुंदर काया पे है तुझे गुमान
अहंकार में भूल गया करना मेरा सम्मान
 करना मेरा सम्मान
मेरी हंसी उड़ाने वाली नीर बहाते हैं
हा  नीर बहाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
हे विक्रम तुने सभा बीच में मेरा अपमान किया
अपशब्द कहे उसको जिसने मेरा गुणगान किया
जिसने मेरा गुणगान किया
देता हूं वचन मैं यह तेरा अभिमान मिटा ऊगां
मिट्टी में तेरा राज पाठ एक रोज मिला ऊगां
एक दिन रोज मिला ऊगां
कन्या राशि है तेरी तेरी राशि में आऊंगा
तेरे भले बुरे का कारण भी कन्या को बनाऊंगा
 कन्या को बनाऊंगा
तीनो लोको मैं भी ना देगा कोई ढाल तुझे
हे चक्रवर्ती राजा कर दूंगा मैं कंगाल तुझे
मैं कंगाल तुझे
शनि देवता अपना हर वचन निभाते हैं
 हर वचन निभाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
शनि क्रोध से बचने का जब
मार्ग नहीं सुझा एकांतवास करने लगे तब राजा शिव पूजा
 तब राजा शिव पूजा
राजा बोले हे भोले मेरे विपदा कौन हरे
 मेरी चिंता मुझे हर पल तिल तिल  यू ही भस्म करें
तिल तिल  यू ही भस्म करें
तुम ही बोलो शनि क्रोध से मुझको कौन बचाएगा
क्या होगा यह राज्य पाठ जब मुझसे छीन ली जाएगा
मुझसे छीन ली जाएगा
शनिदेव हुए रूष्ठ उन्हीं को जाके मना राजा
 उद्धार करेंगे वही उनकी शरण में जा राजा
 उनकी शरण में जा राजा
उनके लिखें को हम भी मिटाना पाते हैं
 हम भी मिटाना पाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
राजा विक्रम की राशि में किया शनि ने किया प्रवेश
राज पाठ छीन गया सभी यू आये कास्ट क्लेश
यू आये कास्ट क्लेश
वक्र दृष्टि शनि राज ने उज्जैनी पे जब डाली
सूखा और अकाल पड़ा मुरझाई हर डाली
मुरझाई हर डाली
राजा को अपनी करनी पर होता पश्चाताप
कहता सबसे मेरे आगे आया मेरा पाप
आया मेरा पाप
कोई बताए कैसे दुख से मुक्ति पांऊ में
क्या खुद खाऊ और क्या इस प्रजा को खिलाओ में
 इस प्रजा को खिलाओ में
जो करते अपमान शनेश्वर का दुख पाते हैं
शनेश्वर का दुख पाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
शनि के मायाजाल में ऐसे फंसे राजा विक्रम
दुख की गहरी दलदल में फंसते जाते हरदम
फंसते जाते हरदम
राज्य में राजा के देखो यूं हाहाकार मची
राज्य कोष में उज्जैनी के कोड़ी नहीं बची
कोड़ी नहीं बची
शनि राज ने शक्ति विक्रम को जब दिखलायी
चंद्रसेन राजा से सजा चोरी की दिलवाई
चोरी की दिलवाई
चंद्र सैनी ने हाथ पाव कटवा दिए विक्रम के
बैल चलाएं राजा ने तेली का दास बन के
देखकर शनेश्वर राजा की हालत मुस्काते हैं
हालत मुस्काते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राजज
राजा ने सच्चे मन से जब किया शनि का ध्यान
भूल क्षमा कर शांत हो गए पल में शनि भगवान
हो गए पल में शनि भगवान
बोले शनेश्वर विक्रम से मांगो कोई वरदान
राजा बोला मुझ सा कष्ट ना पाया कोई इंसान
कष्ट ना पाया कोई इंसान
कहां शनेश्वर ने रखता है जो पर हित का ध्यान
उस प्राणी की हर मुश्किल मैं करता हूं आसान
मैं करता हूं आसान
राज पाठ राजा का सारा वापस लौटाया
 दया दृष्टि की दे दी फिर से कंचन सी काया
 दे दी कंचन सी काया
राजा ने फिर चरणों के शनि के शीश नवाते हैं
हां शीश नवाते हैं

यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज
शनि देव ने राजा को यह वचन सुनाए है
अहंकार यह था तेरा तूने कष्ट जो पाए हैं
 तूने कष्ट जो पाए हैं
जो भक्त है मेरे सच्चे उनको हर सुख देता हूं
करते जो अपमान मेरा उनको हर दुख देता हूं
उनको हर दुख देता हूं
अपने भक्तों के हृदय में वास में करता हूं
पापी और अधर्मी का नाश मै करता हूं
नाश मै करता हूं
भक्तों की रक्षा का उठाया है मैंने बीड़ा
जिसे भरोसा है मेरा उनको छू न सके पीड़ा
उनको छू न सके पीड़ा
 मुझे पूजने वाले नित आनंद मनाते हैं
नित आनंद मनाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज
उज्जैनी नगरी मैं लौट आई खुशहाली
अन्य धन से भर गए जो भंडारे के खाली
जो भंडारे के खाली
राजा और प्रजा ने मिलकर शनि के गुण गाए
 वह हो गया निहाल शनि दर्शन जिसने पाए
 शनि दर्शन जिसने पाए
सुखकर्ता दुखहर्ता श्री छाया जी नंदन
इसीलिए तो देव भी इनके करते हैं वंदन
करते हैं वंदन
कीर्ति अपार है इनकी आओ कर लो रे पूजा
ऐसा दाता और दयालु कोई नहीं दूजा
कोई नहीं दूजा
 यही जीवन नैया भव से पार लगाते हैं
नैया पार लगाते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज
कहां शनेश्वर ने कलयुग में होता मेरा प्रकाश
सिंगापुर में होगा मेरा मेरे भक्तों मेरा वास
मेरे भक्तों मेरा वास
सच्ची निष्ठा से आएगा जो जन मेरे पास
कष्ट हरूंगा उसके पूरी कर दूंगा हर आस
 पूरी कर दूंगा हर आस
मेरा सुमिरन श्रद्धा से बस करेगा जो इंसान
मनवांछित फल पाएगा जो करेगा मेरा ध्यान
जो करेगा मेरा ध्यान
देकर अपने भक्तों को अपनी शक्ति का ज्ञान
पलंबर में ही शनि देवता हो गए अंतर्ध्यान
हो गए अंतर्ध्यान
शनि शीला के रूप में फिर शिंगणापुर आते हैं
शिंगणापुर आते हैं
यह कितने शक्तिशाली है हम आज बताते हैं
 यह कथा सुनाते हैं
हे सूर्यपुत्र शनि राज रखना भक्तों की लाज
प्रभु तीनों लोगों पे चलता है तुम्हारा राज
 

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