होती तेरी मर्जी है,
श्लोक – सरस्वती ने स्वर दिया,
गुरु ने दिनों ज्ञान,
मात पिता ने जन्म दिया,
कर्म लिखे भगवान।
होती तेरी मर्जी है,
ऐ मेरे बालाजी,
तब लगती अर्जी है,
ऐ मेरे बालाजी,
तब लगती अर्जी है।।
तर्ज – ये मेरी अर्जी है।
श्रीराम दीवाना है,
कहता है सारा जग,
प्रभु राम ने माना है।।
बना सबका सहारा है,
ऐ मेरे बालाजी,
मैंने दिल में उतारा है।।
आया जो भी सवाली है,
काटे हर संकट,
जाता नहीं खाली है।।
बाबा राम दुलारा है,
माता सीता को,
लगता बड़ा प्यारा है।।
‘नयना’ जग की सताई है,
सारे दर छोड़कर,
‘नयना’ दर तेरे आई है।।
‘रतन’ प्रेम का भूखा है,
चलो मेहंदीपुर,
दरबार अनोखा है।।
होती तेरी मर्ज़ी है,
ऐ मेरे बालाजी,
तब लगती अर्जी है,
ऐ मेरे बालाजी,
तब लगती अर्जी है।।
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