फागण आयो रंग रंगीलो,
है ग्यारस की रात,
होली खेले सांवरिया,
अपने भक्तो के साथ।।
तर्ज – सुनो ससुर जी।
जाती नज़र मेरी,
देखूं जहाँ है,
मस्ती का आलम,
दीखता वहां है,
उड़ा रहे सब रंग केसरिया,
उड़ा रहे सब रंग केसरिया,
ले के अपने हाथ,
होली खेले साँवरिया,
अपने भक्तो के साथ।।
धूम मची है कैसी,
कैसा नज़ारा है,
ढोलक मंजीरा बाजे,
बाजे नगाड़ा है,
सब धमाल को गाए झूमकर,
सब धमाल को गाए झूमकर,
खुशियों की बारात,
होली खेले साँवरिया,
अपने भक्तो के साथ।।
मोरछड़ी का झाड़ा,
ऐसा लगाया है,
श्याम प्रेमियों को बाबा,
अपना बनाया है,
‘मन्नू पंडित’ कहे ‘बेधड़क’,
‘मन्नू पंडित’ कहे ‘बेधड़क’,
अपने दिल की बात,
होली खेले साँवरिया,
अपने भक्तो के साथ।।
फागण आयो रंग रंगीलो,
है ग्यारस की रात,
होली खेले सांवरिया,
अपने भक्तो के साथ।।
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