Current Date: 21 Dec, 2024

हिचकी आवन लागि

- स्वाति अग्रवाल


हिचकी आवन लागि,
म्हाने दादी थारे नाम की,
आसी आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी,
म्हारी दादी जी बढ़ासी,
आकर म्हारो मान जी,
आसी आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।

तर्ज – मेहंदी राचन लागी हाथों।

मेहंदी रचास्या हाथां,
चुड़लो घलास्या,
लाल कुसुमल माँ ने,
चुनड़ी उड़ास्या,
सोणा सोणा हार मंगाया,
माँ के ताई आज जी,
आसी आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।

जो भी खुवाश्या म्हे तो,
प्रेम सु मख़ासी,
‘वर्षा’ की आस म्हारी,
दादी जी पुरासी,
बुंदिया भुजिया भोग,
बणायो है टाबरिया आज जी,
आसी आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।

हाथां सु ‘स्वाति’ म्हारी,
दादी ने सजावा,
बनडी बनाके माँ ने,
चौकी पे बिठावा,
‘हर्ष’ चरणा धोक,
लगावा दादी थारे आज जी,
आसी आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।

हिचकी आवन लागि,
म्हाने दादी थारे नाम की,
आसी आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी,
म्हारी दादी जी बढ़ासी,
आकर म्हारो मान जी,
आसी आसी रे मावड़ली,
म्हारे आँगन आज जी।।

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