हे श्याम हम शरणम,
दोहा – श्याम से भक्ति है,
श्याम से शक्ति है,
श्याम से मुक्ति है,
करता जो श्याम सुमिरण,
होता सफल ये जीवन।
हे श्याम हम शरणम,
शरणम,
हे श्याम हम शरणम।।
तर्ज – सत्यम शिवम सुंदरम।
देवी देवता,,,
देवी देवता ऋषि मुनि योगी,
कौशल तेरा बखाने,
दान दिए तुम शीश हरी को,
दिए दान तुम शीश हरी को,
क्षत्रिय वचन निभाने,
वर व्यापी तू अमरम,
हे श्याम हम शरणम।।
निर्बल का बल,,,
निर्बल का बल निर्धन का धन,
अन्धो की तू ज्योति,
भटको का घर तेरा ये दर,
भटको का है घर तेरा ये दर,
भूखों की तू रोटी,
किरपा रहे हरदम,
हे श्याम हम शरणम।।
हारों का तू,,,
हारों का तू एक सहारा,
भक्ति तेरी शक्ति,
कितनी भी मुश्किल हो मेरी उलझन,
कितनी भी मुश्किल हो मेरी उलझन,
दर तेरा बने युक्ति,
करुणामयी शरणम्,
हे श्याम हम शरणम।।
‘निर्मल’ नैया तेरे हवाले,
तू पतवार संभाले,
मर्जी तेरी बिन ओ मेरे बाबा,
मर्जी तेरी बिन ओ मेरे बाबा,
इक पत्ता भी ना हारे,
सत्य है ये ना भरम,
हे श्याम हम शरणम।।
हे श्याम हम शरणम,
शरणम,
हे श्याम हम शरणम।।
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