हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी,
भोले शंकर,
भस्म रमाए भक्त सहाई,
हे कैलाश के वासी,
दिखा दो छवि अविनाशी,
है तेरे भक्त अभिलाषी,
अंखिया दर्शन की प्यासी,
हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी।।
तर्ज – हो लाल मेरी पत रखियो।
नित्य प्रति जो भोले बाबा को ध्याते,
मंदिर में उनका ध्यान लगाते,
पुष्प चढ़ाते भजन है गाते तेरे शंकर,
पुष्प चढ़ाते भजन है गाते तेरे शंकर,
सुन लो पुकार कर उद्धार,
हे कैलाश के वासी,
दिखा दो छवि अविनाशी,
है तेरे भक्त अभिलाषी,
अंखिया दर्शन की प्यासी,
हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी।।
संकट में जब भक्त पुकारे,
पावन तेरा नाम उचारे,
संकट हरते है सबके नीलेश्वर,
कर कल्याण रूप महान,
दिखाओ औघड़दानी,
हे कैलाश के वासी,
दिखा दो छवि अविनाशी,
है तेरे भक्त अभिलाषी,
अंखिया दर्शन की प्यासी,
हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी।।
भक्ति मेरी तेरे चरणों में अर्पण,
ध्यान में तेरे रहे डूबा मेरा मन,
हे शिव शंकर मुझको दो,
निर्मल भक्ति का वर,
सांझ सवेरे दर्शन के तेरे,
है तेरे भक्त अभिलाषी,
हे कैलाश के वासी,
दिखा दो छवि अविनाशी,
है तेरे भक्त अभिलाषी,
अंखिया दर्शन की प्यासी,
हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी।।
हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी,
भोले शंकर,
भस्म रमाए भक्त सहाई,
हे कैलाश के वासी,
दिखा दो छवि अविनाशी,
है तेरे भक्त अभिलाषी,
अंखिया दर्शन की प्यासी,
हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी।।
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