Current Date: 17 Nov, 2024

हम शरण तेरी आए है, झुकाने को ये सर

- संजय मित्तल


हम शरण तेरी आए है,
झुकाने को ये सर,
कर दो उद्धार प्रभु मेरा,
डाल के इक नजर,
हम शरण तेरी आये है,
झुकाने को ये सर।।

तर्ज – हम तेरे शहर में।

इक नजर तेरी खिलाती है,
जिन्दगी की कली,
तेरी नजरों से ही होती है,
रोशन हर गली,
मुझको ये आस है,
मुझपे भी होगी तेरी मेहर,
हम शरण तेरी आये है,
झुकाने को ये सर।।

हारने वालों को बस एक,
ठिकाना है तेरा,
जिसको बस एक सहारा है,
प्रभु एक तेरा,
उसपे पड़ जाती है,
बाबा तेरी दीदारे नजर,
हम शरण तेरी आये है,
झुकाने को ये सर।।

गलती जो भी करी है मैंने,
उसे मानता हूँ,
तेरे दरबार के बारे में,
थोडा जानता हूँ,
थाम लो हाथ प्रभु मेरा,
ले लो मेरी खबर,
हम शरण तेरी आये है,
झुकाने को ये सर।।

हम शरण तेरी आए है,
झुकाने को ये सर,
कर दो उद्धार प्रभु मेरा,
डाल के इक नजर,
हम शरण तेरी आये है,
झुकाने को ये सर।।

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