Current Date: 18 Dec, 2024

हे करुणा मयी राधे

- श्री चित्र विचित्र जी महराज।


हे करुणा मयी राधे,
मुझे बस तेरा सहारा है,
मुझे बस तेरा सहारा है,
अपना लो मुझे श्यामा,
तेरे बिन कौन हमारा है,
तेरे बिन कौन हमारा है,
हे करुणा मयी राधे,
मुझे बस तेरा सहारा है।।

तर्ज – तू प्यार का सागर है।

कोई किसी का नहीं जहाँ में,
झूठी जग की आस,
झूठी जग की आस,
हम बेबस लाचारों की श्यामा,
तुम से यही अभिलाष,
तुम से यही अभिलाष,
दिनों पे कृपा करना,
यही स्वाभाव तुम्हारा है,
यही स्वाभाव तुम्हारा है,
हे करुणा मयी राधें,
मुझे बस तेरा सहारा है।।

गहरी नदिया नांव पुरानी,
डगमग डोले नैया,
डगमग डोले नैया,
बिच भवर में आन फसा हूँ,
पकड़ो मेरी बहियाँ,
पकड़ो मेरी बहियाँ,
कहीं डूब ना जाऊँ मैं,
किशोरी दूर किनारा है,
किशोरी दूर किनारा है,
हे करुणा मयी राधें,
मुझे बस तेरा सहारा है।।

तेरे दर पे जो भी आए,
उनको तुम अपनाती,
उनको तुम अपनाती,
गर्दिश के मारो की श्यामा,
बिगड़ी बात बनाती,
बिगड़ी बात बनाती,
हम जैसे अधमो का,
जीवन तुमने ही सवारा है,
जीवन तुमने ही सवारा है,
हे करुणा मयी राधें,
मुझे बस तेरा सहारा है।।

‘चित्र विचित्र’ अपने कर्मो से,
मन ही मन घबराए,
मन ही मन घबराए,
तेरी कृपा का ले के सहारा,
द्वार तुम्हारे आए,
द्वार तुम्हारे आए,
तेरे दर के सिवा मेरा,
कहीं नहीं और गुजारा है,
कहीं नहीं और गुजारा है,
हे करुणा मयी राधें,
मुझे बस तेरा सहारा है।।

हे करुणा मयी राधे,
मुझे बस तेरा सहारा है,
मुझे बस तेरा सहारा है,
अपना लो मुझे श्यामा,
तेरे बिन कौन हमारा है,
तेरे बिन कौन हमारा है,
हे करुणा मयी राधे,
मुझे बस तेरा सहारा है।।

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