हाथ में डमरू डम डम बाजे, खपर की धार हैं चमके,
दीपक की ज्योति जगमग झलके, त्रिशुल दम दम दमके..
भैरूजी, महिमा निराली दादा कृपा भी हैं न्यारी..
राजा-रंक दोनों तुम्हारे पुजारी,
तुम्हारी सेवा करते हैं नर-नारी ।
सभी भक्त चाहते हैं आशीष तुम्हारा,
नहीं भेद दादा नजर में तुम्हारी ॥
जो भी आएं, वांछित पाएं, जाएं झोली भरके,
खाली हाथ ना लौटे कोई दादा तुम्हारे दर से,
भैरूजी, महिमा निराली दादा कृपा भी हैं न्यारी..
कोई गर तुम्हारे थोड़े गुण भी गाएं,
तो भोले भैरूजी से सब पा जाएं ।
आंखों में भक्त के जो पानी आ जाएं,
दयालु भैरूजी तब खुशियां बरसाएं ॥
मन की कली खिल जाएं, उतना प्रेम का जल बरसे,
जनम जनम की प्यास बुझा दे, भक्त ना प्यासा तरसे..
भैरूजी, महिमा निराली दादा कृपा भी हैं न्यारी..
भैरूजी तुम्हारी सेवा चाहूं दादा,
मेरे के नाथ हो तुम, हो दिल के महाराजा ।
तुम्हारा रहुंगा मैं करता हु वादा,
मेरे मन के भावों को समझो तुम दादा ॥
मनमंदिर में अब तो पधारो, बिछा दी मैंने पलके,
भैरू आओ तो मिट जाएं दुखड़े जीवनभर के..
भैरूजी, महिमा निराली दादा कृपा भी हैं न्यारी..
नाकोड़ा दरबार ने नजरों से देखा,
भक्ति से ही भक्तों की पलटी हैं रेखा ।
सभी तो यहां पर हैं भक्त तुम्हारे,
हर भक्त गीत गाता भैरूजी तुम्हारे ॥
सार नहीं संसार में दादा क्या करना उलझके,
हर उलझन सुलझाते हो तुम, फिर क्यों कोई भटके..
भैरूजी, महिमा निराली दादा कृपा भी हैं न्यारी..
हाथ में डमरू डम डम बाजे, खपर की धार हैं चमके..
दीपक की ज्योति जगमग झलके, त्रिशुल दम दम दमके..
भैरूजी, महिमा निराली दादा कृपा भी हैं न्यारी..
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