नमस्कार
भक्तजनों आप सभी का हमारे चैनल में स्वागत है आज मैं आपको हरियाली तीज की महिमा और उसकी कथा सुनाने जा रही हूं सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय अतिथि को महिलाएं शिव पार्वती का विशेष पूजन करती हैं वही शुभ दिन हरियाली तीज कहलाता है हमारे देश के अधिकांश जगहों पर यही पूजन आषाढ़ तृतीय को मनाया जाता है हरियाली तीज को हरितालिका तीज भी कहा जाता है नाम अलग होने के बावजूद भी दोनों में पूजन एक जैसा ही होता है अतः कथा भी एक एक जैसी है इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन जल के व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद ही व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं ऐसा कहा जाता है कि शिव जी ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी आइए अब मैं विस्तार से आपको कथा सुनाती हूं एक दिन शिव पार्वती कैलाश पर बैठकर विश्राम कर रहे थे तब पार्वती जी ने शिव जी से पूछा नाथ आप तो सर्व ज्ञाता है कृपा कर मुझे मेरी पूर्व जन्म की कथा बताने का कष्ट करें पार्वती की बात सुन शिवजी कहते हैं हे पार्वती जब युवावस्था में तुम म्हारे मन में मेरे प्रति आस्था जगी तब तुमने मुझे पाने के लिए कठोर तप करने का निश्चय किया इसके उपरांत अपना घर बार सुख समृद्धि त्याग कर हिमालय में चली आई और मुझे वर के रूप में पाने के लिए अन्न जल त्याग पत्ते खाए सर्दी गर्मी बरसात में कष्ट सहते हुए घोर तप करना प्रारंभ किया अपनी बेटी का हट और कष्ट देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे एक दिन अचानक नारद जी तुम्हारे घर पधारे और कहा नारायण नारायण मैं विष्णु जी के कहने पर आपके पास आया हूं वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर उनसे विवाह करना चाहते हैं क्या आपको उनका यह प्रस्ताव स्वीकार है आप कृपया अपनी राय बताएं पर्वतराज यह सुनकर अति प्रसन्न हुए और वह तुम्हारा विवाह विष्णु जी से करने के लिए तैयार हो गए उन्होंने कहा यह तो मेरा सौभाग्य होगा मुझे इस विवाह से कोई आपत्ति नहीं नारद जी यह सुख समाचार लिए स्वर्ग लोक में आए और शुभ समाचार विष्णु जी को सुनाया यह खबर जब तुम्हारी सखियों ने तुम तक पहुंचाई तो तुम अत्यंत दुखी हो गई तुम्हारे मन में केवल शिव जी बसे हुए थे अतः विष्णु जी के प्रस्ताव को तुमने ठुकराते हुए अपनी सहेली से अनुरोध किया हे सखी मेरे मन में शिव जी का वास है मैं उस स्थान पर मैं किसी और किसी को कैसे विराजित कर सकती हूं तुम्हारी सखी ने तुम्हें सहायता करने का वचन दिया उसी की सहायता से तुम ऐसी गुफा में छिप गई जहां कोई भी तुम तक आसानी से नहीं पहुंच पाता गुफा में जाने के बाद पुनः तुम तप करने लगी इधर तुम्हारे पिता पर्वतराज को अपनी पुत्री के ना मिलने पर बहुत दुख हुआ इसके साथ ही तुम्हारे पिता इस बात पर भी चिंतित थे कि यदि पुत्री ना मिली तो वह विष्णु जी के समक्ष वह अपना मुख कैसे दिखाएंगे यदि बारात लेकर विष्णु जी आ जाएं तो कितनी लज्जा की बात होगी पार्वती ने पूछा स्वामी फिर क्या हुआ शिव जी ने आगे पार्वती जी से कहा तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती पाताल एक कर दिया पर तुम ना मिली तुम गुफा में अपनी सुध बुध खोकर रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी तू तुम्हारी इस निष्ठा और लगन से किए तप को देखते हुए मुझसे और रहा नहीं गया और अंततः मुझे आना ही पड़ा मुझे अपने समक्ष देखकर तुम अत्यंत प्रसन्न हो गई थी मैंने तुम्हारे कठिन तप से प्रसन्न होकर तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का वचन दिया तुमने मुझसे अपनी अर्धांगिनी बनाने की प्रार्थना की मैंने कहा तथास्तु इसके बाद मैं कैलाश पर वापस आ गया तभी तुम्हारे पिता भी ढूंढते हुए गुफा तक आ पहुंचे तब तुम ने उन्हें बताया कि मैंने यह कठोर तप शिवजी को पाने के लिए किया था और आज मैं मेरा तप सफल हुआ शिव जी ने आज ना केवल मुझे दर्शन दिए बल्कि उन्होंने वरणकर अपनी अर्धांगिनी बनाने का वचन भी दिया है अब मैं आपके साथ केवल एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिव जी से करने को राजी हो आखिरकार पर्वतराज को तुम्हारी बातों के आगे झुकना ही पड़ा उन्होंने नारद जी के माध्यम से विष्णु जी से विवाह के प्रसताव को पुरा ना कर पाने के लिए क्षमा मांगी तदोपरांत हमारा विवाह तय हुआ और कुछ दिनों के बाद मैं विधिवत विधान के साथ हमारा विवाह किया गया पार्वती जी ने जब अपने पूर्व जन्म की यह कथा सुनी तो उनके मुख्य मंडल पर हर्ष उमड़ पड़ा जब शिव जी ने कहा हे पार्वती तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फल स्वरुप हमारा विवाह हो सका सचमुच तुमने अत्यंत निष्ठा पूर्वक इस व्रत को संपन्न किया आज भी इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मन वांछित फल देता हूं उसे मैं तुम जैसा अचल सुहाग का वचन प्राप्त होता है इतना कह शिव जी ने अपनी कथा समाप्त कर दी भक्तजनों इसके बाद प्रति वर्ष हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं इस दिन स्त्रियों के मायके से सिंगार का सामान आता है और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान के बाद सोलह सिंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं इसके बाद वह लोग पूरे भक्ति भाव से शिव पार्वती जी की पूजा करते हैं पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन पर लोक नृत्य किए जाते हैं इस दिन स्त्रियां हरे वस्त्र हरी चुनरी हरा सिंगार मेहंदी आदि लगाती हैं हरियाली तीज के दिन झूला झूलने की भी परंपरा है यदि आपको हमारी यह कथा अच्छी लगी हो तो अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें और साथ ही हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें मैं फिर एक बार नई एक नई कथा लेकर आपके समक्ष आऊंगी तब तक के लिए नमस्कार
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