स्थायी :- गाँव गली और शहर में चर्चा है सरेआम
हारे का है साथी खाटू का बाबा श्याम
1.
अंतरा :- है उन्नीस दस की घटना
कोरस :- है उन्नीस दस की घटना
रहते थे माँ बेटे पटना
कोरस :- रहते थे माँ बेटे पटना
माँ थी बाबा श्याम पुजारन
कोरस :- माँ थी बाबा श्याम पुजारन
करती थी नित पूजा अर्चन
कोरस :- करती थी नित पूजा अर्चन
बेटे की थी बाल अवस्था
कोरस :- बेटे की थी बाल अवस्था
दिखलाया मंदिर का रस्ता
कोरस :- दिखलाया मंदिर का रस्ता
संग अपने मंदिर ले जाती
कोरस :- संग अपने मंदिर ले जाती
श्याम धनि की कथा सुनाती
कोरस :- श्याम धनि की कथा सुनाती
बेटा हो गया श्याम दीवाना
कोरस :- बेटा हो गया श्याम दीवाना
आया लबो पे श्याम तराना
कोरस :- आया लबो पे श्याम तराना
श्याम की कृपा लगी बरसने
कोरस :- श्याम की कृपा लगी बरसने
लगी जिंदगी मजे से कटने
कोरस :- लगी जिंदगी मजे से कटने
मैया उस पर प्यार लुटाती
कोरस :- मैया उस पर प्यार लुटाती
मुखड़े पर बलिहारी जाती
कोरस :- मुखड़े पर बलिहारी जाती
लाड प्यार से बेटा बिगड़ा
कोरस :- लाड प्यार से बेटा बिगड़ा
गलत रस्ता उसने पकड़ा
कोरस :- गलत रस्ता उसने पकड़ा
तोड़ :- यारो के संग जुआ खेले रोजाना सुबह शाम
हारे का है साथी खाटू का बाबा श्याम
2.
अंतरा :- यारो के रंग रंग गया बेटा हुआ मुक्कद्दर माँ का हेटा
बेटे को समझाय के हारी बेटा बन गया बड़ा जुआरी
बेच दिए सब माँ के गहने दुःख मैया को पड़ गए सहने
यारो के संग मौज उडाता रोज रात को घर ना आता
खेल रहा जब एक दिन जुआ तभी पुलिस का आना हुआ
पुलिस पकड़कर ले गयी थाना किया जेल को तुरत रवाना
जेल से कैसे होगी रिहाई खबर को सुनकर माँ घबराई
पास नहीं है मेरे पैसा पायी श्याम धनी मेरी करो सहाई
तोड़ :- श्याम धनी के आगे रोटी ले बाबा का नाम
हारे का है साथी खाटू का बाबा श्याम
3.
अंतरा :- श्याम धनी ने कृपा लुटाई टूटे दिल में आस जगाई
जब अंबर में नजर उठायी लीला घोडा पड़ा दिखाई
माँ ने सोचा है कोई सपना तभी गिरा कुछ उसके अंगना
माँ ने खोली आंख दुबारा चकित रह गयी देख नजारा
भरा नॉट से पर्स खचाखच माँ को आया नजर यकायक
देर लगी ना उसको समझते श्याम ने भेजे गगन के रस्ते
पर्स उठा सीने से लगाया बाबा का आभार जताया
बोली जय हो लखदातारी बिगड़ी मेरी बात सवारी
तोड़ :- घर से बाहर जाए बिना ही कर डाला इंतजाम
हारे का साथी खाटू का बाबा श्याम
4
अंतरा :- फिर ना उसने देर लगाई भर जुरमाना बैल कराई
जेल से बाहर बेटा आया झट से माँ ने गले लगाया
बेटा बोलै तू क्यों आयी मेरी जमानत क्यों करवाई
जमकर मैया को फटकारा मुझे ना चाहिए प्यार तुम्हारा
नहीं रहना मुझे संग में तेरे डालूंगा किसी देश में डेरे
छोड़ चला माँ को बेदर्दी टूट गयी माँ की हमदर्दी
नहीं देखा बेटे में मुड़कर मैया रोवे याद में कुड़कर
सूज गए रो रो के नैना बिन बेटा के सबर बधेना
तोड़ :- बेटे की यादो में माँ का जीना हुआ हराम
हारे का है साथी खाटू का बाबा श्याम
5
अंतरा :- करे श्याम से मैया बिनती माफ़ करो प्रभु मेरी गलती
अब ना और सजा दो मुझको बेटे से मिलवा दो मुझको
बिन बेटा के जी ना पाउ पटक पटक सिर में मर जाऊ
श्याम धनी अब तेरी दुहाई शीघ्र कीजिये मेरी सहाई
बेटा पंहुचा चण्डीगढ में करी नौकरी पंडित घर में
पंडित भी था बाबा प्रेमी भजन पाठ का पक्का नेमि
हार ग्यारस पे खाटू जाता बेटे को भी संग ले जाता
दर्शन करके बेटा बदला भूल गया वो जीवन पिछला
तोड़ :- आने लगा दुबारा उसको याद पैतृक गाम
हारे का साथी है खाटू का बाबा श्याम
6.
अंतरा :- ग्यारस आयी फागुन वाली
माँ दर्शन को खाटू चाली
निशान उठाया श्याम धनी का
ध्यान लगाया श्याम धनी का
धौक लगा के शीश उठाया
अपने सन्मुख बेटा पाया
मुंह मांगी उसे मन्नत मिल गयी
ख़ुशी से उसकी बांहे खिल गयी
बोली जय हो शीश के दानी
खूब दिखाई कारिस्तानी
तेरी अजब अनोखी माया
माँ बेटे का मिलान कराया
यु ही कृपा बनाये रखना
चरणों से लिपटाये रखना
आती रहू में द्वार तुम्हारे
करते रहना न्यारे वारे
तोड़ :- कहे अनाड़ी नाम श्याम का बिगड़े बनाय काम
हारे का है साथी खाटू का बाबा श्याम
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