कोरस :- ओ ओ ओ ओ आ आ आ आ
M:- बजरंग दया निदान ,तुम्हारी जय हो वीर हनुमान
कोरस:- बजरंग दया निदान ,तुम्हारी जय हो वीर हनुमान
ओ ओ ओ ओ आ आ आ आ
वार्ता :- भक्तजनो अब आपकोश्रीहनुमान और शनिदेव काएकरोचक प्रसंग सुनाता हूँ भक्तोशनिदेव एक ऐसे देव है जिनके क्रोध भाव और कोप से मानव दानव और देवगण आदि भयभीत हो जाते है इनकी टेढ़ी दृष्टि जिसपे भी पड़ जाय वो तबाह और बर्बाद हो जाता है इसलिए शनिदेव का कभी भूले से भी अपमान ना करे अब हम जो कथा आपको सुनाने जा रहे है वो हनुमान और शनिमहाराज की ऐसी कथा है जिसे सुन कर आप भी मोहित हो जायेंगे तो आइये इस कथा का प्रारम्भ करे -
१
M:- एक दिन नदी किनारे बैठे हनुमान हमारे
प्रभु का ध्यान लगाए राम का नाम उचारे
कोरस :- प्रभु का ध्यान लगाए राम का नाम उचारे
M:- तभी शनिदेव जी आये देख हनुमत चकराए
किया प्रणाम शनि को कहो प्रभु कैसे आये
कोरस :- किया प्रणाम शनि को कहो प्रभु कैसे आये
M:- सावधान करने तुम्हे आया सावधान करने तुम्हे आया पवन पुत्र हनुमान
कोरस :- तुम्हारी जय हो वीर हनुमान तुम्हारी जय हो वीर हनुमान -2
M:- तुम्हारी जय हो वीर हनुमान तुम्हारी जय हो वीर हनुमान -2
कोरस :- जय महाबली जय महाबली जय महाबली
वार्ता :- भक्तो विधान का लिखा कभी टलता नहीं हनुमान पे मंत्र कोई चलता नहीं फिर बोले
शनिदेव जी -
२
M:- सुनो तुम बजरंगबली वचन न जाए खाली
दशा साढ़े साती की तुम पे अब आने वाली
कोरस :- दशा साढ़े साती की तुम पे अब आने वाली
M:- बोले हनुमान गुसाई बात कुछ समझ नआई
आप क्या बोल रहे हो खबर क्या तुमने सुनाई
कोरस :- खबर क्या तुमने सुनाई खबर क्या तुमने सुनाई
M:- देता हु चेतावनी हनुमत देता हु चेतावनी हनुमत सुनो मेरा एलान
कोरस :- दशा मेरी है बड़ी बलवान दशा मेरी है बड़ी बलवान
M:- दशा मेरी है बड़ी बलवान दशा मेरी है बड़ी बलवान
कोरस :- ओ ओ ओ ओ आ आ आ आ
वार्ता :- तब हनुमान जी बोले है सूर्य पुत्र शनि तुमने जो बात कही उसे विस्तार से समझाये हनुमान जी से शनिदेव कहने लगे है हनुमान में तुम्हे सावधान करता हु आज से मेरा साढ़े साती काल का प्रारम्भ होने वाला है इसी लिए है पवन पुत्र आप सावधान हो जाइये में आपके शरीर में प्रवेश करने जा रहा हु तब हनुमान जो बोले सुनो सूर्य पुत्र आप मेरे शरीर में प्रवेश नहीं कर सकते शनि क्रोधित होकर बोले क्यों हनुमान आपको मेरी शक्ति पर कोई शंका है नहीं शनिदेव आप तो सब तरह से समर्थ है जो बात में आपको कह रहा हु उसे ध्यान से सुने -
३
M:- मेरे तन मन में राम है मेरे जीवन में राम है
आपको कहाँ बिठाऊ बड़ा मुश्किल ये काम है
कोरस :- आपको कहाँ बिठाऊ बड़ा मुश्किल ये काम है
M:- मेरे बज्जर शरीर तो राम के लिए बना है
तुम्हारे लिए शनिश्वर कोई नहीं खाली जगह है
कोरस :- कोई नहीं खाली जगह है कोई खाली जगह है
M:- क्रोधित होकर हनुमान से क्रोधित होकर हनुमान से बोले शनि भगवान
न अपने बल पे करो अभिमानन अपने बल पे करो अभिमान
कोरस :- तुम्हारी जय हो वीर हनुमान तुम्हारी जय हो वीर हनुमान
M:- तुम्हारी जय हो वीर हनुमान तुम्हारी जय हो वीर हनुमान
कोरस :- जय महाबली जय महाबली जय महाबली
वार्ता :- भक्तो जब हनुमान जी ने शनिदेव को समझाया की आप मेरे शरीर में प्रवेश नहीं कर सकते क्योकि मेर रोम रोम में सिर्फ राम ही राम बसे है आप के लिए कोई स्थान ही नहीं में आपको कहा बिठाऊ तब शनिदेव बोले सुनो हनुमान -
४
M:- देवता असुर ये सारे मेरे इस कोप से हारे
पड़े जहाँ टेढ़ी दृष्टि दिखे उसे दिन में तारे
कोरस :- पड़े जहाँ टेढ़ी दृष्टि दिखे उसे दिन में तारे
M:- मुझे निर्बल ना जानो मेरी शक्ति पहचानो
लोक पर लोक में सबहि मेरे बोले जैकारे
कोरस :- मेरे बोले जैकारे मेरे बोले जैकारे
M:- मेरे आगे टिक नहीं पाते मेरे आगे टिक नहीं पाते बड़े बड़े बलवान
न माने बात शनि भगवान न माने बात शनि भगवान
कोरस :- न माने बात शनि भगवान न माने बात शनि भगवान
कोरस :- ओ ओ ओ ओ आ आ आ आ
वार्ता :- हनुमान तुम्हे मेरे वारे से कोई ज्ञान नहीं मेरी शक्तिको देखना चाहते हो तो सुनो साढ़ेसाती की ढाई वर्ष में जिव के पेरो में रहकर उसे दर दर भटकाता हु और ढाई वर्ष में उसके शीश पे रहकरउसकी ज्ञान और बुद्धि को पूरी तरह भ्र्ष्टकर देता हूँ और अंतिम ढाई वर्ष में उसकेमुखमेंप्रवेशकरसुखशांतिऔरउसकी धन सम्पति सब हर लेता हूँ उसे दरिद्र बनाकर छोड़ देता हु यही विधाता ने मुझे कार्य दिया है हनुमान फिर कहने लगे सुनो सूर्यपुत्र शनिदेव मेरी बात -
५
M:- मैं तो हु राम पुजारी भाये ना दुनियादारी
राम की सेवा में ही बीते दिन रेन हमारी
कोरस :- राम की सेवा में ही बीते दिन रेन हमारी
M:- प्रभु के सिवा मुझे तो कोई भी ज्ञान न भाये
राम ही मेरे स्वामी जगत के अन्तर्यामी
कोरस :- जगत के अन्तर्यामी जगत के अन्तर्यामी
M:- रोम रोम में राम बसे है राम मेरे भगवान
उन्ही का करता हु मैं ध्यान उन्ही का करता हु मैं ध्यान
कोरस :- तुम्हारी जय हो वीर हनुमान तुम्हारी जय हो वीर हनुमान
जय महाबली जय महाबली जय महाबली
वार्ता :- शनिदेव बोले राम रूपी ज्ञान तो तुम ले ही ले चुके हो हनुमान अब आप हमारी साढ़े साती का ज्ञान भी ले लीजिये अवश्य शनिदेव कृपा कीजिये जब मेरी साढ़े साती आती है तो कष्टों से कापने लगता है हर प्राणी अशुभ कार्य होने लगत है रोग व्याघिद से बुरी तरह घेर लेती है और उसकी हर तरफ से पराजय ही मिलतीहै और सुनिये हनुमान -
६
M:- कोप से घिरे जो प्राणी बोलता अशुभ ये वाणी
कार्य कोई बन न पाए बहे आँखों से पानी
कोरस :- कार्य कोई बन न पाए बहे आँखों से पानी
M:- कष्ट मिलते जीवन में ग्लानि रहती है मन में
राजाविक्रम भी भटका मेरी खातिर वो वन में
कोरस :- मेरी खातिर वो वन में मेरी खातिर वो वन में
M:- इसलिए हनुमान तुम्हे इसलिए हनुमान तुम्हे समझता हु ये ज्ञान
करे न कोई मेरा अपमान करे न कोई मेरा अपमान
कोरस :- करे न कोई मेरा अपमान करे न कोई मेरा अपमान
ओ ओ ओ ओ आ आ आ आ
वार्ता :- अब सुनो हनुमान मेरी साढ़े साती आप पर अभी से प्रारम्भ हो गयी में आप में प्रवेश करने वाला हु हनुमान जी कहने लगे सुनो शनिश्चवर तुम अगर हठ कर ही चुके हो तो श्री राम के इस तुच्छ भक्त में आप प्रवेश करना चाहते हो तो आपका स्वागत है आप आइये आप अपने नियम का पालन कीजिये और मुझे जो करना है वो करूँगा शनि का जब पहला प्रकोप सर पे हुआ तो हनुमान राम नाम की रट न लगाने लगे और अपना चमत्कार दिखाने लगे -
७
M:- शनि जब शीश पे आये लीला हनुमान दिखाए
पूछ से उठा के पर्वत शीश पर रखते जाए
कोरस :- पूछ से उठा के पर्वत शीश पर रखते जाए
भार उन पर्वतो का शनि जब सेह ना पाए
बचा लो प्राण प्रभु जी शनि बाबा चिल्लाये
कोरस :- शनि बाबा चिल्लाये शनि बाबा चिल्लाये
M:- अब ना कभी आऊंगा तुम पर अब ना कभी आऊंगा तुम पर क्षमा करो हनुमान
कोरस :- तुम्हारी जय हो वीर हनुमान तुम्हारी जय हो वीर हनुमान
जय महाबली जय महाबली जय महाबली
वार्ता :- शनि गिड़गिड़ाने लगे हनुमान जी से विनती करने लगे प्रभु मेने आपके शीश पे प्रवेश किया आप बड़े बड़े पर्वतो को शीश पर रखने लगे इनके अति भार को में सेह नहीं पा रहा हु इनके बोझ तले में दबा जा रहा हु मेरे प्राणो की रक्षा करो प्रभु में फिर कभी आपके ऊपर नहीं आउगा मेरी रक्षा करो प्रभु हनुमान जी बोले मेरे ऊपर ही नहीं जितने भी राम और हनुमान भक्तो को आप नहीं सतायेंगे इसी शर्त पे में तुम्हे मुक्त करूँगा शनि बोले में वचन देता हु की आपकेऔर श्री राम के भक्तो को कभी कष्ट नहीं दूंगा हनुमान जी ने उन्हें मुक्त किया शनि बोले प्रभु मेरा शरीर बहुत दुःख रहा है क्या मुझे आप तिल और थोड़े तेल देंगे हनुमान बोले में तो नहीं पर जितने तुम्हे पूजने वाले है आपके द्वार आएंगे वो आपको तिल और तेल चढ़ाकर आपको प्रसन्न करेंगे -
८
M:- कथा शनि हनुमान की सुनो गाथा ये ज्ञान की
जो आये साढ़े साती करो सुध हनुमान की
कोरस :- जो आये साढ़े साती करो सुध हनुमान की
M:- जो गुणहनुमान के गाये शनि न उसे सताये
साढ़े साती से मुक्ति हमें हनुमान दिलाये
कोरस :- हमें हनुमान दिलाये हमें हनुमान दिलाये
M:- महाबली हनुमान की लीला महाबली हनुमान की लीला भक्तो बड़ी महान
कोरस :- तुम्हारी जय हो वीर हनुमानतुम्हारी जय हो वीर हनुमान
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