M:- भक्तजनो जय सिया राम आइये पवन पुत्र अंजनी नंदन राम जी के दुलारे हनुमान जी की कथा सुनिए
कोरस :- जय जय श्री राम की जय बोलो हनुमान की -२
M:- केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है -२
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- जय जय श्री राम की जय बोलो हनुमान की -२
M:- कमला पति ले रहे धारा त्रेता में अवतार सुनो
पापो से बोझिल वसुधा का प्रभु हारेंगे भार सुनो
सोच रहा हूँ मै भी उनका सेवक बन के जाऊं वहां
इष्ट देव की सेवा कर के जीवन धन्य बनाऊ वहां
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्त जन अपनी भक्ति आस्था और कर्म से श्री हनुमान जी सभी देवी देवताओ के प्रिय है भगवान् शंकर भगवती पार्वती के साथ कैलाश में विराजमान थे उनकी भूरी रंग की जटाओं में गंगा बिहार कर रहती थी मस्तक के एक कोने पर चन्द्रमा सोभित हो रहा था गले में सर्पो की माला भुजाओं में ललाट रक्त चंदन का टिका भोलेनाथ की सोभा को अदुतीय बनाये हुए थे सामने नंदनी बैठा था और कुछ दूर पर उनके अनुचर खेल रहे थे एककाएक राम राम कहते हुए उन्होंने समाधी भंग की पार्वती की और विचित्र भाव से देखने लगे पार्वती जी ने कहा क्या बात है प्रभु मेरी और ऐसे क्यों देख रहे हो क्या मुझसे कुछ अपराध हो गया या और कोई विशेष बात है भोलेनाथ ने कहा नहीं देवी तुमसे कोई अपराध नहीं हुआ पार्वती जी ने कहा फिर क्या बात है फिर क्या बात है बताइये ना भोलेनाथ कहने लगे देवी सारे देवता उनकी सेवा में धरती पर जा रहे है मै इस अवसर से वंचित नहीं रहना चाहता नर रूप में नारायण इकच्वाकु वंश में जन्म लेंगे श्री रामचंद उनका नाम होगा उनके दर्शन के लिए मुझे जाना पड़ेगा यह सुनकर पार्वती जी दुखी हो गई
M:- कई जन्म तप किया प्रभु तो मिला तुम्हारा साथ
ये कैसा संजोग आ गया बिछड़ रहे हो नाथ
बिना तुम्हारे मै ये जीवन कैसे जी पाउंगी
शिव वियोग को हे नागेश्वर कैसे सह पाउंगी
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों भोलेनाथ ने देखा की पार्वती कुछ चिंतित हो गई है पूछने लगे क्या बात हो गई देवी अभी तो तुम प्रसन्नचित थी और और अचानक तुम चिंता ग्रस्त हो गई मै समझ गया तुम्हे मेरा वियोग सत्ता रहा है बड़े प्यार से भोलेनाथ जी ने कहा पार्वती जी मै तुम्हे छोड़ कर नहीं जाऊंगा अरे मै तो अपना अंश भेजूंगा उसी द्वारा मई प्रभु श्री राम की लीलाओं का दर्शन करूंगा और तुम्हे भी करूंगा मै सदैव तुम्हारे ही पास रहूंगा इतना सुनते ही पार्वती जी भोलेनाथ जी के चरणों में नतमस्तक हो गई चहेरे पर प्रसन्नता की मुस्कान बिखर गई भोलेनाथ ने उन्हें बाहों से उठाकर सिने से लगा लिया इसी समय भोलेनाथ का आसान डगमगा उठा भोलेनाथ ने सोचा क्या बात है आसान क्यों हिलने लगा ध्यान लगा के देखा तो हिमालय की घाटियों में असुर भस्मासुर भोलेनाथ का तप पूर्ण कर चुका था और भोले के प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रहा था उसका तप देख कर भोलेनाथ प्रसन्न हुए और प्रकट हो कर बोले
भोले बोले भस्मासुर से तू है भक्त महान
तेरे तप से अति प्रसन्न हूँ क्या मै दूँ वरदान
भस्मासुर चालाक असुर था बोलै भोलेनाथ
भस्म करूँ मैं जिसके सर पे रख दूँ अपना हाथ
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों भस्मासुर की बात सुनकर भगवान् भोलेनाथ ने उसे एवमस्तु कह दिया यानि भस्मासुर को यह वर दिया वह जिसके सर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जायेगा प्रेमीजनों भोलेनाथ तो सचमुच ही भोले है जिसने उन्हें आत से पुकारा उन्होंने शीघ्र ही उसका समाधान किया वो ओघड़ दानी है दोनों हाथो से उड़ेलते है वो करुणा के सागर है उनके जितना दानी दुसरा कोई नहीं है वह आशुतोष है निर्विकार और मोह रहित है प्रेमीजनों सारे देवी देवताओं को तो महंगी महंगी भेट चढ़ाई जाती है उन्हें क्या देते है आप एक लोटा जल बेलपत्र धतूरे के फल यही सब तो आप चढ़ाते है इतने पर भी भोले बाबा प्रसन्न हो जाते है ह्रदय से पुकारिये वह अवश्य सुनते है आशुतोष तुम औढरदानी आरती हारून दीं जन जानी भक्तजनो शरण में आये हुए प्राणी का भोले बाबा गुण और दोष नहीं देखते उसके पाप शाप अपराध सब क्षमा कर देते है वह उसे केवल उसे अपना भक्त जानते है ऐसे ही भस्मासुर को भी उसको अपना भक्त समझा उसके मन में क्या चालाकी है इस पर भोलेनाथ ने ध्यान नहीं दिया और दिहार भस्मासुर ने क्या किया वह दुष्ट पापी खुद कहता है
भोले नाथ तुम्हारे सर पर रख दूँ पहले हाथ
यदि तुम जल के भस्म हो गए तब ये वर है साँच
संकट में अब प्राण में पड़ गए सोचे भोलेनाथ
दुष्ट असुर रखेगा अब तो मेरे सर पर हाथ
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो भगवन भोलेनाथ तो भागने लगे प्रभु बचाओ प्रभु मेरी रक्षा करो भक्तो लीला देखिये भगवानो के साथ भी कैसी कैसी विपत्ति आती है जहाँ उनकी बुद्धि भी काम नहीं आती है ऐसा ही तो हुआ था मायापति भगवान् श्री राम के साथ ये जानते है की सोने का मृग नहीं होता फिर भी संयोगवस उसके पीछे पीछे भाग लिए और यहाँ सीता जी का हरण हो गया प्रेमीजनों विपत्ति के दिनों में अच्छे अच्छे ग्यानी भी विवेकहीन हो जाते है कोई उपाए काम नहीं आता अब भोलेनाथ को ही देख लीजिये भोलेनाथ आगे आगे और भस्मासुर पीछे पीछे नदी नाले वन पर्वत डाकटे हुए भोलान्थ हफ्ते हुयी अवसर पाकर के वह एक झाडी में छुप गए भस्मासुर चारो और उन्हें ढूंढ़ने लगा इधर भगवान विष्णु ने भगवान् भोलेनाथ की पुकार सूनी
कमला पति ने सूनी शम्भु की दुःख से सूनी पुकार
शीघ्र मोहनी रूप बना के आ पहुंचे करतार
छम छम करती त्रिपुर सुंदरी आयी नारी नवेली
छुप छुपके तरुवर के पीछे करती थे अटखेली
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों नियति का खेल देखिये भस्मासुर सब कुछ भूल गया की मै शिवजी के पीछे भाग रहा था और वह त्रिपुर सुंदरी के आगे पीछे घूमने लगा प्रेमीजनों मायावी राक्षस तामसी पृवत्ति वासना से परिपुर भस्मासुर भोलेनाथ को भूल गया उसके प्राण मोहनी के मोह में पड़ गए उसकी नियत तो पहले ही खराब थी उसने सोचा था यदि भोलेनाथ भस्म हो जायेंगे तो वो पार्वती को उठा कर ले जायेगा कामी पुरुष कभी ईश्वर का लाभ नहीं उठा पाता अब देखिये भगवान् विष्णु की लीला मोहनी
घंटो लुका छुपी का खेल खेलती रही और मोहित भस्मासुर पागल हो कर मोहनी के पीछे पीछे भागता रहा अंतः मोहिनी भस्मासुर के सामने आई भस्मासुर मोह ग्रस्त का था ऐसा रूप लवणीय उसने कभी ने नहीं देखा था भस्मासुर बोला
नारी नवेली आज अकेली वन में कहा से आयी
सही ना जाए मुझसे तेरे यौवन की अंगड़ाई
मोहित हूँ मै रूप पे तेरे मुझसे व्याह रचा लो
तुम्हे बनाऊंगा पटरानी मुझसे सप्त करा लो
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो वह बोला सुंदरी मै असुरो का राजा भस्मासुर हूँ सर्वश्रेष्ठ बलवान हूँ भस्मासुर की बात सुनकर मोहिनी मुस्कुरा कर बोली मै तुमसे विवाह करने के लिए तैयार हूँ परन्तु तुम्हे मेरे साथ पहले नृत्य करना होगा भस्मासुर प्रसन्न हो गया बोला तुम्हारी शर्त मुझे मंजूर है चलो मै तुम्हारे साथ नृत्य करता हूँ तो मोहनी ने कहा एक हाथ कमर पर और एक हाथ सर पर रख के नाचो जैसे मै नाचती हूँ कामी पुरुष वासना में बुद्धि विवेक खो देता है प्रेमीजनों भस्मासुर के साथ भी वही हुआ अब मोहिनी रूप में भगवान् विष्णु ने भोलेनाथ को पुकारा भोलेनाथ झाडी से बहार निकलो देखो तुम्हरा महाकाल राख का ढेर हो गया भोलेनाथ बहार आये और राख का ढेर देख कर उसी में लोट गए परन्तु मोहनी के रूप में उन्हें पार्वती जी नजर आयी और उनका अंश बहार निकल पड़ा
धार के अपना रूप विष्णु जी शिव के सामने आये
पवनदेव को शीघ्र वही पर कमलापति बुलवाये
शिव का अंश करो स्तापित सही जगह ले जा कर
किसी दुष्ट के हाथ लगे ना रखना इसे छुपा के
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो भगवान् विष्णु ने कहा पवन देव यह महादेव का अंश है इसको हनुमान बनाना है भक्तो का दुःख दूर करना है पवन देव शिव का अंश एक बांस की पुंगी में ले कर उड़ चले अब पवन देव उड़े जा रहे है उड़े जा रहे है और चारो और अपनी दृष्टि दौड़ाते जा रहे है की कही कोई उचित स्थान और उचित पात्र मिले जहाँ शिव का अंश फलित हो सके एक निर्जन स्थान पर नदी के किनारे पतिव्रता अंजना आंखे मुंद कर आराधना में लीं थी पवन देव को लगा यही नारी उचित पात्र है स्थान भी उचित है फिर क्या था तुरत आकश से उतरे और धीरे से अंजना के कान में शिव भोले का अंश डाल के फूंक दे पवन देव ने इसी क्रिया के साथ आशीर्वाद दिया हे देवी इस परम अंश से व्यापी महावीर और कीर्तिमान यश्वी और ईश्वर भक्त पुत्र की प्राप्ति हो यह कह के पवनदेव उड़ चले पवन देव हनुमान जन्म के हम करता है इसीलिए भक्तो हनुमान जी को पवन पुत्र कहा जाता है अब हम आपको अंजना के बारे ने बताते है
पुंजा स्थल इंद्रलोक की एक अप्सरा प्यारी
ऋषियों का अपमान किया तो श्राप मिल गया भारी
वानर योनि मिले तझको पर रूप बदल सकती है
जा से सुमेर गिरी गौतम के घर ऋषियों की बस्ती
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों पुंजिक स्थला केशरी राज की रानी बन गई प्रेमीजनों इंद्र के दरबार में अप्सराओं का निवास है ये अप्सराएं नित्य गान तो करती ही है अपने सोंद्रय से ऋषियों का तप भंग करती है एक बात हम बताते दे आपको इन्हे यौवन क्रीड़ा का पात्र मत समझिये ये देवी शक्ति से भरपूर रहती है क्यों की देव लोक की रहने वाली होती है ये श्रापित हो कर अगर मृत्यु लोक में आती है तो भी इन्हे अच्छा कुल ही मिलता है अब देखिये पुंजिकस्थला ने ऋषियों से बंदरो जैसी उटपटांग हरकत की ऋषिगण नाराज हुए और वानर योनि में जाने का श्राप दे दिया जब पुंजिकस्थला ने ऋषियों से क्षमा मांगी तो उसे इच्छा अनुसार रूप बदलने का वर मिल गया और साथ ही वीर पुत्र भी प्राप्त करने का वर मिला वह गौतम ऋषि के घर जन्मी केशरी राज से व्याह हुआ और हनुमान जैसे राम भक्त महावीर पुत्र हनुमान को जन्म दिया विधि का विधान विचित्र है ईश्वरी माया को कोई नहीं जानता सब कुछ पहले से ही बना बनाया होता है शिव का अंश तो तो अंजनी के गर्भ में पहुंच गया अब आप एक दूसरी घटना भी सुनिये
पुत्र प्राप्ति क यज्ञ अवध में दसरथ ने करवाया
अनुष्ठान का फल प्रसाद सब रानी में बटवाया
नारी सुमित्र के दोने पर चील झटपटा मारा
दोना ले कर उड़ी गगन में फल प्रसाद वो सारा
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो सुमित्रा बोली क्या मुझसे भगवान् रूठ गए है प्रेमीजनों किसी भी अच्छे कार्य में हमेसा कोई ना कोई विघ्न अवश्य आता है रानिया अपना प्रसाद ले कर आंगन में खड़ी आपस में बाते कर रही थी की अचानक कही से एक चील उड़ती हुयी आयी और रानी सुमित्रा का दोना ले कर आकाश में उड़ गयी सभी रानिया हका बका रह गई सुमित्रा जी उदास हो गई और कहने लगी मेरे भगय में पुत्र सुख नहीं है कौशल्या और कैकयी ने उन्हें धीरज बंधाया उदास ना ना बहन पुत्र सुख लिखा क्यों नहीं है ये लो हम दोनों के प्रसाद से आधा आधा आप इस आओ इसे ग्रहण करो ईश्वर नाराज नहीं होगा कौशल्या और कैकयी ने अपने दोनों से प्रसाद निकला और दे दिया इसीलिए सुमित्रा के दो संताने हुयी लक्ष्मण और सत्रुघन कौशल्या के राम और कैकयी के भरत हुए अब आगे देखिये भक्तो उस दोने का चील ने क्या किया
सती अंजना करे वंदना रवि की नदी किनारे
सूर्यदेव से विनय कर रही आँचल रही पसारे
दोना गिरा वही आँचल में देखो प्रभु की माया
सूर्य देव नमन किया उसने प्रसाद को खाया
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो ईश्वर की लीला से वह नारी बिलकुल अनजान थी प्रेमीजनों विधाता क्या संयोग बिठाता है यह देखिये श्री रामचंद्र जी सूर्यवंशी है और अंजना सूर्यदेव की आराधना कर रही थी उसी समय चील ने यज्ञ का प्रसाद अंजना के आँचल में डाला इस दृष्टिकोण से यदि आप देखे तो हनुमान जी राम के भाई हुए इस बात को संकेतो में श्री राम जी ने भी स्वीकार किया है रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत ही संभाई भगवन की लीला भक्तो भगवान ही जानते है हरी अनंत हरी कथा अनंता अब आगे की कथा सुनिए
शिव के अंश पवन के वर से महावीर बलवान
सती अंजना से जन्मे है रामदूत हनुमान
सूर्यदेव से स्वर्णिम काया नैन मिले है लाल
करूँगा राज ह्रदय ने दी गिरी में दी ह्रदय विशाल
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो केशरी राजा ने मुद्राये लुटाई वस्त्र दान दिए अपार खुशियों छ गया पूरा केशरी राज का महल भक्तजनो महर्षि वाल्मीकि अपनी रामायण में लिखते है सूर्यदत्त वर्ण सहराना सुमेरु नाम पर्वत यत्र राजन प्रसासत्क केशरी नाम वई पिता तत्सय भारये भुवस्था अंजनी प्रतिस्ठा जनमासे तासायमवायी वायुरात मुतरमुजम भक्तजनो से श्लोक का अर्थ यह की भगवान् सूर्य के वरदान से जिसका स्वरुप स्वर्णमय हो गया ऐसा एक सुमेरु पर्वत है जहाँ हनुमान के पिता केशरी राज करते है उनकी प्रीत पत्नी अंजनी के गर्भ से पवन देव के वर द्वारा एक उत्तम पुत्र पैदा हुआ राजा केशरी दयालु थे उनके ह्रदय में करुणा थी वह प्रजा के दुःख सुख का ध्यान रखते थे सुमेरु गिरी विशाल और स्वर्णिम था अंजनी पतिव्रता नारी थी ऐसी विभूतियों के बीच यदि कोई बालक जन्म लेता है तो इन लोगो के सारे गुण इसमें स्वतः आ जायेंगे हनुमान जी के जन्म से खुश हो कर राजा केशरी ने अन्धान सोना चाँदी हीरा मोती मूंगा और लाल मनिया प्रजा के बीच लुटाने लगे बड़े बड़े ऋषि मुनि तपसवाई और ब्रह्मण इस उत्सव में आये महाराज केशरी ने सबका आदर सत्कार किया और ह्रदय खोल कर दान दक्षिणा दिया भाट और भाटिनो ने सोहर गया चरणों में विरदावली सुनाई ब्रह्मण और महा ऋषियों ने आशीर्वाद दिया आकाश से देवो ने फूल बरसाए कैलाश पर बैठे भोले बाबा यह सारा दृश्य देख कर हर्षित हो रहे थे प्रेमीजनों हनुमान जी चैत्र मॉस की पूर्णिमा शुकल पक्ष मंगलवार के दिन पैदा हुए श्री राम जी चैत्र मॉस की नवमी को पैदा हुए सेवक का धर्म है स्वामी के पीछे चलना इसीलिए ६ दिन बाद हनुमान जी आये तो भक्तो हनुमान जी का जन्म हो चुका है तो मंगल गीत और सोहर सुनते है
जुग जुग जिए तेरा लाल रहे खुसहाल गोद तेरी मुस्काये
कोरस:- जुग जुग जिए तेरा लाल रहे खुसहाल गोद तेरी मुस्काये
M:- मैया अंजनी खुला तेरा भगय अमर हो सुहाग
कोरस :- पवन सूत घर आये
M:- फुले फैले तेरी गोद लाल की प्रमोद नित्य तू दुलराये
लाला सजा रात सुहानी रात ये लोहरी गाये
धन्य धन्य केशरी राज हुआ जन्म सफल अब तेरा
चारो और जयकारे गूंजे द्वारे ऋषि मुनियो का डेरा
माई वसुधा हुयी निहाल वीर हनुमान आज तेरे धाम आये
सारे देवी देव संग अवनीश दे रहे आशीष राम के काम आये
कोरस:- जुग जुग जिए तेरा लाल रहे खुसहाल गोद तेरी मुस्काये
M:- अंजनी के लाल की
कोरस :- जय
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो इस प्रकार केशरी राजा के महल में आनंद ही आनंद की वर्षा हो रही थी प्रेमीजनों अब भोलेनाथ के गायारहवे रूद्र के रूप में पवन पुत्र धरती पर आ गए है और उधर श्री अयोध्या जी में महाराज दसरथ के महल में महारानी कौसल्या के गर्भ से श्री राम आ गए है तो राम धुन होनी चाहिए
श्री राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
राम राम कहो बारम्बार भव सागर में राम किनारा
श्री राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
सूत बीत नारी भवन परिवार हो होही जाई जग बार हे बारा
उमा एक अखंड रघुराई नर गति भक्ति कृपाल दिखाई
बड़ भाग मनुष्य तन पावा दुर्लभ सब ग्रन्थ ही गवा
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो साधन धाम मोक्ष कर द्वारा पायी ने जी परलोक सवारा मानव शरीर कई जन्मो के तप से मिलता है यह तन देवताओं के लिए दुर्लभ है ये तन साधना का धाम है मोक्ष का द्वार है तन होगा तभी भक्ति होगी बिना शरीर के ईश्वर की भक्ति कैसे करेंगे इसीलिए इस तन का सही उपयोग कर के अपना परलोक संवार लो
नर तन पायी विषय मन दे ही पलट सुधा ते सात विष ले ही
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- मानव तन पा कर विषयो में लिप्त होना अमृत छोड़कर विष पिने के सामान
आ कर चारि लक्ष चौरासी जोजनी भरमत यह जिव अविनाशी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- प्रेमीजनों राम जी का भजन ना करने से मनुष्य चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करता रहता है
जो नहीं करे राम गुनगना जी सुधा दूर जीह सामना
राम कथा सुन्दर करतारी संशय विगह उड़ावन हारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- प्रेमीजनों चलिए अब राम गुण के बाद हनुमान जी की बाल लीला का दर्शन किया जाए माँ के साथ कैसी कैसी चुहलबाजी करते है यह देखिये प्रेमीजनों समय के साथ अंजनी कुमार भी धीरे धीरे बड़े होने लगे माँ अंजनी ने उनका ललन पालन बड़े प्यार से किया शरीर पर उबटन लगाना तेल मालिश करना आँखों में काजल माथे के दोनों कोनो पर काजल का टिका लगा देना ताकि अंजनी कुमार को किसी की नजर ना लगे घुंघराले बाल में छोटी बाँधना बाजू में बाजु बंद सोने में रत जड़ित कलाई में कंगन गले में हार पांव में पैजनी माता अंजनी बड़े प्यार से अपने लाल का श्रृंगार करती थी अंजनी लाल की कंचन काया पर जब सूर्य की किरणे पड़ती थी तो वह सोने की तरह ज्योतिर्मय हो जाती थी प्रेमीजनों अंजनी लाल बहुत सुन्दर उनकी सुंदरता में उनका श्रृंगार अद्भुत सोभा बढ़ा देता था कभी आंगन में कभी द्वार पर अंजनी कुमार खेलते थे
भगत लाल घुटवन बल अंगना विहाषि विहाषि लूटत माँ का मन
भगत लाल घुटवन बल अंगना
ठुमक ठुमक चले हिले करदनिया छमक छमक बाजत पैजनिया
अटपट लटपट विहरत नटखट गिरत उठत धूसर होते पट
भगत लाल घुटवन बल अंगना
धूल धूसरित लट हो जाए मैया प्यार से गोद उठाये
चुम चुम मुख अंजनी मैया लेट छुपा आँचल की छैया
बाल लाल की लीला पर मन मोहित आनंदित जीवन
भगत लाल घुटवन बल अंगना भगत लाल घुटवन बल अंगना
प्रेमीजनों कितना सुन्दर दृश्य है मनोहारी दृश्य है पवन पुत्र के बालयपन के लीला से मन प्रफुलित हो जाता मन के ऊपर मधुमास छा जाता है ह्रदय भाव विभोर हो जाता है भक्तजनो घुटनो के बल आंगन में भाग रहे है पवन पुत्र अंजनी हंस हंस के मैया के मन को मोहित कर रहे है ठुमक ठुमक चलते है तो कमर की करधनी हिलती है छुम छुम पांव की पैजनी बजती है खड़े होते है तो कभी लटपटा के गिर जाते है बैठते है तो लुढ़क जाते है गिरते उठाते उनके लंगोटी और दुप्पटा धूल दूष्रित हो जाते है मैया अंजनी ये दृश्य देख कर मन ही मन आनंदित हो रही और दौड़ दौड़कर अपने लाल को गोद में उठाकर चूमने लगती है फिर अंचल से उनकी धूल झाड़कर उन्हें आँचल में छुपा लेती है बचपन का यह दृश्य देखकर किसका मन आनंदित नहीं होगा भक्तजनो बचपन के ऐसी चीज है जो एक बार आ के चला जाता है तो दुबारा लौट के नहीं आता उसकी यादे जब आती है तो ह्रदय में एक टीस भर जाती है साधारण मानव जीवन में भी देखिये छोटा बच्चा सबको प्यारा लगता है उसकी तोतली बोली पर माँ निसार हो जाती है बचपन जाती पाती धर्म मजहब से हट के होता है बच्चा किसी का भी हो उसे सब प्यार करते है बचपन होता ही ऐसा है हनुमान जी की कथा सुने का जो पुण्य मिलता है उसे के गुना पूण की बाल लीला सुने से मिलता है
बचपन से नटखट थी मारुती करते बहुत धामल
उछल कूद तरुवर पे चढ़ के झूले पकड़ के डाल
ऋषियों के आश्रम में जा के करते धूम धमाल
ध्यान भंग हो जाते ऋषि के खूब बाजते गाल
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो ऋषि मुनियो को जो दान अनुदान में मिला रहता था उसे बिखरा देते थे ऋषि लोग परेशान हो जाते थे माँ अंजनी से शिकायत करते माता ऋषियों से क्षमा मांगती और हनुमान जी को खूब डांट लगाती थी इनसे दुबारा ना करने के कान पकड़वाती जब इनका उदास चेहरा देखती तो ममता उमड़ पड़ती और इन्हे उठाकर छाती से लगा लेती थी मैया प्रेमीजनों पिता राज केशरी इन्हे कंधो पर बैठा के घूमते थे भक्तजनो हनुमान जी चंचल चुलबुले तो थे ही प्रतिदिन उगते हुए सूरज को देखकर सोचा करते थे की बहुत बढ़िया मीठा फल है इसे तोड़कर खाना चाहिए एक दिन रात को ये माँ की गोद में सो रहे थे माँ के आँखों से आंसु निकले और इनके बदन पर छू पड़े श्री हनुमान जी चौक कर जाग पड़े देखा तो माँ की आँखों में आंसू झिलमिल रहे थे और चेहरे पर घनघोर उदासी इन्होने माँ से कारन पूछा पहले तो माँ ने आंकनी की बताने से मना किया किन्तु जब ये हट पर उतर आये तो माँ ने बताया
श्रापगत नारी को लाला ऋषियों का है श्राप
सूरज अम्बर पर आते ही छोडूंगी संसार
मेरे बाद कहा भटकोगे जाओ किस द्वार
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो माता ने कहाँ पुत्र अभी तुम अबोध हो अज्ञान हो पर यह चिंता दिन रात मुझे सताती है यह सुन के केशरी नदना ने कहाँ तुम चिंता मत करो काल की क्या विषाद वो तुम्हे छू भी नहीं सकता यह सूरज निकल ही नहीं पायेगा हनुमान जी ने छलांग मारी माँ की गोद में बैठे बैठे माँ की गोदी से आकाश की और उड़ने लगे सूरज ने देखा तो प्रफुलित हो उठा की शिव जी के गयारहवे अवतरा रूद्र आ रहे है उन्होंने ने अपनी करने शीतल कर दिया और इधर पवन देव घबराये पवन पुत्र सूर्य से जल ना जाए शीतलता प्रदान करते हुए उसके साथ साथ चलने लगे उड़ते उड़ते अंजनी लाल सूर्यसेव तक आ पहुंचे और सूर्य को निगलने का प्रयास करने लगे
उस दिन थी घनघोर अमावस दिनकर का
राहु उनकी और चला दे नर का
रथ पर बैठा खेल रहा है कहाँ कौन है आया
सूर्य ग्रहण अधिकार है मेरा किसने इसे दिलाया
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- राहु ने कहाँ सूर्यदेव पे ग्रहण का वरदान तो इंद्र देव ने मुझे दिया था यह कौन है भक्तजनो ने पवन पुत्र ने राहु को भी कोई फल समझ लिया और उसकी तरफ दौड़ पड़े राहु बचा कर भगा और चिलाने लगा देवराज मुझे बचाओ देवराज मुझे बचाओ इंद्र के दरबार में इंद्र को पूरा हाल बता दिया और कहने लगा देवराज सूर्य ग्रहण का अधिकार मुझे दिया था फिर ये कौन है जो मेरे अधिकार पर आक्रमण कर रहा है कही आपने मेरे साथ कोई छल तो नहीं किया देवताओं का क्या भरोसा मेरी किसी भूल पर आप नाराज हो गए है देवतों का भरोसा नहीं क्षणे रुष्ट क्षणे तुष्ट तुष्ट तुष्टा क्षणे क्षणे देवराज इंद्र ने ललकार कर कहाँ चुप रहो मैंने कोई छल कपट नहीं किया चलो मेरे साथ अभी सचाई क्या है सबके सामने आ जायेगा
आये इंद्र इरावत चढ़ के राहु चल रहा पीछे
पवन पुत्र ने समझा फल है रथ से उतरे निचे
लंबा चौड़ा स्वेत रंग का अच्छा फल ये आया
पवन पुत्र झपटे हाथी पर देव राज घबराया
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो देवराज इंद्र ने अपने बज्र से पवन पुत्र पर वार कर दिया बज्र पवन पुत्र के हनु में लगी प्रेमीजनों हनुमान पीड़ा से कहराते हुए आकाश से निचे धरती की और गिरने लगे पवन देव ने उन्हें अपने हाथो में पकड़ लिया और पर्वत की एक गुफा में ला कर लेटा दिया पवन देव को इंद्र की इस हरकत पर बड़ा क्रोध आया और पुत्र का मोह उन्हें विचलित कर गया पवन ने तीनो लोक में आयु के प्रवाह को रोक दिया वायु ही जीवन है प्रेमीजनों सबकी सांसे घुटने लगी सबका दम घुटने लगा सारे देवता ब्रह्म जी के पास भागे ब्रह्मा जी सबको ले कर पर्वत की गुफा में आये पवन देव को दुखी देखर धीरज बंधाया पवन देव ने ब्रह्मा जी को षटांग प्रणाम किया ब्रह्मा जी के उन्हें उठा के उनके सिर पर हाथ फेरा और पवन पुत्र की हनु पर हाथ फेरा प्रेमीजनों ब्रह्मा जी के हाथ का स्पर्श पाते ही श्री ब्रह्म जी की मूर्छा छूट गई वह चेतनय हो कर बैठ गए सब लोगो में प्रसन्नता छ गई और ब्रह्मा जी ने कहा
सुनो देवगन इस बालक से सबका होगा काम
ये बालक सहयोगी होगा जब आएंगे राम
सभी देव अपना अपना दो बालक को वरदान
महाशक्ति से पूरित कर दो हो जाए बलवान
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- फिर क्या हुआ भक्तजनो सुनिए आनंद ही आनंद इंद्र ने कहाँ यह मेरे बज्र की चोट सहन कर चूका है इसीलिए इसका शरीर बज्र के सामान होगा बजरंग वली कह लाएगा इसके हनु पर चोट लगी है इसीलिए इसका नाम हनुमान होगा ब्रह्मा जी ने कहा इसे मेरे ब्रह्मास्त्र का दर नहीं होगा यहाँ महावीर होगा सूर्यदेव ने कहाँ मेरी कांति और तेज का देता हूँ और मै इसे विद्या अध्यन कराऊंगा पिंगल वर्ण एक आँख वाली ने कहा इसे युद्ध में विशद नहीं होगा सदैव इसका वध नहीं कर सकेगी यमराज ने कहा मेरे दंड से ये अवधनिरोग वरुण के कहा सो लाख वर्ष आयु हो जाने पर भी मेरे पास इसकी मृत्यु नहीं होगी भोलेनाथ ने कहा यह मेरे शस्त्र द्वारा अवध होगा विश्वकर्मा जी ने कहा मेरे द्वार बनाये गए सारे शाश्त्रो से ये अवध ही रेहगा और चिरंजीवी होगा अंत ने ब्रह्मा जी ने कहा ये दृगह आयु होगा सारे देवता वरदान दे कर चले गए पवन पुत्र महा बलवान हो गए ऋषियों के आश्रम में पुनः उडन्ता करने लगे
ऋषि ऋषि की गोद बैठ के दाढ़ी नोच रहे है
किसी का कुसा कमंडल तोड़े फिर कुछ सोच रहे है
हार सुमरनी माला तोड़े डाली पर लटकाये
महाबली बजरंग बलि तन बलि अब नहीं समाये
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो ऋषि लोग इनकी उद्दण्ता से तंग आ गए क्रोध में आ कर ` ऋषियों ने इन्हे श्राप दे दिया
पवन पुत्र जिस बल का सहारा ले कर तू हम लोगो को सत्ता रहे हो जाओ उस बल का तुम्हे ज्ञान ही नहीं रह जायेगा ऋषियों के श्राप की खबर सारे नगर में फ़ैल गई केशरी राज और सती अंजना दुखी हो गए ऋषियों का श्राप झउआ नहीं होगा अब हनुमान को बल की याद कैसे आएगी कोई उपाए सोचा जाए भक्तजनो हनुमान जी की इस दिव्य कथा को हम यहाँ पर विराम दे रहे है हनुमान जी की कथा का यह भाग एक हमने आपको सुनाया अब इसके बाद श्री हनुमान जी की कथा का भाग दो ले कर के हम आएंगे तब तक के लिए आप लोग हमारे साथ राम नाम का संकीर्तन करिये
श्री राम जय राम जय राम जय जय राम
कोरस :- श्री राम जय राम जय राम जय जय राम
M:- श्री राम जय राम जय राम जय जय राम
बोलिये बजरंग बलि की
कोरस :- जय हो
M:- जय सिया राम आप सब का कल्याण हो
M:- जय सिया राम भक्तो कल की कथा में श्री हनुमान जी ऋषियों द्वारा श्रापित हुए आज इसके बाद की कथा सुनिए
कोरस :- जय जय श्री राम की जय बोलो हनुमान की -२
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तो माता अंजनी पिता श्री केशरी के साथ नगर के सारे लोग सभी ऋषियों से क्षमा माँगने उनके आश्रम में गए
मात अंजनी पिता केशरी नगर निवासी सारे
सब मिलकर के क्षमा माँगने गए ऋषि के द्वारे
पवन पुत्र नटखट चंचल है इतना क्रोध ना कीजे
श्राप मुनिवर वापस लीजे उसे क्षमा कर दीजे
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो केशरी राज ने कहा हे मुनिवर छोटे तो हमेसा भूल करते है पर बड़े उसे ध्यान नहीं देते भक्तो का दुःख हरने आये है आप लोग ऋषियों ने कहा महाराज केशरी श्राप तो अब वापस नहीं हो सकता किन्तु माता अंजनी का दुःख देखते हुए हम लोग एक वरदान देते है सभी के चेहरे पर ये बात सुनकर प्रसन्नता आ गई प्रेमीजनों सभी लोग वरदान जानने के लिए उतावले हो गए ऋषियों ने कहा जाओ जब कोई पवन पुत्र को उसके बल की याद दिलाएगा और कहेगा पवन पुत्र तुम अतुलित बल के स्वामी हो की तुम्हारी गति पवन से भी तेज है तब जा के हनुमान जी को अपने बल की याद आएगी और वह महाबली होने का आभास करने लगेगा माता अंजनी तुम्हारा यही पुत्र भगवान् श्री राम का अति प्रिय होगा और सहयोगी होगा
राम दूत अतुलित बलधामा अंजनी पुत्र पवन सूत नामा
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम -२
M:- शिव के मन में उठी लालसा रामचंद्र के दर्शन की
बालक रूप राम का देखूं प्यास बुझे इन नैन की
अपने अंश पवन सूत को मै अवध नगर पहुचाऊं
भेष मदारी का धर के मै डमरू वहां बजाऊं
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो भगवान् भोलेनाथ ने सोचा बालक राम स्वयं देखंगे की हनुमान जी नाच रहे है भगवन राम तो भक्तो का दुःख हारने आये है प्रेमीजनों भगवान् भोलेनाथ मदारी के भेष में हनुमान जी को लिए अयोध्या में महाराज दसरथ के महल के सामने पहुंच कर बड़ी जोर से डमरू बजाने लगे डमरू की आवाज सुन के बालक राम चारो भाइयो के साथ महल के द्वार पर आ गए नगर के और भी ढेर सारे बच्चे आ गए सभी बन्दर का नाच देखने लगे अब उन्हें क्या पता यह बच्चा वानर स्वयं हनुमान जी है सभी बच्चे तालिया बजा बजा कर खुश हो रहे है भोलेनाथ डमरू बजा रहे है श्री हनुमान जी नित्य कर रहे है सारी लीला भगवान् श्री राम एक अबोध बालक की तरह देख रहे है प्रेमीजनों भगवान भोलेनाथ जी भर के बालक हनुमान को निहार रहे है देख रहे है और दर्शन पा रहे है भगवान् भोलेनाथ की क्या दशा हो रही है इन पक्तियों में देखिये
नैन जुड़ात ना ह्रदय आघात बुझात न प्यास यी रूप निहारे
रूप की राशि कहाँ भर लूँ शिव शंकर ठाड़े ह्रदय में विचारे
नाम जपू जिनका हर याम वही श्री राम है पास हमारे
बाल स्वरुप मनोहर रूप ये श्यामल गात बड़े सुख कारे
बालक रूप में देख के राम को शम्भु ह्रदय प्रभु के पग हारे
शंकर के उर शंकर के उर राम बेस अरु राम ह्रदय में बेस त्रिपुरारे -२
प्रेमीजनों भगवान् भोलेनाथ भगवान् श्री राम के दर्शन में इतने मगन हो गए की डमरू बजाना बंद हो गया बंदर ने नाचना बंद कर दिया बालक राम मचल पड़े मै इस बंदर को लूंगा महाराज दसरथ ने कहा विधि का विधान देखिये या विंडबना देखिये भक्तो भगवन दसरथ भोलेनाथ से कहते है मदारी तुम्हे जितना धन चाहिए ले लो ये वानर मेरे राम को दे दो अंधे को क्या चाहिए दो आंखे भोलेनाथ यही चाहते ही थे उन्होंने बालक राम के हाथो में बंदर की डोर पकड़ा दी और भगवान् के हाथो में जिसकी डोर हो जाए वो कभी छुड़ाना चाहेगा क्या सब बंदर को दुलराने में व्यस्त हो गए भगवान् भोलेनाथ अंतर्ध्यान हो गए प्रेमीजनों जब राम ने बंदर की डोर पकड़ी बंदर के सर पर हाथ फेरने लगे तो हनुमान जी मन ही मन भगवान् श्री राम से अपने मन की अभिलाषा कह दिए
यदि पकड़े तो हाथ नहीं छोड़ना नाथ -२
तुम मेरे उर में बसों मै रहूं तुम्हारे साथ
भक्तो बचपन में ही हनुमान जी श्री राम जी के पास पहुंच गए धीरे धीरे राम जी १४ वर्ष के हो गए एक दिन महर्षि विश्वामित्र आये और महाराज दसरथ से अपनी यज्ञ रक्षा के लिए भगवन श्री राम और लक्ष्मण को मांग लिया राम लक्ष्मण उनके साथ जाने लगे तो राम जी ने हनुमान जी से कहा सखा तुम ऋषिमुख पर्वत पर सुग्रीव के साथ जा आकर रहो मै वनवास के समय वहां मिलूंगा और तुम्हारी सहायत लूंगा
ऋषिमुख पर्वत के पथ में जंगल बहुत घना है
सबरी का भी वही बसेरा वन में कही बना है
सखा पवन सूत कहना उससे राम शीघ्र आयेंगे
तेरी कुटिया पर आ कर के वैर तेरा खाएंगे
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो करम यह सिखाता है की अपना कर्म करते रहो चलते रहो भक्ति पथ भगवान् स्वयं आ कर के आपकी भक्ति का फल प्रदान करेंगे भक्तो का दुःख ही तो हरने आये है आखिर भगवान् श्री राम कितने दयालु है उन्हें जंगल में रहने वाली निम्न जाती की भक्तन सबरी का कितना ध्यान है वो जानते है की वो अधीर हो चुकी है वो समझती है छोटी जाती के होने के नारे भगवान् के दर्शन से वंचित रह जाएगी क्यूंकि जिस रास्ते से वो जाती थी कुछ तपस्वी साधु उस रास्ते से नहीं जाते थे उसे अछूत समझकर इसीलिए उसके मन में ये भावना घर कर गई थी प्रेमीजनों श्री हनुमान जी से यह सन्देश भेजा था हनुमान जी ऋषिमुख पर्वत पर गए और सुग्रीव से मित्रता कर के वही रहने लगे प्रेमीजनों उस पर्वत पर ऋक्ष राज नाम के महाराज रहते थे जो बंदर जाती के थे उनके बाली और सुग्रीव दो पुत्र थे बाली सुग्रीव की दुस्मनी हुयी सुग्रीव ऋषिमुख पर्वत पर रहने लगा किन्तु बाली का भय उसे हमेसा रहता था प्रभु राम को वनवास हुआ रावण द्वारा सीता जी का हरण हुआ श्री राम जी लक्ष्मण लाल के साथ सीता जी की खोज करते हुए किष्किंधा वन पहुंचे जहा सबरी की कुटिया थी सबरी अपनी कुटिया में प्रभु श्री राम का आगमन देख कर बड़ी आश्चर्य चकित हुयी और उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था
आँखों पर विश्वास ना होता स्वयं राम है आये
व्याकुल दशा देख सबरी की धीरज राम बँधाये
कैसे सेवा करे प्रभु क्या नैवेध खिलाये
वैर चखे यदि मीठे हो तो प्रभु को वही खिलाये
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- विधि का विधान और प्रभु की दयालुता देखिये भक्तो सबरी एक एक वेर चख रही थी जो मीठा निकले वो प्रभु को खिलाती थी और जिसमे मिठास नहीं कड़वाहट होती थी उसे फेक देती थी सबरी के जीवन में यह के अप्रत्याशित घटना थी प्रेमीजनों जहाँ पर जगत का स्वामी परम पिता परमेश्वर भगवान् श्री राम स्वयं सबरी की कुटिया पर पधारे है उसने कभी सोचना भी है था प्रेम में व्याकुल सबरी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था वो क्या सेवा करे लय खिला दे भगवान् को जंगल से वेर चुन के लायी थी वही उस समय उसके पास था उसी वेर को पहले चख लेती थी और फिर भगवान् को खिलाती थी वह तो प्रेम में व्याकुल थी उसे इस बात का ध्यान ही नहीं था की वह अपना झूठा वेर प्रभु श्री राम को खिला रही है भगवान् राम उसकी भक्ति से अति प्रसन्न हुए और भाव सागर से पास कर दिए बोलिये भक्तवत्सल भगवान् की जय हो प्रेमीजनों सबरी की अपार भक्ति का दर्शन इस भजन के माध्यम से करते है
सबरी काशी नहीं गई ना कभी गयी वो चारो धाम -2
भव सागर से पर हो गई जपते जपते जय श्री राम -२
भजो मन सीतापति श्री राम -२
जाती धर्म कुल का रघुनन्दन कभी भेद ना माने
जिसका मन निर्मल है उसको वो अपना जन जाने
झूठे वेर जाती की भीलन सबरी घर खाये राम -२
भव से सागर से पर हो गई जपते जपते जय श्री राम -२
भजो मन सीतापति श्री राम -२
राम राम छाती पे लिख के जल उतराये
प्रभु की चरण धूलि से पत्थर सेतु बने हर्षाये
तप करते रह गए बड़े बड़े तपस्वी भक्तो पर प्रभु राम का दर्शन पत्थर को भी प्राप्त हो गया इसीलिए
भजो मन सीतापति श्री राम -२
ज्ञान गुण विद्या से ना कभी प्रभु को पाए
दृढ विश्वास में ह्रदय में है तो प्रभु स्वयं आ जाए
श्रीकांत कर रहा नमन जय हो सबरी के राम -२
भजो मन सीतापति श्री राम -२
भक्तो त्याग से महानता जा जन्म होता महानता से त्याग का जन्म नहीं होता अच्छे करमो से यशी कीर्ति और सम्मान मिलता है बुरे करमो से अपकीर्ति दुःख और अपमान मिलता है जो तपस्वी सबरी को निम्न जाती का समझते थे वह देखते रह गए और उसी निम्न जाती की सबरी की कुटिया पर परम पिता परमेश्वर परमात्मा भगवान् श्री रामचंद्र स्वयं चलकर आये उसके झूठे वेर खाये उसे भव बंधन से नवधा भक्ति का उपदेश दे कर मुक्त कर गए प्रेमीजनों यह सबरी के त्याग और अच्छे करमो परिणाम था सर्वयापी अन्तर्यामी भगवान् श्री राम स्वयं सबरी से सीता जी के बारे में खोज करने के लिए सलाह लेते है पूछते है
जनक सुता कई सुधि भामिनि जांहि कहु करि बार गामणि
प्रेमीजनों परमात्मा कहते है हे भामिनि हे सबरी यदि तू गज गामिनी जानकी की कुछ खबर जानती है तो बता सबरी ने कहा
पम्पासर ही जाहु रघुराई ताह होई सुग्रीव मिताई
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- सो सब कहहि देव रघुबीरा जान कहु पूछहु मतिधीरा
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- प्रेमीजनों सबरी कहती है हे रघुनाथ जी आप पम्पा सरोवर जाइये वहां आपकी सुग्रीव से मित्रता होगी हे रघुवीर आप धीर बुद्धि है सब कुछ जानते हुए भी आप मुझसे पूछ रहे है श्री राम को उसने नमन किया श्री राम ने सबरी से विदा लिया और चल दिए भगवान् श्री राम भैया लक्ष्मण के साथ ऋषिमुख पर्वत के पास पहुंच गए सुग्रीव ने देखा दो नौजवान सिर पर जटा कंधे पर धनुष पीठ पर तरकस बंधा हुआ यह कही बाली के भेजे हुए वीर योद्धा तो नहीं है यदि ऐसा है तो मै तुरंत इस पर्वत को छोड़कर भाग जाऊं सुग्रीव ने हनुमान जी से कहा हनुमान तुम ब्रह्मण का भेस बनाकर इनके पास जाओ और सच्चाई क्या है इसका पता लगाओ श्री हनुमान जी ने सुग्रीव की घबराहट को देखा हनुमान जी ने ब्रह्मण का भेष धारण किया और भगवान् रामचंद्र जी के पास गए और बड़े विनम्र भाव से पूछने लगे
विप्र धारी कपि तह गयउ माथ नाई पूछत अस्भयु
कोरस :- राम सिया राम जय जय राम
M:- प्रणाम कर के श्री हनुमान जी पूछने लगे और क्या पूछे
को तुम श्यामल गौर शरीरा को तुम श्यामल गौर शरीरा
क्षत्री रूप फायर वन वीरा कठिन भूमि कोमल पदगामी
कौन हेतु वन विचारे स्वामी
मृदुल मनोहर सुन्दर गाता सहत दुष्ट वन आबत बता
की तुम तीन देव में हो को नर नारायण की तुम दोहु -२
हनुमान जी ने भगवान् का परिचय पूछा
जग कारन तरन भाव भंजन धरनी भार
की तुम अखिल भुवन पति लीन्ह मनुज अवतार
हनुमान जी ने एक सज्जन व्यक्ति की तरह उनका परिचय पूछा भगवन श्री राम ने श्री हनुमान जी को अपना परिचय दिया
कौशलेश दसरथ के जाए हम पितु वचन मानी वन आये
कोरस :- राम सिया राम जय जय राम -२
M:- नाम राम लक्ष्मण दो भाई संग नारी सुकुमारी सुहाई
कोरस :- राम सिया राम जय जय राम -२
M:- हम राजा के दसरथ के पुत्र है ये हामरे अनुज है पिता की आज्ञा मानकर हम दोनों वन में आये हमारा नाम राम है इनका नाम लक्ष्मण है साथ में हमारी पत्नी जिनका हरण हो गया
इहा हरी निस्चार वैदेही विप्र फिरे हम खोजत तेहि
आपन चरित कहा हम गयी कहो विप्र निज कथा बुझाई
यहाँ हमारी पत्नी का हरण हो गया और हे विप्र हम उनकी खोज में वन वन भटक रहे है भक्तजनो यह बड़ी गूढ़ चौपाई है राम चरित मानस की भगवान कहते है की इहा हरी निस्चार वैदेही विप्र फिरे हम खोजत तेहि हरी का दो अर्थ बताया गया एक हरी माने हरण हुआ एक हरी मने वानर वानर कौन कहा हनुमान जी हरे कौन गई सीता जी दोनों की खोज में कौन भटक रहा है तो परमात्मा स्वयं भगवान् ने कहा हनुमान जी आप जाओ जब वह स्वयं विश्वामित्र के साथ रक्षा के लिए जा रहे थे की आप जाओ १४ वर्ष का जब हमें वनवास होगा तो हम आप से आ कर के मिलेंगे आपकी सहयता लेंगे भक्तजनो भगवान् श्री राम ने हनुमान जी को अपना परिचय दे दिया वन में आने का कारन भी बता दिया और जब परमात्मा को पहचान गए फिर क्या हुआ
प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना। सो सुख उमा जाइ नहिं बरना
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- पुलकित तन मुख आव न बचना। देखत रुचिर बेष कै रचना
पुनि धीरज धरी अस्तुति किन्ही हर्ष ह्रदय निज नाथ चीन्हि
मोर नाऊ मै पूछा साई तुम पूछूं कस नर की नाई
तव माया बस फिरउँ भुलाना। ताते मैं नहिं प्रभु पहिचाना
अस कहि परेउ चरन अकुलाई। निज तनु प्रगटि प्रीति उर छाई॥
भक्तजनो तब हनुमान जी सास्टांग प्रभु के चरणों में लेट गए दंडवत करते हुए प्रभु मुझसे बहुत बड़ा अपराध हो गया हमें क्षमा करिये भगवान् ने श्री हनुमान जी की यह बात सुनकर के हनुमान जी को उठाकर के ह्रदय से लगाया
अब रघुपति उठायी उर लावा निज लोचन जल सींच जुड़वा
सुन कपि जी मानस उन जूना तय मम प्रिय लक्ष्मण के दूना
हनुमान जी को ह्रदय से लगाते है प्रभु और कहते है की हनुमान जी आप हमारे लक्ष्मण भैया से भी अधिक मुझे प्रिय है हनुमान जी ने कहा मै तो अज्ञानी हूँ प्रभु स्वभाव वस मैंने आपसे आपका परिचय पूछा परन्तु आप साधारण मनुष्य की तरह कैसे मुझसे मेरा परिचय पूछ रहे है प्रभु माया में पड़ कर मै आपको पहचान नहीं सका मेरा अपराध को क्षमा करिये भक्तजनो प्रभु श्री राम ने हनुमान जी को गले से लगा लिया अपने आंसुओं के जल से अपने ह्रदय के संताप को शीतल किये और कहा पवन पुत्र आप अन्यथा मत समझो आप मुझे लक्ष्मण से अधिक प्रिय हो हनुमान जी ने जब जान लिया प्रभु अनुकूल है तब उन्होंने कहा प्रभु चलिए ऋषिमुख पर्वत पर वहां सुग्रीव राजा रहते है उनसे मित्रता होगी और उनके पास वानर की विशाल सेना है वह आप की समस्या का समाधान करेंगे और हम वानर लोग माता सीता की खोज करेंगे और प्रेमीजनों हनुमान जी ने भगवान् श्री राम लक्षमण को कंधे पर बिठाया और चल दिए सुग्रीव से मित्रता कराने के लिए
पवन पुत्र संग राम लक्ष्मण मिलन हुआ सुग्रीव
राम लखन से सुग्रीव के हुआ जीव में जीव
अग्नि देव को साक्षी दे के मित्र बने श्री राम
बोलो वानर निभायपति रहो सदा रहो इस धाम
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो अग्नि देव को साक्षी करा कर के हनुमान जी ने प्रभु श्री राम और वानर राज सुग्रीव की मैत्री जोड़ी भगवान् ने कहा सुग्रीव साथ निभांऊंगा मन चित से हर संभव हर साथ दूंगा भक्तो दुःख हरने के के लिए मै आया हूँ श्री रामचंद्र जी ने वन आने का उदेश्य और सीता जी के हरण की बात बतायी सुग्रीव ने कहा प्रभु एक बार हम मंत्रियों के साथ इसी पर्वत पर बैठे थे आकाश मार्ग से एक नारी रोती बिलखती चिल्लाती जा रही थी वह बहुत बेबस थी हम लोग को देख कर उसने एक चीर निचे गिरा दिया वह चीर मेरे पास आज भी सुरक्षित है मै आपको दिखाता हूँ सुग्रीव से माता सीता जी द्वारा गिरायी गई चीर प्रभु श्री राम को दे दी भगवान् श्री राम उसे पहचान के सिने से लगा के उसे बिलख पड़े भक्तो सुग्रीव ने धीरज बंधाया और कहा प्रभु आप दुखी मत हो हम सीता जी को खोज निकालेंगे और फिर अपनी कहानी बताई
एक बार मै सूत मायावी बाली से हुयी लड़ाई
मै भी गया बाली के संग बाली है मेरा भाई
मायावी घुस गया गुफा में गया बलि भी अंदर
मै बहार था गुफा द्वार पर अंदर युद्ध भयंकर
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तो सुग्रीव ने भगवान् श्री राम से कहा की प्रभु बाली यह कर के चला गया गुफा के अंदर की यही पे मेरा एक महीने तक इन्तजार करना एक माह तक भयनकर युद्ध हुआ मै बहार खड़ा प्रतीक्षा करता रहा अचानक गुफा से रुधिर की धार बाह कर बहार आ गई मैंने समझा मायावी राक्षस ने बाली को मार डाला अब बहार निकल कर मुझे भी मार डालेगा प्रभु मै डर से प्राण बचा कर भागा यहाँ मंत्रियों ने राज को सूना देखकर मुझे सिंघासन पर बैठा दिया बाली आया उसने मुझे गद्दार समझा और मार डालने की धमकी दे कर मेरी पत्नी को उठा ले गया इस पर्वत पर श्राप के कारन वह नहीं आता किन्तु उसका भय मुझे हमेसा रहता है इतनी बाते सुनकर भगवान् श्री राम ने सुग्रीव को विश्वास दिलाया और कहा मित्र तुम निश्चिंत रहो बाली का वध मै स्वयं करूंगा इस बात पर सुग्रीव को विश्वास नहीं हुआ और सुग्रीव ने भगवान् की परीक्षा ली परीक्षा भगवन की पारकर्म की ली
एक बाण से सात वृक्ष को काट गिराए राम
तब सुग्रीव कहा रघुनादन तुम ही से होगा काम
महावीर बलवान बलि को रघुवर मार गिराए
अंगद सूत शीघ्र प्रभु वही पर युवराज बनाये
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों भगवन श्री राम ने बाली का वध किया मरते समय बाली ने पूछा श्री राम से
धर्म अवतरे हो गोसाई मार हो मोई व्याद की नहि
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- मै वैरी सुग्रीव प्यारा कारन कौन नाथ मोहि मरा
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- बाली ने प्रसन किया प्रभु आपका अवतार तो धर्म हेतु हुआ है मुझे तो व्याध की तरह आपने वध डाला मै दुस्मन हो गया सुग्रीव प्रेमी हो गया आपका क्या कारण था जो आपने मेरा वध किया भगवान् श्री राम ने उतर दिया
अनुज वधु भगनी सूत नारी सुन सठिये ये कन्या संचारी
इन्हे को दृष्टि विलोकाई जोही ताहि वधे कछु पाप ना होई
भक्तो कथा आगे बढ़ाने के लिए इस प्रसंग को यही छोड़ना पड़ेगा लक्ष्मण द्वार सुग्रीव का राज तिलक कराया गया चार माह बरसात के राम पर्वत की गुफा में रह कर बिता दिए सुग्रीव राज सुख में लिप्त हो गया भगवान् राम ने लक्ष्मण द्वारा उसे अपने काम की याद दिलाई लक्ष्मण को दूत बनाकर पम्पापुर भेजा
भगवान् ने कहा वर्षा काल बीत गया अब तो शरद रीतू आ गयी भगवान् क्रोध में बोले भैया लक्ष्मण जिस बाण से मैंने बाली का वध किया था उसी बाण से मै सुग्रीव का वध करूँगा यह बात जा कर के सुग्रीव को बता दो
जेहिं सायक मारा मैं बाली। तेहिं सर हतौं मूढ़ कहँ काली॥
सुग्रीव सुधि मोरी बिसारी पावा कोष पुर नारी
लक्ष्मण जी नगर में आये और क्रोध से उन्होंने कहा धनुष चढ़ाई कहा तब जारी करो पुर छार
व्याकुल नगर देखि तब आयो बाली कुमार लक्ष्मण का क्रोध और नगरवासी की व्याकुलता देख कर बाली कुमार अंगद आये भक्तजनो लक्ष्मण जी की आंखे लाल लाल हो रही थी जैसे अंगद को देखे लक्ष्मण जी के चरणों में सिर झुका कर लक्ष्मण जी को प्रणाम किया इधर सुग्रीव व्याभीत हो गया उसने हनुमान जी से कहा
सुनो हनुमंत संग ले तारा करी विनती समझाऊ कुमार
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम -२
M:- सुग्रीव ने कहा हनुमान जी मेरी पत्नी तारा को ले जा कर के चरणों में प्रणाम कर के लक्ष्मण कुमार का क्रोध शांत कीजिये प्रेमीजनों साधारण मनुष्य का भी यही हाल है जब कोई डराने धमकाने विनास करने के लिए आता है तो पुरुष नारी को ही आगे कर देता है नारी पर सामने वाला क्रोध नही करता क्यूंकि नारी सम्मान का पात्र होती है यहाँ भी सुग्रीव ने यही किया जब मामला शांत हुआ अनुकूल हुआ तब सुग्रीव लक्ष्मण जी के चरणों में आ कर गिर पड़ा भक्तजनो लक्ष्मण जी ने क्षमा किया तो श्री राम के चरणों जा गिरा और कहा प्रभु मै तो अज्ञानी हूँ पशु हूँ उस पर मेरी बंदर की जाती जो अधिक कामी होती है नारी के नैनो के बाण किसे नही लगा देवता ऋषि मोह में पड़ जाते है आपकी कृपा से यह सुख मुझे बहुत दिनों के बाद मिला मुझे क्षमा करे नाथ मै कुछ भुला नही हूँ मै अभी सारी बंदर सेना को माता सीता की खोज के लिए भेजता हूँ उसने हनुमान अंगद और जामवंत को बुला कर के कहा एक माह के अंदर यदि माँ जानकी की खबर नही मिली तो खाली हाथ लौटने पर मै सबका वध कर दूंगा
जामवनत हनुमान बलि सूत वानर चले हजार
पवन पुत्र को दिए अंगूठी जग के खेवन हर
यही अंगूठी सीता को जब डोज तुम हनुमान
तब होगा विश्वास उन्हें तुम राम दूत हनुमान
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो भगवान् श्री राम की मुद्रिका देकर श्री हनुमान जी अपने सखा वानर भालू के सहित प्रस्थान कर गए वन वन घूमते घूमते सारे वानर थक गए किन्तु सीता जी का कही कोई पता नही मिला एक दिन भूख प्यास से व्याकुल घने जंगल में सब रास्ता भूल गए प्यास तो ऐसे लगी थी की प्राण निकल जायेंगे ऐसा लगने लगा कही कोई जलाशय भी नजर नहीं आ रहा था हनुमान जी एक पहाड़ पर चढ़ के दूर दूर तक चारो तरफ देखने लगे एक जगह पंछी कलरव कर रहे थे और उड़कर एक घाटी में उतरा जाते थे घाटी अदृश्य थी किन्तु हनुमान जी ने अनुमान लगाया वह पानी अवश्य है उस घाटी पर अँधेरी लम्बी गुफा थी श्री हनुमान जी सबको ले कर गुफा में घुसे रास्ता अंधेरो से भरा को भयावह था भक्तो फिर भी हनुमान जी आगे आगे सारे वानर पीछे पीछे गुफा में घुस कर चलने लगे और गुफा से बहार जब निकले तो घाटी में एक सुन्दर सरोवर देखा
एक सरोवर शीतल जल का हरियाली चहु और
फूल फल भाति भाति के बोले पंछी मोर
नव युवती के सुन्दर नारी तपसवानी घनघोर
ध्यान मगन बैठी मंदिर में सूना कपि का शोर
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो वानर भालू का शोर गुल चारो और होने लगा वह युवती सोचने लगी कौन है ये भगवान् कहा से ये लोग आये उस नारी को बड़ा आश्चर्य हुआ सोचने लगी ये कौन अलग है और यहाँ कैसे आ गए यहाँ तो कोई नही आ सकता और जो आता है वापस नही जाता असमंजस में पडी हुयी तपस्वनी के सामने हनुमान जी गए और प्रणाम कर के उसे अपना परिचय दिए और कहने लगे की हम लोग श्री रामचंद्र के कार्य हेतु वन वन भटक रहे है माता सीता जी का हरण हो गया है हम लोग उन्ही का पता खोज रहे है सारे वानर भूख प्यास से व्याकुल है इसीलिए यहाँ आ गए है हम लोग तपस्वनी का नाम स्वयंप्रभा था वह राम का नाम सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुयी और वानरों को ढेर सारा फल दिया तथा सरोवर में जल पिने की आज्ञा दी सारे वानर खा पीकर के तृप्त हो गए और बहार निकलने की बात सोचने लगे
स्वयंप्रभु कहा कपिसार आँख मूंद लो सारे
अभी शीघ्र पहुँचाती हूँ मै तुमको सिंधु किनारे
महा शक्ति तप बल नारी में पढ़ा मंत्र जब उसने
सिंधु किनारे सब अचरज देखा सबने
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों अपने आप को समुन्दर तट पर खड़े देख सभी वानर भालू बड़े हो गए वापस में कहने लगे एक महीना बीत गया हम लोग जानकी माता का पता नही लगा सके अब क्या किया जाये यदि वापस जायेंगे तो सुग्रीव द्वारा मार दिए जायेंगे यदि यहाँ रुकते है तो भूख और प्यास से मर जायेंगे मौत दोनों तरफ है हे ईश्वर ये कैसी विडबना है तुम्हारी प्रभु हम लोगो को इस संकट से निकालो प्रेमीजनों इस प्रकार विचार करने लगे सहसा किसी के मुख से निकला हम लोगो से तो भाग्यशाली गिद्ध जटायु थे जिसने जानका लाली को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया दुष्ट रावण के प्रहार से जब उसके पंख कट गए तो वह घायल हो कर धरती पर गिर पड़ा भगवन राम जब घूमते हुए उसके पास पहुंचे तो उसने रावण द्वारा सीता का हरण बताया और स्वयं राम राम कहते हुए प्राण छोड़ दिए भगवान् श्री राम ने उसका दाह संस्कार किया और अपने धाम पहुंचाया भक्तो ये पूरी बात वही से थोड़ी दूर में गुफा में बैठे जटायु के भाई सम्पाती सुन रहे थे
सम्पति था वही गुफा में देखा कपि हजार
लगा सोचने मन में प्रभु ने भेज दिया आहार
जी भर आज इन्हे खाऊंगा भूख मिटेगी मेरी
लेकिन नाम जटायु का सुन उपजी पुत्र घनेरी
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो सम्पाती वनत भालू की बात सुनकर पहले तो बड़ा प्रसन्न हुआ की आज बड़ा बढ़िया भोजन हमें मिला लेकिन ही जटायु का नाम सुना वैसे ही उन वानर भालू के प्रति प्रेम आ गया सबको बुलाया और सब उसके पास आ गए सम्पाती ने कहा वानरों जटायु मेरा भाई था एक बार सूर्य को छुने के लिए होड़ में हम दोनों आकाश में उड़े थे मेरा भाई जटायु तो बुद्धिमान सूर्य की तपन जब नही बर्दास्त हुयी तो वह वापस आ गए और मै सूर्य के करीब पहुंच गया मेरे पंख जल गए मै निचे गिरा और तब से अब तक यही गुफा में पड़ा हुआ हूँ पंख विहीन हूँ बूढ़ा भी हो गया हूँ अब शक्ति नही रही तुम लोग भगवान् राम जी के कार्य हेतु निकले हो तुम्हे सफलता अवश्य मिलेगी पहले तुम लोग मुझे समुन्दर के किनारे ले चलो मै अपने भये जटायु को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता हूँ
मै तिलांजलि दूँ भाई को तब तुमको बतलाऊ
जनक लाली है कहा किस तरह सब कुछ तुम्हे दिखाऊं
मेरी गिद्ध दृष्टि है कपिवर देख रहा हूँ सीता
लंका के अशोक वन में है राम जप रही सीता
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
प्रेमीजनों सम्पति ने कहा वानर ये सो जोजन का समुन्दर है सो जोजन पार यह रावण की लंका नगरी है लंका नगरी के अशोक वाटिका में सीता जी है मै यही से देख रहा हूँ क्यूंकि मै गिद्ध हूँ गिद्ध की दृष्टि अपार होती है आप नही देख सकते आप में से जो वानर सो जोजन का सागर पार करेगा वही सीता का पता लगा सकता है भक्तजनो सम्पाती की कथा यही विराम लेती है अब सीता जी का सही पता लग गया लंका जाने के लिए वानर दल में उत्सुकता बढ़ने लगी किन्तु कौन जायेगा अंगद ने कहा मै जा सकता हूँ परन्तु लौटने का भरोसा नही जामवनत जी ने कहा मै बूढ़ा हो गया हूँ अब मुझ में जवानी की शक्ति नही हनुमान जी चुपचाप एक जगह बैठे सोच रहे थे तब तक जामवंत ने सोचा यह कार्य हनुमान जी ही कर सकते है किन्तु उन्हें उनकी शक्ति का ज्ञान नही हो रहा है मै उन्हें उनकी शक्ति की याद दिलाता हूँ
कही रीछ पति सुनु हनुमाना का चुप साश रहियो बलवाना
कोरस :- राम सिया राम राम सिया राम जय जय राम -२
M:- प्रेमीजनों श्री जामवंत जी हनुमान जी की शक्ति को याद दिलाने के कार्य में जुट गए
पवन तनय बल पवन सामना बुद्धि विवेक विद्यान निदाना
कवन सो काज कठिन जग माहि जो नही होई तात तुम पाहि
जामवंत जी ने कहा हनुमान जी इस संसार का ऐसा कौनसा कार्य है जो आप ना कर सको
राम काज लगी तब अवतारा सुनत भई पर्वता अकारा
कोरस :- राम सिया राम राम सिया राम जय जय राम -२
M:- और जैसे ही जामवंत जी ने कहा हनुमान जी आपका जन्म तो राम काज के लिए हुआ है वैसे ही हनुमान जी को उनकी शक्ति की याद आ गई और समुन्दर के तट पर विशाल पर्वत के सामान श्री हनुमान जी खड़े हो गए बारम्बार घोर गर्जना करने लगे बोलो राजा रामचंद्र की जय हो
कनक वरन वन तेज विराजा मानहु अपना गिरी कर राजा
सिंह नाद करी बाराही बारा लीलहि नाड़ी जलनिधि खारा
सहित सहाये रावण नही मारी आनहु इहा त्रिकूट उपारि
हनुमान जी कहने लगे जामवंत जी जिस पर्वत पर लंका पूरी बसी है उसे उखाड़ कर समुन्दर में डुबो दो वध कर के समुन्दर में डुबो दूँ आप मुझे बताओ मै आप से पूछ रहा हूँ
जामवंत मै पूंछू तोहि उचित सिखावन दीजहु मोहि
आप से मै पूछ रहा हूँ जामवंत जी बात मुझे बताओ आप मुझे उचित सलाह दो की मै क्या करूँ भक्तजनो यहाँ एक बात स्पष्ट कर देना चाहते है की श्री हनुमान जी और रावण का सबसे बड़ा यही अंतर है की अपने समस्त जीवन काल में रावण ने एक भी कार्य किसी से पूछ कर नही किया और श्री हनुमान जी ने एक भी कार्य बिना पूछे नही किया जामवंत जी ने कहा श्री हनुमान जी आप केवल जा कर के सीता मैया का सही पता लगा के आ जाओ और फिर श्री हनुमान जी ने सभी वणार भालुओं को प्रणाम किया और एक वादा लिया की जब तक मै सीता मैया की खबर ले कर ना आऊं तब तक यही कंद मुल फल खा कर के मेरी प्रतीक्षा करिये जामवंत की सुन्दर बात कर के सभी को प्रणाम किया
जामवंत के वचन सुहाए सुनिए हनुमंत ह्रदय अति भाये
कोरस :- राम सिया राम सिया राम सिया राम जय जय राम -२
M:- हनुमान जी ने सभी को प्रणाम किया और उछाल कर एक पर्वत पर पहुंचे जिस पर्वत पर हनुमान जी चरण रखते वह तुरंत पाताल मर धश जाता है हनुमान जी इतने वेग से उड़े थे जय रामचंद्र जी का बाण जा रहा हो समुन्द्र के अंदर से मैनाक पर्वत उनके स्वागत के लिए निकला उन्होंने उसको स्पर्श किया और कहा मैंने आपका अतिथे स्वीकार किया किन्तु अभी मै विश्राम नहीं कर सकता क्यूंकि राम काज कीन्हे बिना मोहे कहा विश्राम भक्तो श्री हनुमान जी अखंड ब्रह्माचारी है हनारे तीर्थ राज प्राज्ञ में बहुत ही विद्यावान प्रभुदार ब्रह्महचर्चि कहते है हनुमान जी के अंजनी गर्भ संभूतो, वायु पुत्रो महाबल:।
कुमारो ब्रह्मचारी च हनुमान प्रसिद्धिताम्।। बर्ह्मचर्य के कारन ही हनुमान जी में उड़ने की शक्ति थी जिस वह सो योजन यानि चार सो कोस की दुरी समुन्द्र को उड़ कर पार कर लिए हनुमान जी की इस पराक्रम देवता ने परीक्षा लेने के लिए सुरसा को भेजा सुरसा नाम अहिं कहिये माता ताहि कहिए बाता आज सुरहन माहि दीन आहार सुनत वचन कह पवन कुमारा सुरसा ने भी यही कहा है की आज देवताओं ने मुझे भोजन दे दिया है हनुमान जी ने कहा राम काज कर फिर मै आबहु सीता के सुधि प्रभु सोनाबाहु तब तब बदन पटिटहु आही सत्य कहु मोहि जाने दे माई राम जी का काम कर के आऊंगा माता तो मै आपका आहार बन जाऊँगा मै सत्यता पूर्वक आप से कह रहा हूँ मुझे जाने दो पर सुरसा है की नहीं मानी वह जाने नहीं दे रही थी उसने अपना मुँह फैलाया हनुमान जी ने अपना बदन दूना कर दिया ये खेल काफी देर तक चलता रहा भक्तो फिर क्या हुआ जैसे जैसे सुरसा बदन बढ़ाती हनुमान जी उसका दूना करते चले जाते जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा। तासु दून कपि रूप देखावा॥ सुरसा ने दो योजन बढ़ाया हनुमान जी ने चार किया हनुमान जी ३२ योजन का शरीर बढ़ा लिए हनुमान जी ने देखा की ये परिस्थिति विषम होती जा रही है उन्होने अपने अंगूठे के बारबार अपना विषम रूप धारण कर के और जैसे ही सुरसा का मुँह सो जोजन का हुआ बिजली की गति से सुरसा के मुँह में प्रवेश किये और बहार आ गए सुरसा मैया को प्रणाम किये की मैया तेरी इच्छा पूरी हो गई मै तो तेरा भोजन बन गया मैया अरे अब तो मुझे प्रभु के कार्य के लिए जाने दे
तेरी इच्छा पूर्ण हुयी माँ अब तू दे वरदान
राम पूरा करने में सक्षम को हनुमान
सुरसा ने आशीष दे दिया पवन पुत्र तुम जाओ
राम काज पूरा कर के तुम सीता की सुध लाओ
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो श्री हनुमान जी को सुरसा का आशीर्वाद मिल गया और उड़ गए पकड़ लेती थी और उन्हें खा जाती थी हनुमान जी की छाया उनसे पकड़ ली हनुमान जी की जाती रुक गई हनुमान जी निचे समुन्द्र में देखे तो एक भयंकर राक्षसी दिखाई पडी शीघ्र ही श्री हनुमान जी ने उसे एक गुसा मारा वो दे हो गई और हनुमान जी ने फिर अपनी गति पकड़ ली तमाम संकट को पार करते हुए श्री हनुमान जी लंका के तट पर एक पर्वत के ऊपर पहुंच गए और उस पर्वत पर खड़े हो कर लंका की सुरक्षा व्यस्था कैसी है इसका आकलन करने लगे
बड़े विकट बलवान असुर से घिरी हुयी थी लंका
लंका द्वारा लंकनी रक्षक हुयी ह्रदय मेंशंका
कठिन लग रहा प्रवेश अब कैसे अंदर जाऊं
हो जाए घनघोर रात तब कोई जतन बनाऊ
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- लंका की सुरक्षा व्यवस्था चाक चोबंध देख कर श्री हनुमान जी दिन को देखा और रात की प्रतीक्षा की प्रेमीजनों जब रात्रि हुयी तब हनुमान जी ने एक मछर सा रूप धारण किया छोटा सा लंका द्वार से जाने लगे तो लंकनी ने रोका रुको कौन हो कहा जा रहे हो हनुमान जी ने एक घुसा उसे मरा और वह खून की उलटी करती हुयी धराशाही हो गई राम जी लंका में प्रवेश कर गए और मंदिर मंदिर प्रति कर सोधा देखे जहाँ तहँ अगणित सोधा भक्तो श्री हनुमान जी ने लंका के प्रत्येक भवन का निरक्षण किया यहाँ तक की गोस्वामी जी जे लिखा
गयु दसानान मंदिर माहि अति विचित्र कही जात सो नाही
कोरस :- राम सिया राम राम सिया राम सिया राम जय जय राम -२
M:- प्रेमीजनों श्री हनुमान जी पूरी लंका का भ्रमण कर लिए पर सीता मैया कही नही मिली
बड़े विशाल और विकराली कर में लिए भुजा ली
घूम घूम के असुर कर रहे लंका की रखवाली
कपिवर चुप के घुसे महल में सोया था दसकंधर
पुष्पक बहार खड़ा हुआ था सभी रानिया अंदर
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो श्री हनुमान सीता जी को खोजते चले जा रहे है रावण सोया हुआ है दास दसिया चवर डुला रही है इस तरह सुखमय जीवन वह व्यतीत कर रहा है यह सोचकर और आगे बढे रावण का रनिवास देखा उस रनिवास में सुन्दर युवतिया जिनको रावण हरण कर के लाया था सब कामयुक्त और वासना युक्त आपस में अटखेलिया कर रही थी उन कामिनियों की दशा देखिये प्रेमीजनों कविवर श्रीकांत मिश्र जी ने उस दशा का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है सुन्दर सुखुम नारी झीनी झीनी तन सारी भीनी भीनी गंध मदिरा की मंडरा रही
कोई मतवारी कोई काम हे है मारी कोई मधु की झारी तन पर ढरका रही कोई गोरी कोई काली पि के मदिरा की प्याली चुम चुम दूसरे के काम को बढ़ा रही कोई थकी हारी रति क्रिया से बेचारी कोई रति कामना से नींद अपनी भगा रही बिखरे हुए है हार बिखरी हुयी है वेणी कही पडी कंचुकी कही बाजूबंद पड़े कही पाजेब कही चूड़ी खनका रही किसी के नितम्ब पर शीश धार सोई हुयी नींद की खुमारी में दसानन को पा रही कोई वाद यंत्र से लिपट कर सोई रही यौवन के उभार को भार से दबा रही अस्त व्यस्त हुयी पस्त नशे में पडी है मस्त किसी भी विरह का ह्रदय सभी लुभा रही कहे श्रीकांत वीर हनुमान देख रहे सूरा सुंदरी ही लंकेश को डूबा रही भक्तजनो ऐसी दशा देख कर ब्रह्मचारी श्री हनुमान जी कुछ क्षण के लिए क्षोभ हुआ की उन्होंने परायी स्त्रियों को कामुक दशा में देखा किन्तु फिर मन में विचार आया की मैंने तो ये सीता माँ की तलाश में देखा है मेरा विचार तो विकार रहित है नारी को नारी के समूह में नही खोजता तो कहा खोजता फिर वो घूमते हुए विभीषण के द्वार पर पहुंचे देखा दीवारों पर राम राम लिखा हुआ मन अति प्रसन्न हुआ ब्रह्मण रूप में भेट किया और लंका में आने का अपना उद्देश्य बताया भक्त विभीषण अति प्रसन्न हुए
भक्त विभीषण अति प्रसन्न था सफल हो गया जीवन
राम दूत हनुमान मिल गई काट जायेगा बंधन
अब दिन भी दूर नही जब मुझको राम मिलेंगे
राम दूत दयालु मेरी मदद करेंगे
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तो सीता माँ खोजते खोजते श्री हनुमान जी को राम भक्त विभीषण के दर्श हुए विभीषण से मित्रता हो गई प्रेम बढ़ गया एक दूसरे का कुशल क्षेम जानने लगे कारन बताया हनुमान जी ने विभीषण ने कहा श्री हनुमान जी मै इस कार्य में आपकी मदद करूंगा पर आप भगवान् श्री राम जी के दर्शन में हमारी मदद करेंगे प्रेमीजनों विभीषण द्वार बताये गए मार्ग पर श्री हनुमान जी आगे बढ़ते है
कलजु केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरे पारा
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम
M:- राम सिया राम सिया राम जय जय राम -२
कोरस :- राम सिया राम सिया राम जय जय राम -2
कोरस :- जय जय श्री राम की जय बोलो हनुमान की
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों विभीषण हनुमान जी को सारा जतन बताते है कैसे सीता माँ का दर्शन पाएंगे आप
वन अशोक में जाने का पथ सारा जतन बताया
असुर नारियो का पहरा है हनुमंत को समझाया
हनुमान पहुंचे अशोक वन सीता माँ को देखा
मन में किये प्रणाम पवनसुत मिलने का पथ सोचा
पेड़ो के पातो में छुपकर हनुमंत बैठ जाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो नो माँ सीता की दशा देखर बजरंगबली बहुत दुखी हुए सीता जी से कैसे मिला जाए उन्हें किस तरह विश्वास दिलाया जाए रामदूत हूँ हनुमान जी विचार करने लगे उसी समय रावण आ गया मंदोदरी और बहुत सारी राक्षसियों के साथ वहां आता है रावण कहता है मै रावण सुन सन्मुख सियानी मंदोदरी आदि सब रानी तब अनुचरी करहुंप्न मोरा एक बार बिलोकइ मोरा रावण ने कहा हे सुदंरी सीता मै मंदोदरी और सभी रानी को तुम्हारी दासी बना दूंगा सेविका बना दूंगा बस एक बार तू मेरी और देख ले प्रेमीजनों सीता माँ ने रावण के बात का उतर दिया कैसे उतर दिया बाबा तुलसी की इन चौपाइयों में समझे सुमिरे अवध पति स्नेही सुन दसमुख खद्योत प्रकाश कबहुँ की नलनी करूँ प्रकाश
सठ सूनें हरि आनेहि मोही। अधम निलज्ज लाज नहिं तोही॥
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों बड़ी गंभीरता से सीता माता ने धरती से एक तिनका उठाया हाथ में ले कर अपना मुँह ढका
मुँह के सामने तिनके को रखा और फिर कहा भक्तजनो एक बात मै बताना चाहता हूँ यही भारत संस्कृति और मर्यादा है भारत की नारियां लज्जा शील होती है वो पराये पुरुष से घूंघट की ओट में बात करती है यहाँ पर माता सीता ने एक तिनका उठाया एक दसमुख वाले रावण मुझे अकेला पा कर तुमने मेरा हरण किया अरे अधर्म तुझे लाज नहीं आती तू अपने को वीर कह दे इतना सुनते ही रावण को क्रोध आया और रावण बोला
एक माह के अंदर यदि तू मेरी ना हो पायी
चंद्र हास काटूंगा सर मृत्यु तेरी है आयी
चला गया दसकंधर कह के सीता जी घबराई
सीता जी बोले त्रिजटा से चिता बना दे माई
जलकर राख बना दूँ ये तन जलकर राख बना दूँ ये तन ऐसे सपने आते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो यह सारा दृश्य श्री हनुमान जी अशोक वृक्ष पर बैठे बैठे देख रहे है दुखी हो जाते है हनुमान जी इधर लाल लाल कोपलों को देख कर अशोक तुम मेरा शोक हरो ये अंगारे जैसी पत्तियों को मेरे आँचल में डाल दो मै भस्म होना चाहती हूँ यही उचित समय में भगवान् श्री राम जी की अंगूठी को गिरा दिया सीता माँ के आँचल में जैसे ही गिरी सीता मैया ने उसे पहचान लिया ये तो सीता जी की अंगूठी है यानी मेरी ही अंगूठी है ये केवट की उतराई देने के लिए हमने प्रभु श्री राम को दिया था राम जी ने इसे अपनी ऊँगली में पहन लिया था यही अनूठी राम जी ने हनुमान जी सीता जी हनुमान जी पर विश्वास करे की वो राम जी के भेजे हुए दूत है हनुमान जी सोचने लगे किस प्रकार मै माँ के सामने जाऊं की मै प्रभु श्री राम का ही दूत हूँ
सभी असुर मायावी होते ये असुरो का घर
मुझे असुर न समझे माता मुझको इसका डर है
अवध प्रांत की भासा बोलूं तब मैया जानेगी
कर लेंगी विश्वास फिर मुझे राम दूत मानेंगी
राम चरित अवधि भाषा में हनुमान जी गाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो एक और बात बताना चाहता हूँ श्री हनुमान जी व्याकरण के बहुत बड़े विद्वान है ज्ञानियों में अग्रगणीय और प्रबल बुद्धि के स्वामी है श्री हनुमान जी तत्वेत्ता है उनको पहचान है किस अवसर पर क्या बात करनी है श्री हनुमान जी के बारे में कहा गया जय हनुमान ज्ञान गुण सागर जय जय कपीस तेहुँ लोक उजागर विद्यवान गुनी अतिचतुर राम काज करबे को आतुर श्री हनुमान जी ने अवधि भाषा में श्री राम जी का गुणगान करना आरम्भ कर दिया काग भसुंडि ने कौए का रूप धारण किया था और सीता जी के पैर में चोंच मार दिया श्री राम जी ने सिक के बाण से प्रहार किया उसे तीनो लोक में दौड़ाया था जब वह राम के शरण में आया उसका वध करने की बजाये उसकी एक आँख फोड़ कर उसे छोड़ दिया इतनी अतरंग घटना और अवधि भाषा यह सुनकर सीता जी को विश्वास हो गया की अवश्य राम का भेजा हुआ दूत है और फिर सीता मैया ने कहा
श्रवण अमृत जो कथा सुनाई कही सो प्रकट हो तुम भाई
तब हनुमंत निकट चली गयउ फिर बैठिहि मन विस्मय भयउ
राम दूत मै मात जानकी सत्य सप्त करुणा निधान की
यह मुद्रिका मात मै आणि कह राम सहदानी
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- बड़ा सुंदर प्रसंग है बड़ा मार्मिक प्रसंग है भक्तो सुंदरकांड का यह हनुमान जी को बन्दर के रूप में देखकर सीता माता को बड़ा आश्चर्य हुआ उन्होंने हनुमान जी से पूछा क्या पूछा की आप तो वानर है प्रभु श्री राम तो मनुष्य है आप दोनों की मित्रता कैसे हुयी
नर बानरहि संग कहु कैसें। कही कथा भइ संगति जैसें आप लोगो की मित्रता कैसे हुयी हनुमान जी ने कहा आपका हरण जब रावण ने किया आपकी खोज में जंगल जंगल पर्वत पहाड़ भटकते प्रभु हसरी राम जटायु का उद्धार करते सबरी के आश्रम में पहुंचे सबरी को नोधा भक्ति दी उसके प्रेम में उसके द्वारा रखे हुए मीठे वेर खाये सबरी ने बताया ऋषिमुख पर्वत जाओ वहां सुग्रीव मिलेंगे जिनसे मित्रता करो और वह सीता मैया की खोज में आपकी सहायता करेंगे इस प्रकार हम लोगो का श्री राम से मेल मिलाप हुआ पुनः अपनी मुद्रिका दे कर के आपके पास भेजा
वैदेही के ह्रदय हो गया हनुमंत के मन विश्वास
जान लिया सचमुच ये वानर कृपा सिंधु का दास
प्रभु का सेवक जान ह्रदय इ हुआ अधिक ही प्यार
जैसी डूबी नैया को मिल जाए पतवार
पूछी कुशल राम लक्ष्मण का हनुमान बतलाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो भगवान राम और भैया लक्ष्मण का कुशल क्षेम जान कर के सीता जी के आँखों में आंसुओं आ गए गए गाला रुंध गया उस रुंधे हुए गले से पूछ रही है भक्तो बड़ा मार्मिक प्रसंग है ह्रदय विदाकारक प्रसंग है ध्यान दीजिये माँ कहती है
अब कहु कुसल जाउँ बलिहारी। अनुज सहित सुख भवन खरारी॥
कोमलचित कृपाल रघुराई। कपि केहि हेतु धरी निठुराई॥2॥
सहज बाण सेवक सुख दायक कबहुँ रुख सुरति करती रघुनायक
कबभु नैन मन शीतलतता होहहि निरख श्याम मृदु गाता
वचन ने अब नैन भयउ बारी आह नाथनिपट बिसारी
देखि परम विरहा कुल सीता बोला कपि मृदु वचन विनीता
सीता मैया के दोनों आंख से आंसू बह गए माँ की यह दशा देख कर श्री हनुमान जी विनम्रता पूर्वक बोले सीता जी पूछ रही है रघुनायक जी को क्या हमारे इन नैनो की याद आती है हे नाथ आप इतने निष्ठुर हो गए की हमें भुला दिए सीता जी के आँखों में आंसू बह रहे है विरह में व्याकुल हो गई है हनुमान जी ने जब सीता जी को कितना दुखी देखा तो विनम्र वाणी में मधुरता पूर्वक कहने लगे भगवान् राम अपने अनुज के साथ कुशल है तब तब दुखी सु कृपा निकेता
जनि जननी मानह जियँ ऊना। तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना॥
सीता जी हनुमान जी की बात सुनकर खुश हुयी हनुमान जी ने अपना विराट रूप दिखा कर भरोसा दिलाया राम की सेना रावण की सेना से कम नही है माते हनुमान जी माता सीता से आज्ञा ले कर फल खाने की इच्छा से अशोक वाटिका जाते है रखवाली करने वाले राक्षसों और पहरेदारो को मारते है जिसे पुरे बाग़ में कलहाल मच जाता है रावण अपने बेटे अक्षय को भेजता है हनुमान जी उसका संघार कर देते है रावण अत्यंत दुखी हुआ यह सुनकर उसने अपने सबसे शक्तिशाली पुत्र मेघनाथ खो भेजा और कहा पुत्र उसका वध मत करना बाँध कर लाना मेघनाथ को लगा अब तो मेरे प्राण भी चले जायेंगे फर मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र जा प्रयोग किया मेघनाथ को बंदी बनाया और रावण के सामने ले कर के गया रावण ने पूछा तू कौन है कहा से आया है तुझे रावण के नाम से डर नहीं लगता हनुमान जी ने कहा
जिनके डर से काल डराए तीन लोक के स्वामी
ऐसे प्रभु श्री रामचंद्र का हनुमान अनुगामी
रही तुम्हारे बल प्रताप की सारी गाथा जानी
रघुवर की सीता हर लाये कायर तुमको मानी
शहसबाहु बाली ने तुमको जीवन दिया बताते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों हनुमान जी ने तो उसकी सभा में ही उसकी सारी पोलपटी खोल दी हनुमान जी की बातो से रावण को बहुत क्रोध आया उसने कहा इस मर्कट को मार दो विभीषण ने आ कर के कहा महाराज दूत का वध निति के विरुद्ध माना जाता है ऐसा मत करिये कुछ और दंड दे दीजिये रावण ने कहा इसकी पूंछ में आग लगा दो इस अंग भांग कर के वापस भेज दो तब इसकी हेकड़ी निकल जाएगी हनुमान जी मन ही मन प्रसन्न हुए की अब माँ सरस्वती ने मुझ पर कृपा किया हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी गई बस फिर क्या था शनिदेव ने दृष्टिपात करना प्रारम्भ किया और महलो की दीवारे राख का ढेर बन के गिरने लगी
ग्रह विभीषण वन अशोक को हनुमंत नहीं जलाये
बाकी तो सारी लंका में घूम के आग लगाए
कूद पड़े सागर में जा के अपनी आग बुझाये
फिर सीता माता के समनुख चरण शीश झुकाये
हनुमान जी लंका दहन की सारी बात बताते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो हनुमान जी सीता माँ के सन्मुख जा के खड़े होते है सीता माँ ने हनुमान जी को दुबारा आशीर्वाद दिया माता सीता जी ने सिन्दूर का टिका लगाया श्री हनुमान जी ने बहुत विनम्र भाव से पूछा माँ ये क्या है बड़ा सुंदर लग रहा है सीता मैया ने कहा पुत्र ये सिन्दूर है तुम्हारे स्वामी रघुनादन को बड़ा अच्छा लगता है हनुमान जी ने मन में सोचा तब तो ठीक है मै अपना पूरा शरीर ही सिन्दूर से रंग लूंगा कम से कम सिन्दूर देखने के बहाने श्री राम जी मुझको तो देखंगे अपने पास तो रखेंगे इसीलिए हनुमान जी को सिन्दूर क चोला चढ़ाया जाता है प्रेमीजनों आज कल आप देखते होंगे काले हनुमान जी के मूर्ति के भी मंदिर है हनुमान जी का यह स्वरूप कष्ट भंजन है जब लंका दहन किये थे उस समय आग की आंच से शरीर कुछ काला पड़ गया था शता मैया ने आशीर्वाद दिया हनुमान जी ने कहा माँ मुझे कुछ निसानी दे दो हनुमान जी की बात सुन कर के सीता माँ ने उन्हें अपनी चूड़ामणि उतार कर के दिया
चूड़ामणि उतार के माँ ने दिया इन्हे पहचान
विदा लिए मैया से हनुमंत किये शीघ्र प्रस्थान
मिले राह में शनिदेव जी बोले प्रिय हनुमान
जग वाले डटे है मुझे से इसका करो निदान
हनुमान संग शनिदेव संसार में पूजे जाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो इस प्रकार हर शनिवार को हनुमान जी के साथ शनिदेव पर भी लोग तेल तिल चढ़ाकर के पूजा करते है कृपा पाते है है शनिदेव की हनुमान जी ने कहा मेरे गुरु भाई शनि तुम तो न्याय के देवता हो लोगो को उनको बुरे कर्मो का फल मिलता है तुम्हारी दशा में ही प्राणी भगवन की भक्ति में लीन होता है तम्हारी प्रसन्नता से निर्धन भी धनवान हो जाता है जब मुझे तेल चढ़ाया जायेगा तो उसमे काला तिल तेल उरद दाल कर के अवश्य तुम्हारी पूजा का हिस्सा बनेगा इसीलिए काली तेल या काली उर्द डाल कर हनुमान जी को तेल चढ़ाया जाता है हनुमान जी को तेल क्यों चढ़े जाता है भक्तो सूखा सिन्दूर शरीर पर चिपकता नहीं उसे तेल चढ़ाते है आइये एक और रहस्य की कथा आपको बताते है
शनि और दसकंधर का भी एक रहस्य बताऊँ
शनि दसकंधर की मै चर्चा के सुनाऊ
शनि को कैद किया दसकंधर बोला अभी बताओ
कितनी तेज दृष्टि तेरी शनि देखूंगा दिखलाओ
कहा शनि ने मूढ़ दशा शनि यह भी कथा सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो रावण की अहंकार भरी बात सुनकर शनिदेव हंस पड़े बोले रावण तू हँकारि तो है ही पर ना समझ बह है पहले तो मै दूर से दृष्टि डालता था तो लोग संकट ग्रस्त होते थे अब तो तूने मुझे अपने घर ने ही ला कर बैठा दिया है तो तू कैसे बचेगा तेरा विनास तो होना सुनिश्चित है अगर इतने पर भी दसकंधर ना समझे तो यही कहना उचित होगा की नाश काले विपरीत बुद्धि भक्तजनो हरी अनंत हरी कथा अनंता कितना भी कह लो बची रहती है जैसे समुन्द्र में से जल निकल तो बचा ही रहता है प्रेमीजनों श्री हनुमान जी की कथा को आगे बढ़ाते है
चूड़ामणि ले कर बजरंगी चले राम के पास
उड़ते उड़ते पवन पुत्र को लगी जोर की प्यास
मन में गूंज रहा था मैंने किया प्रभु का काम
लंका जला दिया रावण की हर्षित होंगे राम
खोज किया सीता की भरम में मन एते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो प्राणी ईश्वर का कितना भी बड़ा भक्त हो कभी ना कभी उसे अहंकार आ ही जाता है ऋषि मुनि और देवता भी अहंकार से नहीं बचे है हनुमान जी तो इतना बड़ा कार्य कर के लौट रहे थे स्वाभाविक है कही ना कही थोड़ा सा गर्व तो होगा ही भगवान् को अपने प्रिय भक्तो में अहंकार नहीं पंड है वह नहीं जानते की उनका भक्त अहंकार में डुब कर सद्मार्ग से दूर हो जाए हनुमान जी ने कही ना कही से अपने दिमाग में भरम पाला की मैंने लंका दहन किया मैंने रावण की राक्षशो का वध किया पर भगवन की लाया देखिये आगे किस प्रकार की नारायण लीला दिखाते है
एक कुटी पर्वत के ऊपर देखे केशरी नंदन
ध्यान मगन एक ऋषि कुटी में करते थे आराधना
पवन पुत्र उतरे अम्बर से ऋषि को शीश झुकाये
बोले प्यास लगी है रिश्वर थोड़ा जल मिल जाए
ऋषिवर कहे जलाशय वह हनुमान जी जाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो हनुमान जी को प्यास लगी ऋषि ने उन्हें सरोवर का रास्ता दिखा दिया दिखा दी ऊँगली सरोवर की तरफ पवन पुत्र ने कहा मुनिवर मेरे पास सीता मैया की दी हुयी चूड़ामणि है मै लंका से आ रहा इस चूड़ामणि को प्रभु श्री राम के पास ले जाना है मै इसे यही रख देना जरा ध्यान दीजियेगा लौटकर इसे पुनःले लूंगा ऋषि ने कहा कोने में रख दीजिये हनुमान जी रखकर के जल पिने गए हनुमान जल पी कर वापस आये तो चूड़ामणि जहाँ रखे थे वहां नहीं थी हनुमान जी ने कहा मुनिवर यहाँ पर हमने सीता माता की दी हुयी चूड़ामणि रखी थी कहा गई ऋषि ने कहा भाई यदि तुम्हारे रखे हुए स्थान पर नहीं है तो देखो उस कमंडल में है क्या एक बन्दर आया था कही उसने कमंडल में ना डाल दिया हो हनुमान जी कमंडल में हाथ डालने लगे बड़ी रोचक कहानी है कथा आगे बढ़ती है
कई हजार मिले चूड़ामणि हनुमान घबराये
चूड़ामणि से भरा कमंडल उसकी थाह ना पाए
सभी एक जैसे मै तो ढूडन ढूडन के हारा
हनुमान ने कहा ऋषिवर इसमें कौन हमारा
ऋषि ने कहा तुम्ही पहचानो हनुमान घबराते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- हनुमान जी कहा मुनिवर मेरी तो एक ही चूड़ामणि है इसमें तो हजारो है ये सब कहा से आयी भाई जितनी बार राम की सीता ने हरण किया हर बार हनुमान जी सीता की खोज में लंका गए लंका जलाये और हर बार सीता मैया उन्हें चूड़ामणि दिया चूड़ामणि ले कर यही आते है हनुमान जी पानी पिने के लिए उतारते है उस समय चूड़ामणि एक बंदर उठा के इसमें डाल देता है ये सारी चूड़ामणि सीता जी की है प्रेमीजनों हनुमान जी को यह सुन कर चक्क्र आ गया हनुमान जी की आंखे खुली तो ना ऋषि थे ना ही कुटिया हनुमान जी समझ गए मेरा अहंकार दूर करने के लिए भगवान ने ये खेल रचा था और हनुमान जी ने मन ही मन भगवान् के युगल चरणों को प्रणाम किया प्रेमीजनों कथा आगे बढ़ती है
उतरे सागर पार पवन सुर वानर सब हर्षाये
राम काज कर के बजरंगी कर के आये आये आये
राम चंद्र के पास गए सब सारी बात बताई
चूड़ामणि दिए पवन सूट रघुनादन हर्षाये
पवन पुत्र मै ऋणी तुम्हारा राम जी उन्हें बताते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों हनुमान जी ने सीता जी का विधिवत समाचार प्रभु श्री राम को सुनाया श्री राम जी के आँखों से आंसू छलकने लगे हनुमान जी ने कहा प्रभु अब लंका पर चढ़ाई की जाए माता ने कहा है प्रभु यदि आप एक माह के अंदर नहीं आये तो मै अपने प्राण त्याग दूंगी श्री राम जी ने कहा बिलकुल ठीक कह रहे हो हनुमान लंका चलने की तैयारी करो किन्तु मुझे एक बात बताओ हनुमान जी ने कहा प्रभु पूछिए प्रभु श्री राम ने कहा हे पवनसुत मैंने तुम्हे सीता जी का समाचार लाने के लिए किसी का घर जलाने के लिए नहीं बोला था प्रभु मैंने लंका नहीं जलाई हे रघुनादन यदि मुझ पर आरोप तो करता हूँ मै इसका खंडन मैंने लंका नहीं जलाई भगवान् आप मुझे पर ये आरोप लगा रहे है तो मै इसका खंडन करता हूँ भगवान् श्री राम आश्चर्य से बोले सारे संसार में यही बात हो रही है की हनुमान जी ने रावण की लंका जला दिया और तुम कहते हो की मैंने लंका नहीं जलाई हनुमान जी कहते है प्रभु मै सत्य कह रहा हूँ प्रभु मेरी क्या औकात जो मै महाबली रावण की लंका को जला दूँ मै तो वानर हूँ मेरे स्वाभाव में है एक डाली से दुसरी डाली पर जाना सखा मृग ते बड़ी मनसुहायी साखा ते साखा पर जाई प्रेमीजनों हनुमान जी ने अपना स्वभाव बताया और कहा प्रभु भला मै इतना शक्तिशाली कहाँ बन जाऊंगा की त्रिलोकी विजय रावण की लंका जला दूँ भगवान मुस्कुराये और बोले तो फिर किसने लंका जलाई हनुमान जी हनुमान जी ने कहा प्रभु लंका को चार लोगो ने जलाया नाम बताऊँ प्रेमीजनों आपको कितना सुंदर दृश्य है सुनिए
सीता का संताप वहां था रावण का था पाप
स्वयं हमारे बाप पवन थे पीछे खड़े थे आप
चारो लोगो ने मिल के लंका राख बनायी
मेरा हाथ कहाँ इसमें सीतापति रघुराई
अपना नाम सुने तो राम जी चक्र श्री राम जी खाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते हा -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो भक्त और भगवन के रिश्ते का कोई जवाब नहीं मिलता संसार भगवान ने मुस्कुरा कर के कहाँ अरे भैया मुझ पर क्यों दोष लगा रहे हो पवन पुत्र मै वहां कहाँ था प्रभु आपकी ही आज्ञा से उंचासो मरुत चले है हरी प्रेत ते ही अवसर मरुत चले उनचास प्रेमीजनों हनुमान जी ने कहा प्रभु आपकी प्रेरणा उस समय हुई और रावण के द्वार में लगे हुए उनचास खम्भे फट गए उनमे उनचास प्रकार के पवन कैद थे सब बहार आ गए और ऐसी हवा चली की लंका जल के राख हो गई भगवान् श्री राम हनुमान जी की बुद्धि चातुर्य पर प्रसन्न हुए और उन्हें गले से लगा कर कहा
सुनु कपि तोहि समान उपकारी। नहिं कोउ सुर नर मुनि तनुधारी॥
प्रति उपकार करौं का तोरा। सनमुख होइ न सकत मन मोरा
सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं। देखेउँ करि बिचार मन माहीं॥
पुनि पुनि कपिहि चितव सुरत्राता। लोचन नीर पुलक अति गाता॥4॥
केशरी नंदन पवन पुत्र की महिमा तुम्हे सुनाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों हनुमान जी ने बड़ी चतुराई से सफाई पेश कर के श्री राम जी को संतुष्ट कर दिया अब लंका पर चढ़ाई की तयारी हुई सभी वानर भालू सागर के किनारे पहुंचे और सागर प् पल बनाने का कार्य किया प्रेमीजनों बड़े बड़े पहाड़ ला कर सागर में डाले गए श्री हनुमान जी गोवर्धन पर्वत ले कर आ ही रहे थे तब श्री राम ने घोषणा कर दी अब कोई पर्वत पहाड़ ना लाया जाए सेतु का कार्य पूर्ण हो गया है श्री हनुमान जी ने गोवर्धन को उतर कर दिया श्री गोवर्धन जी रो कर कहने लगे पवन पुत्र मै इतना अभागा हूँ की प्रभु श्री राम जी की चरण धूलि भी ना पा सका इस बात को हनुमान जी ने श्री राम जी से कहा गोवर्धन जी का दुःख बताया तो भगवान् ने कहा की हनुमान जी गोवर्धन से कह दीजिये की द्वापर में मै उन्हें अपनी उँगलियों पर उठाऊंगा प्रेमीजनों इस कथा को सुनिए बड़ी सुन्दर कथा आगे बढ़ रही है जय श्री राम बोलते सारे वानर भालू धाये
चढ़ने लगे सेतु पर चढ़ के जीव जंतु घबराये
उतरे लंका तट पर राघव वानर भालू सारे
अति उमंग उत्साव ह्रदय में तट पर चिखारे
असुरो का संघारे सुन कोलाहल मच जाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- सब जोश में चिल्ला रहे थे थे युद्ध प्रारम्भ हुआ हनुमान जी हजारो असुरो का संघार किये रावण की छाती पर एक गुसा मरा रावण मूर्छित हो गया जब उठा तो उसने हनुमान जी के बल की प्रसंसा की मेघनाथ ने लक्ष्मण को शक्तिबाण से मारा लक्ष्मण जी मूर्छित हो कर राण भूमि में गिर पड़े उन्हें उठा कर शिविर में लाये हनुमान जी भाई की दशा देखर भगवान् श्री राम दुखी हो गए प्रभु श्री राम अपने अनुज के वियोग में रोने लगे जोजन तेहुन बंधु बिछोहू पिता वचन जाहु अवध कौन मुँह लायी नारी हेतु प्रिय बंधू गवाई
निज जननी के एक कुमारा तात तासु प्राण अधारा सूत बीत नारी भवन परिवार होहाई जाई जग बाराही बारा
अस विचारी जिह जागहु ताता मिले ना जगत सहोदर भ्राता प्रेमीजनों भगवान् श्री राम के इस प्रकार रोने पर भला कौन ऐसा पत्थर ह्रदय है जो नहीं पिघलेगा सार वानर भालू सोक में हो गए श्री राम जी को कहा प्रभु आदेश दीजिये कृपा धाम पाताल पूरी मै जाता हूँ अमृत का कुंड उठाकर के मै यहाँ शीघ्र ही लाता हूँ कहिये तो वैद देवता के अस्वनी कुमार को ले आऊं शेषा अवतार श्री लक्ष्मण का उपचार उन्ही से करवाऊं अम्बर से चंद्र नोच लाऊँ अमृत निचोड़ दूँ लक्ष्मण पर जो आज्ञा हो वही करूँ प्रभु मत करो दुखी मन करुणाकर यम का भी दंड तोड़ दूंगा मै काल गाल में भर लूंगा यदि प्राण लखन के जाएंगे तो वसुधा उलटी कर दूंगा प्रेमीजनों हनुमान जी का जोश देखकर के विभीषण ने कहा हे केशरी नंदन लंका जाओ वहां वैद्य सुखेन का घर है जाओ उन्हें ले कर आओ वही सही उपाए बताएँगे हनुमान जी तुरंत गए और सुखेन वैद्य को घर समेत उठा लाये सुखेन वैद्य ने लक्ष्मण जी की नारी पकड़ कर देखा और कहा धवला गिरी पर मृत्यु संजीवनी नाम की बूटी है यदि उसे ला सकते हो तो लक्ष्मण जीवित हो जाएंगे हनुमान जी सूर्य निकाल से पहले वो यहाँ आनी चाहिए अन्यथा उस बूटी का कोई असर नहीं होगा हनुमान जी राम जी का चरण छुए और हिमालय के लिए उड़ चले प्रेमीजनों संजीवनी की जान वैद्य सुखेन ने बताया की पत्तियां चमकीली होती है और रात में दिए जैसा उसके निचे जलता रहता है यह रोचक कथा आगे बढ़ती है कथा में थोड़ा सा परिवर्तन हो रहा है देखिये आनंद लीजिये
खबर मिली रावण को उसने कालनेमि को बुलवाया
कालनेमि सभी जड़ी पर जा के दीप जलाया
स्वयं ऋषि बना के बैठ गया वो पापी
हनुमान पहचान ना पाए संजीवनी बूटी
ऋषि ने कहा वत्स तुम नाहा के आओ फिर गुरु ज्ञान बताते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो कालनेमि राक्षस जो ऋषि का रूप धर के वहां बैठा था उसने कहा पुत्र जाओ सरोवर में नहा के आओ मै तुम्हे गुरु मन्त्र दूंगा तब तुम संजीवनी को पहचान सकोगे बिना गुरु मंत्र के वहां भटकते रहोगे तुम्हे संजीवनी मिलेगी नहीं प्रेमीजनों वह तो राक्षस था श्री हनुमान जी को भटका रहा था उलझा रहा था की विलम्ब हो जाए ताकि लक्ष्मण जी के प्राण निकल जाए जब लक्ष्मण का नाम सुना तो हनुमान जी ने सोचा ये तो सिद्ध महत्मा है सारी बात जानते है मै स्नान कर के गुरु मंत्र लेता हूँ हनुमान जी नहाने चले गए तालाब में जब घुसे तो एक मगरमछ ने उनका पांव पकड़ लिया हनुमान जी किसी तरह उसको चीर फाड़ डाले मगरमछ मरने के बाद के अप्सरा एक रूप में प्रकट हुआ और उसने कहा हे राम दूत हनुमान जी तुम्हारी ही प्रतीक्षा मै कर रही थी तुमने मेरा उद्धार क्या वह ऋषि नहीं राक्षस है बाबा तुलसी ने लिखा मुनि ना होई है निस्चार भोरा तुम्हे भ्रमित का रहा है यह सारा रावण का खेल है सावधान हो जाओ
ये रावण खेल है सारा समझ गए हनुमान
आये काम नेमि के आगे बोले गुरु महान
मन्त्र तुम्हारा समझ गया मै गुरु दक्षिणा तुमको दूँ
इसी पुंछ में तुम्हे लपेटूँ तुम्हे यम पुर पहुंचा दूँ
प्राण ले लिया कालनेमि के और आगे बढ़ जाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो सारी झाड़ियों के निचे दीपजल रहे थे हनुमान जी ने सोचा मेरी समझ में संजीवनी नहीं आएगी
चलो समूचा पहाड़ ही ले कर चलता हूँ वहां वेद जी पहचान लेंगे द्रोणागिरी को उखाड़ हनुमान जी पवन वेग दे हथेली पर ले उड़ चले अयोध्या जी के ऊपर से जब जा रहे थे तो भयंकर हरहट होने की आवाज हुई नगरवासी घबरा गए भरत जी के पास सब आये लोगो ने समझा कोई राक्षस अयोध्या पर हमला करने आ रहा है भरत जी ने मंत पूरित कर के बाण मारा हनुमान जी पर्वत के साथ धरती पर गिर पड़े गिरते ही उनके मुख से निकला हे राम हे राम हे राम
सूना राम का नाम भरत ने आसान से उठ ध्याए
राम राम कह रहे पवन सूत उनको भरत उठाये
दोनों परिचय में अपना अपना नाम बताया
हनुमान ने लंका रन की सारी खबर सुनाया
मै तो जा रहा था ले औसधि बाण लगे गिर जाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- प्रेमीजनों हनुमान जी ने भरत भैया से कहा भैया यदि सूरज निकलने से पहले मै औसधि ले कर लंका ना पंहुचा तो लक्ष्मण जी के प्राण निकल जाएंगे इतना सुन कर भरत जी रो पड़े और कहने लगे हनुमान जी मै कितना अभागा हूँ मै राम भैया के किसी काम ना आ सका अनजाने में मैंने तुम्हे बानो से गिरा दिया भैया हनुमान तुमसे निवेदन है मेरे बाण पर पर्वत समेत चढ़ो मै तुम्हे अभी लंका पंहुचा देता हूँ भक्तजनो देखिये गोस्वामी जी ने कितनी सुन्दर चौपाई लिखी है चढ़ु मम सायक सैल समेता। पठवौं तोहि जहँ कृपानिकेता।। सुनि कपि मन उपजा अभिमाना।आप इस बाण पर चढ़ जाइये मै आपको वही पंहुचा दूंगा जहाँ मेरे भैया श्री राम जी है भक्तजनो भरत जी ने हनुमान जी का बाहुबल जाना यह सब राम जी का ही प्रभाव है ऐसा मन में सोचकर भरत भैया का वंदन करते हुए भरत लाल जी से विदा लिए सुबह होने में थोड़ा ही समय था रास्ते में भरत द्वारा रुकावट आ गई थी सूरज कही निकल ना आये मुझे पहुंचे में देरी ना हो जाए यह सोचकर उन्होंने सूर्यदेव से कहा
हे सूर्यदेव छुपके रहना अम्बर पर जल्दी मत आना
लंका है अभी दूर मुझसे औसधि है मुझको पहुँचाना
जब तक मै लंका ना पहुँचू तब तक प्रभाव ना होने दो
जब तक लक्ष्मण ना जीवित हो रजनी को यूँही रहने दो
यदि कही गगन पर किरणों ने दिखलाया अपना चमत्कार
तो रहे ध्यान हे सूर्यदेव भर दूंगा जग में अन्धकार
ये राम दूत हनुमान कह रहा विनती या धमकी मानो
ये संकट सूर्यवंश पर है अपने वंश का दुःख जानो
बजरंग बलि की जय प्रेमीजनों ऐसे है हनुमान जी लंका पहुंचकर इन्होने धरती पर पर्वत उतरा के रखा वेद सुखेन संजीवनी बूटी उखारी और पीस कर लक्ष्मण जी का उपचार किये लक्ष्मण जी की मूर्छा छुटी वानर भालू और श्री राम जी प्रसन्न हो गए पुरे रमा दल में हर्ष उल्लास का वातावरण बन गया हनुमान जी की जयकार होने लगी युद्ध फिर से प्रारम्भ होता है राम जी ने हनुमान जी को गले लगा लिया
हरषि राम भेंटेउ हनुमाना। अति कृतग्य प्रभु परम सुजाना॥
प्रेमीजनों श्री राम जी दवा रावण मारा गया सीता जी की अग्नि परीक्षा हुई पुष्पक विमान से सब अयोध्या आने लगे हनुमान जी ने कहा प्रभु आपकी आज्ञा हो तो रास्ते में मै अपनी माता जी से मिलता चलूँ सभी लोगो ने अंजनी माँ का दर्शन किया हनुमान जी अंजनी माँ की गोद से लिपट गए माता अंजनी को जब साड़ी कथा ज्ञात हुए तो उन्होंने हनुमान जी को धकेल ते हुए कहा दूर हट जा मेरी गोद से तूने मेरी गोद का अपमान कर दिया रावण को मारने के लिए हमारे प्रभु को कष्ट करना पड़ा अरे ये कार्य तो तू अकेले कर सकता था कितनी रोचक कथा आइये ध्यान पूर्वक सुनिए
अंजनी माँ को देख रहे थे खड़े लक्ष्मण द्वार
माँ ने कहा सुमित्रा नादाँ देख दूध की धार
मैया ने असतं निचोड़ के दिखलाया जब धार
दो टुकड़ो में बाँट गया पहाड़
यही दूध पी कर बजरंगी महाबली कहलाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो कथा आगे बढ़ती है प्रयाग पहुंचे पर श्री राम जी श्री हनुमान जी को भरत लाल के लिए सन्देश ले जाने के लिए कहा हनुमान जी चले गए भरत जी को बता दिए प्रभु आ रहे है सीता मैया को त्रिवेणी संग पर पूजा करना था माँ ने पूजन किया पुनः सब पुष्पक विमान पर बैठे श्री अयोध्या धाम पहुंचे सब भगवान् श्री राम का राज्य अभिषेक हुआ श्री राम जी राजा बन गए राम जी का दरबार लगा एक छोटी सी कथा और है राम जी ने विभीषण अंगद जामवंत और नील को उपहार दे कर के विदा कर दिया सीता जी ने हनुमान जी को एक मोती की माला दी हनुमान जी हर दाने को तोड़ कर देखने लगे लोगो ने कहा हनुमान जी ये क्या कर रहे हो इतनी कीमती मोती की माला क्यों तोड़ रहे हो हनुमान जी ने कहा मै तोड़ नहीं रहा हूँ इसमें अपने प्रभु श्री राम जी का नाम ढूंढ रहा हूँ जिस वस्तु में प्रभु का नाम नहीं वह मेरे लिए व्यर्थ है वहां उपस्थित सब लोगो ने कहा सुनिए इन पंक्तियों में सुनिए
पवन पुत्र ये तन भी तेरा बिना राम के सूना
सबकी बाते सुनके इनमे जोश आ गया दूना
फाड़ दिखाया अपना सीना लगा राम दरबार
सबने कहा धन्य हो हनुमंत तेरी जय जयकार
ऐसे प्रबल भक्त हैप्रभु भक्तो में सिरों मणि
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तजनो एक बार सीता जी की इच्छा हुयी की अपने हाथो से भोजन बना के हनुमान जी को खिलाऊँ बड़ी मजेदार कथा है हनुमाना जी भोजन करने लगे रसोई का सारा भोजन ही सम्पात हो गया परन्तु हनुमान जी का पेट नहीं भरा सीता मैया लज्जित हो गई घबरा के राम जी के पास गई श्री राम जी ने कहा हनुमान जी भगवान् शंकर के ११ वे अवतार है भोजन की थाली में एक बेलपत्र रख दो सीता जी ने ऐसा ही किया जैसे ही बेलपत्र रखा हनुमान जी डकार लेते खड़े हुए और माता सीता को प्रणाम करते बोले मैया मेरा पेट भर गया श्री राम जब संसार छोड़ते साकेत धाम जाने लगे उन्होंने हनुमान जी से कहा
पवन पुत्र तुम ठहरो जग में जब तक है संसार
मेरे बाद तुम्हे ढोना है इस दुनिया का भर
जहाँ जहाँ पर राम कथा वहां वहां तुम जाना
जो भी शरण आये उसको तुम अपनाना
सबका कष्ट का निवारण करना श्री राम समझाते है
राम दूत हनुमान हमेसा सबका कष्ट मिटाते -२
अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
M:- भक्तोजनो श्री हनुमान जी आज भी अजर और अमर है हमारे बीच उपस्थित है ह्रदय से मनसा वाचा करना एकिकित हो कर श्री हनुमान जी की आराधना करो तो अवश्य हनुमान जी के दर्शन होंगे आपका संकट दूर होगा कलयुग में सादे ५०० साल पहले तुलसी जी को हनुमान जी ने दर्शन दिए बाबा से रामचरित की रचना कर वाई ऐसे कितने लोग है जिन्हे बाबा का साक्षत्कार हुआ श्री हनुमान जी का दर्शन मिला अजा भी अयोध्या में चैत्र रामनवमी के दिन साधु के भंडारे में वो लोगो को भोजन देते है धन्य है हनुमान जी आपको को कोई पहचान नहीं पाता ये अपनी श्रद्धा और विश्वास की बात है की उन्हें कौन पहचान पाता है प्रेमीजनों इन्ही शब्दों के साथ मै अपनी वाणी को विराम देता हूँ हनुमान जी अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता है आप सबका कल्याण करेंगे हनुमान जी श्री हनुमान जी की कथा शृंखला में तीसरा हिस्सा पूरा किया हरी अनंत हरी कथा अनंता है वैसे हनुमान जी की कथा है बाबा श्री हनुमान जीसबका कल्याण करे आप सब ख़ुशी रहे किसी को कोई रोग ना हो हर हाल में हर चाल में जिस रंग में देश में प्रवेश में आप रहे श्री हनुमान जी का ध्यान करते रहे जब हनुमान जी का ध्यान करते रहेंगे तो क्या मिलेगा
सब सुखलाय तुम्हारी शरणा तुम रक्षक काहू को डरना हर प्रकार के सुख की प्राप्ति होगी भय नहीं होगा बड़ी सुन्दर लाइन है लिखी
पार ना लगोगे श्री राम के बिना राम नाम मिलेंगे हनुमान के बिना
बड़ा आनंद आया आप सब के बीच कथा है के यहाँ उपस्थित सभी श्रोता को प्रणाम शेयर संजय अग्रवाल जी श्रीकांत शर्मा जी पंडित राकेश शर्मा जी सतीश धेरा जी पूर्णिमा दुबे जी प्रियंका शुक्ला जी जय जय श्री राम अम्बे परिवार के माध्यम से ये कथा सुने आप सभी को जय सिया राम
कोरस :- अंजनी सूत की कथा महान सुनो सबका होगा कल्याण
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