Current Date: 18 Dec, 2024

है अजब तरह का सामान

- हमसर हयात निज़ामी


है अजब तरह का सामान तेरी शिर्डी में,
आता हिन्दू है मुस्लमान तेरी शिर्डी में।
आए जितने भी परेशान तेरी शिर्डी में,
काम सबके हुए आसान तेरी शिर्डी में॥

दीवाना तेरा आया बाबा तेरी शिर्डी में।
नज़राना दिल का लाया बाबा तेरी शिर्डी में।


 
मिल मुझको मेरे बाबा, भरनी तुम्हे पड़ेगी,
झोली मैं खाली लाया बाबा तेरी शिर्डी में॥

मैं दीवाना हो गया रे, मैं दीवाना हो गया,
मैं दीवाना हो गया रे, मैं दीवाना हो गया॥

यूँ तो हज़ारो मंजर देखने हैं हसीं मेने,
दिल तो सकूँ पाया, बाबा तेरी शिर्डी में॥

शिर्डी को छोड़ कर मैं कहीं और कैसे जाऊं,
सब कुछ तो यहीं पाया, बाबा तेरी शिर्डी में॥

वो हो राम कृष्ण विष्णु या हो शेरों वाली मैया,
मुझे तू ही नज़र आया सब में, बाबा तेरी शिर्डी में॥

ना ‘हयात’ भूल पाया तेरी शिर्डी का वो मंज़र,
भगवान नज़र आया बाबा तेरी शिर्डी में॥

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