1
अज रहमत गुरूजी दी होयी
साढे घर विच सतसंग होया
साढे घर विच सतसंग होया -२
१
सोना गुरु जी दा आसन सजाया
सबनु गुरु जी ने आप बुलाया
अज रज रज दर्शन करना
साढे घर विच सतसंग होया
२
गुरु जी बैठे खोल भंडारे
कृपा तेरी भरे भंडारे
अज मंगदे वि न घ्कना
साढे घर विच सतसंग होया
३
ढोली ढोल बजा अज रज के
भंगड़ा पा ला अज में रज के
अज नच नच ख़ुशी मनावा
साढे घर विच सतसंग होया
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