गुलशन कुमार जी के शिव भजन (Gulshan Kumar Ji Ke Shiv Bhajan)
1. शिव शंकर को जिसने पूजा
2. सुबह-सुबह ले शिव का नाम
3. हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ
4. हे भोले शंकर पधारो
5. चलो शिव शंकर के मंदिर में
6. ज्योतिर्लिंग का ध्यान करो
7. चलो भोले बाबा के द्वारे
8. महादेव शंकर हैं
9. शिव चालीसा
10. ॐ जय शिव ओमकारा
शिव शंकर को जिसने पूजा (Shiv Shankar Ko Jisne Pooja)
शिव शंकर को जिसने पूजा,
उसका ही उद्धार हुआ ।
अंत काल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ ॥
लक्खा जी का सुपरहिट भजन: शिव शंकर डमरू वाले
भोले शंकर की पूजा करो,
ध्यान चरणों में इसके धरो ।
हर हर महादेव शिव शम्भू,
हर हर महादेव शिव शम्भू ।
हर हर महादेव शिव शम्भू...
डमरू वाला है जग में दयालु बड़ा
दीन दुखियों का देता जगत का पिता ॥
सब पे करता है ये भोला शंकर दया
सबको देता है ये आसरा ॥
इन पावन चरणों में अर्पण,
आकर जो इक बार हुआ,
अंतकाल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ,
हर हर महादेव शिव शम्भू,
हर हर महादेव शिव शम्भू ।
हर हर महादेव शिव शम्भू...
नाम ऊँचा है सबसे महादेव का,
वंदना इसकी करते है सब देवता ।
इसकी पूजा से वरदान पातें हैं सब,
शक्ति का दान पातें हैं सब।
नाथ असुर प्राणी सब पर ही,
भोले का उपकार हुआ ।
अंत काल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ॥
शिव शंकर को जिसने पूजा,
उसका ही उद्धार हुआ ।
अंत काल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ ॥
भोले जी का सबसे मनमोहक भजन: सज रहे भोले बाबा
भोले शंकर की पूजा करो,
ध्यान चरणों में इसके धरो ।
हर हर महादेव शिव शम्भू,
हर हर महादेव शिव शम्भू ।
हर हर महादेव शिव शम्भू...
सुबह सुबह ले शिव का नाम (Subah Subah Le Shiv Ka Naam)
सुबह सुबह ले शिव का नाम,
कर ले बन्दे यह शुभ काम ।
सुबह सुबह ले शिव का नाम,
शिव आयेंगे तेरे काम ॥
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय...
सबसे सुन्दर भजन: डम डम डमरू बाजे
खुद को राख लपेटे फिरते,
औरों को देते धन धाम ।
देवो के हित विष पी डाला,
नीलकंठ को कोटि प्रणाम ॥
॥ सुबह सुबह ले शिव...॥
शिव के चरणों में मिलते है,
सारी तीरथ चारो धाम ।
करनी का सुख तेरे हाथों,
शिव के हाथों में परिणाम ॥
॥ सुबह सुबह ले शिव...॥
शिव के रहते कैसी चिंता,
साथ रहे प्रभु आठों याम ।
शिव को भजले सुख पायेगा,
मन को आएगा आराम ॥
॥ सुबह सुबह ले शिव...॥
मन को मोह लेने वाला भजन: जय शम्भु जय जय शम्भू
सुबह सुबह ले शिव का नाम,
कर ले बन्दे यह शुभ काम ।
सुबह सुबह ले शिव का नाम,
शिव आयेंगे तेरे काम ॥
हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ (Hey Shambhu Baba Mere Bhole Nath)
शिव नाम से है,
जगत में उजाला ।
हरी भक्तो के है,
मन में शिवाला ॥
हंसराज रघुवंशी का सबसे मनमोहक भजन: गौरी शंकर
हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ,
तीनो लोक में तू ही तू ।
श्रद्धा सुमन मेरा,
मन बेलपत्री,
जीवन भी अर्पण कर दूँ ॥
जग का स्वामी है तू,
अंतरयामी है तू,
मेरे जीवन की,
अनमिट कहानी है तू ।
तेरी शक्ति अपार,
तेरा पावन है द्वार,
तेरी पूजा ही,
मेरा जीवन आधार ।
धुल तेरे चरणों की ले कर,
जीवन को साकार किया ॥
॥ हे शम्भू बाबा...॥
मन में है कामना,
कुछ मैं और जानू ना,
ज़िन्दगी भर करू,
तेरी आराधना।
सुख की पहचान दे,
तू मुझे ज्ञान दे,
प्रेम सब से करूँ,
ऐसा वरदान दे ।
तुने दिया बल निर्बल को,
अज्ञानी को ज्ञान दिया ॥
॥ हे शम्भू बाबा...॥
भोले बाबा से प्रार्थना: आया हूँ भोले मैं तेरे द्वार
हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ,
तीनो लोक में तू ही तू।
श्रद्धा सुमन मेरा,
मन बेलपत्री,
जीवन भी अर्पण कर दूँ॥
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो (Chalo Shiv Shankar Ke Mandir Me Bhakto)
लिया नाम जिसने भी शिवजी का मन से,
उसे भोले शंकर ने अपना बनाया ।
खुले उस पे सब द्वार शिव की दया के,
जो श्रद्धा से भोले के मंदिर में आया ॥
हर हर हर महादेव की जय हो ।
शंकर शिव कैलाशपति की जय हो ॥
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो,
शिव जी के चरणों में सर को झुकाए ।
करें अपने तन मन को गंगा सा पावन..2
जपें नाम शिव का भजन इनके गाएं ॥
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो
हर हर हर महादेव की जय हो ।..4
यह संसार झूठी माया का बंधन,
शिवालयमें मार्ग है मुक्ति का भक्तो ।
महादेव का नाम लेने से हर दिन,
मिलेगा हमें दान शक्ति का भक्तो ।
मिट्टी में मिट्टी की काया मिलेगी..2
चलो आत्मा को तो कुंदन बनाएं ॥
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो॥
कहीं भी नहीं अंत उस की दया का,
करें वंदना उस दयालु पिता की ।
हमें भी मिले छावं उसकी कृपा की,
हमे भी मिले भीख उसकी दया की ।
लगाकर समाधि करें शिव का सिमरन..2
यूँ सोये हुए भाग्य अपने जगाएं ॥
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो ॥
करें सब का कल्याण, कल्याणकारी,
भरे सबके भण्डार त्रिनेत्र धारी ।
कोई उसको जग में कमी ना रहेगी,
बनेगा जो तनमन से शिव का पुजारी ।
करे नाम लेकर सफल अपना जीवन..2
यह अनमोल जीवन यूँही ना गवाए ॥
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो
शिव जी के चरणों में सर को झुकाए ।
करें अपने तन मन को गंगा सा पावन..2
जपें नाम शिव का भजन इनके गाएं ॥
हंसराज रघुवंशी का सबसे मनमोहक भजन : पार्वती बोली शंकर से
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो
हर हर हर महादेव की जय हो ।..4
ज्योतिर्लिंग का ध्यान करो (Jyotirling Ka Dhyaan Karo)
ॐ नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय
शिव शंकर का गुणगान करो,
शिव भक्ति का रसपान करो ।
जीवन ज्योतिर्मय हो जाए,
ज्योतिर्लिंगो का ध्यान करो ।।
शिव शंकर का गुणगान करो
ॐ नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय
उसने ही जगत बनाया है,
कण कण में वही समाया है ।
दुःख भी सुख सा ही बीतेगा,
सिर पर जब शिव का साया है ।
बोलो हर हर हर महादेव,
हर मुश्किल को आसान करो ।।
शिव शंकर का गुणगान करो
ॐ नमः शिवाय
शंकर तो हैं अन्तर्यामी,
भक्तो के लिए सखा से हैं ।
भगवान भाव के भूखे हैं,
भगवान प्रेम के प्यासे हैं ।
मन के मंदिर में इसीलिए
शिव मंदिर का निर्माण करो ।।
शिव शंकर का गुणगान करो
ॐ नमः शिवाय
शिव शंकर का गुणगान करो,
शिव भक्ति का रसपान करो ।
जीवन ज्योतिर्मय हो जाए,
ज्योतिर्लिंगो का ध्यान करो ।।
लक्खा जी का सुपरहिट भजन: शिव शंकर डमरू वाले
शिव शंकर का गुणगान करो
ॐ नमः शिवाय
चलो भोले बाबा के द्वारे (Chalo Bhole Baba Ke Dware)
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे,
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा,
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा,
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे,
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे ।
भोले जी का सबसे मनमोहक भजन: सज रहे भोले बाबा
चढ़ा एक शिकारी देखो,
बिल्व वृक्ष पर,
करने को वो शिकार,
शिव चौदस की पावन,
वह रात थी,
अनजाने में हुआ,
पहर पूजा संस्कार,
हुए बाबा प्रकट,
बोले मांगो वरदान,
बोले मांगो वरदान,
दर्शन कर शिकारी को,
हो आया वैराग्य ज्ञान,
हो आया वैराग्य ज्ञान ।
करबद्ध कर वो बोला,
हरी ओम, हरी ओम,
हरी ओम, हरी ओम,
हरी ओम, हरी ओम,
करबद्ध कर वो बोला,
दो मुझे भक्ति वरदान,
दो मुझे भक्ति वरदान,
बने बाबा उसके सहारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे,
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे ।
पापचार के कारण कष्ट सहे,
कन्या स्वामिनी ने,
भिक्षा मांगती वो पहुंची
गोपर्ण में,
मिला बिल्व पत्र उसे,
भिक्षा के रूप में,
बिल्व पत्र अनजाने में,
फेका शिवलिंग पे,
फेका शिवलिंग पे,
पुण्य शिवरात्रि व्रत का,
ऐसे पाया उसने,
ऐसे पाया उसने ।
महिमा से शिव की,
हरी ओम, हरी ओम,
हरी ओम, हरी ओम,
हरी ओम, हरी ओम,
महिमा से शिव की,
मोक्ष पाया उसने,
मोक्ष पाया उसने,
बने बाबा उसके सहारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे,
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे ।
सबसे सुन्दर भजन: डम डम डमरू बाजे
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे,
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा,
भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा,
चलो भोले बाबा के द्वारे,
सब दुःख कटेंगे तुम्हारे ।
महादेव शंकर हैं जग से निराले (Mahadev Shankar Hain Jag Se Nirale)
महादेव शंकर हैं जग से निराले,
बड़े सीधे साधे बड़े भोले भाले ।
मेरे मन के मदिर में रहते हैं शिव जी,
यह मेरे नयन हैं उन्हीं के शिवालय ॥
मन को मोह लेने वाला भजन: जय शम्भु जय जय शम्भू
बनालो उन्हें अपने जीवन की आशा,
सदा दूर तुमसे रहेगी निराशा ।
बिना मांगे वरदान तुमको मिलेगा,
समझते हैं वो तो हरेक मन की भाषा ॥
वो उनके हैं जो उनको अपना बनाले..॥
महादेव शंकर हैं जग से निराले,
बड़े सीधे साधे बड़े भोले भाले ॥
जिधर देखो शिव की है महिमा निराली,
ये दाता है और सारी दुनिया सवाली ।
जो इस द्वार पे अपना विशवास कर ले,
तो पल भर में भर जायेगी झोली खाली ॥
उनही के अँधेरे, उनही के उजाले..॥
हंसराज रघुवंशी का सबसे मनमोहक भजन: गौरी शंकर
महादेव शंकर हैं जग से निराले,
बड़े सीधे साधे बड़े भोले भाले ।
मेरे मन के मदिर में रहते हैं शिव जी,
यह मेरे नयन हैं उन्हीं के शिवालय ॥
शिव चालीसा (Shiv Chalisa)
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
भोले बाबा से प्रार्थना: आया हूँ भोले मैं तेरे द्वार
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
ॐ जय शिव ओंकारा (Om Jai Shiv Omkara)
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
हंसराज रघुवंशी का सबसे मनमोहक भजन : पार्वती बोली शंकर से
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
----- Addition ----
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा...॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
जुबिन नौटियाल का मधुर भजन : मेरे भोले नाथ
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
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