गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम
देखन को अखिया तरसे हो गयी सुबह से शाम
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम
वृन्दावन में राधा ढूंढे मिले ना श्याम मुरली वाला
मीरा हो गयी प्रेमदिवानी पी गयी देखो विष का प्याला
ऐसी लागी प्रीत मेरी मोहन के संग
भूले से ना भुला जाये ज्यादा आये याद
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम
मैं बंसुरिया बांस की रे में अधूरी श्याम बिन
कान्हा कान्हा हर्षुल गाये गाये मनवा हो मगन
जी करता बंसुरिया बन राहु कान्हा के संग
ऐसी लागी प्रीत की मेरा मनवा मोह गया श्याम
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम
नरसिंह जी रो मान बढ़ाओ नानी बाई रो भात भरायो
गुजरिया रो की चिर चुरायो द्रोपदी री रो चीयर बढ़ाओ
ऐसे ही आकर के अब आस बंधा जाओ तुम
बन पुरवैया हरदम मेहको बन साँसों की सास
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम
कर्मा के धरती से लिखाओ टाबरियो रो पर्दो लगाओ
रामदेव रो तगड़ो छायो कर्मभागात ने पर्चो दिखाओ
ऐसे ही हरदम बन रहना रंगो के रंग
टुटेना यु प्रीत की आस अब आ भी जाओ श्याम
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम
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