Current Date: 20 Dec, 2024

गोकुल की गलियों में

- Kaptan Meena


गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम 
देखन को अखिया तरसे हो गयी सुबह से  शाम 
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम 

वृन्दावन में राधा ढूंढे मिले ना श्याम मुरली वाला 
मीरा हो गयी प्रेमदिवानी पी गयी देखो विष का प्याला 
ऐसी लागी प्रीत मेरी मोहन के संग 
भूले से ना भुला जाये ज्यादा  आये याद 
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम 

मैं बंसुरिया बांस की रे में अधूरी श्याम बिन 
कान्हा कान्हा हर्षुल गाये गाये मनवा हो मगन 
जी करता बंसुरिया बन राहु कान्हा के संग 
ऐसी लागी प्रीत की मेरा मनवा मोह गया श्याम 
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम 

नरसिंह जी रो मान बढ़ाओ नानी बाई रो भात भरायो 
गुजरिया रो की चिर चुरायो  द्रोपदी री रो चीयर बढ़ाओ 
ऐसे ही आकर के अब आस बंधा जाओ तुम 
बन पुरवैया हरदम मेहको बन साँसों की सास 
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम 

कर्मा के धरती से लिखाओ टाबरियो रो पर्दो लगाओ 
रामदेव रो तगड़ो छायो कर्मभागात ने पर्चो दिखाओ 
ऐसे ही हरदम बन रहना रंगो के रंग 
टुटेना यु प्रीत की आस अब आ भी जाओ श्याम 
गोकुल की गलियों में राधा ढूंढे घनश्याम 
 

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