Current Date: 17 Nov, 2024

गरीब की भक्ति (Gareeb Ki Bhakti)

- The Lekh



एक गांव में एक गरीब आदमी रहता था उसका नाम देवांश था वो हमेशा भगवान की भक्ति करता था, वह अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए एक व्यापारी के यहां मजदूरी करता था, और जब भी उसे समय मिलता वह मंदिर में जा कर वहाँ के कामों में पंडित की मदद करता एक दिन पंडित जी ने उससे पूछा 
 
पंडित जी = देवांश बेटा तुम पूरे दिन मेहनत करते हो और उसके बाद भी यहाँ मंदिर के काम करने आ जाते हो तुम्हे ये बोझ नही लगता 
 
देवांश = जी पंडित जी इसमें बोझ वाली कौन सी बात है मैं तो अपने भगवान के प्रति अपनी भक्ति कर रहा हूँ।  
बस, और मुझे इसके अलावा कुछ नही पता 
 
देवांश के घर के पास एक धनवान आदमी का घर था, जो धन और सम्पत्ति के मोह में इतना खोया हुआ था कि वह भगवान के लिए कोई समय नहीं निकाल पाता था,,,, क्योंकि देवांश गरीब होते भी खुश था इसीलिए वह अमीर आदमी उससे ईर्ष्या करता था 
 
एक दिन, देवांश ने देखा कि धनवान आदमी ने एक बड़ी सुंदर मूर्ति अपने घर में स्थापित की
 
देवांश ने पूछा = यह मूर्ति बहुत सुंदर है यह कौन सा देवता है
 
अमीर आदमी ने उत्तर दिया 
अमीर आदमी =यह लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति है मैंने इसे अपने घर में स्थापित किया है ,,,मैने इसे दूसरे शहर से बहुत ही ऊंचे दामों में मंगवाई है  
 
देवांश ने उससे पूछा की क्या वह रोज यहां आ कर इनकी पूजा कर सकता है तो उस अमीर आदमी ने मना कर दिया उसने कहा 
 
अमीर आदमी = अगर तुम्हे पूजा करनी है तो अपनी मूर्ति खरीद लो मैं तुम्हे अपनी मूर्ति की पूजा नही करने दूंगा 
देवांश निराश हो कर वहां से चला जाता है 
 
वह सोचता है की वो भी एक ऐसी ही भव्य लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति अपने घर में लायेगा परंतु उसके पास पर्याप्त धन नही होता है 
धन इकठ्ठा करने के लिए जहां वो काम करता था वहां पर अधिक काम करने लगा ताकि उसे अधिक पैसे मिले 
वो बहुत दिन तक ऐसा ही करता रहा परंतु फिर भी अभी बहुत धन चाहिए था,,,,,, तो उसके पास एक पुश्तैनी जमीन थी,,,,उसने मूर्ति लाने के लिए उसे भी बेच दी,,,,,,ताकि उसके पास मूर्ति के लिए पर्याप्त धन इकट्ठा हो जाए 

वह मूर्ति बनाने वाले के पास जाता है और कहता है 
 
देवांश मूर्तिकार से=देखो मेरे लक्ष्मी-नारायण जी की मूर्ति में कोई कमी नही रहनी चाहिए ,,,वह ऐसा होने चाहिए की लोग उसे देख कर मोहित हो जाए 
 
मूर्ति बनाने वाला = अरे आप चिंता मत कीजिए ऐसी मूर्ति बनाऊंगा की लोगो की नजरे नही हटेंगी उससे
वह एक बहुत की आकर्षक और मन मोहक मूर्ति बनाता है और देवांश को दे देता है ,,,,,,,,
 
देवांश उस मूर्ति को अपने घर में स्थापित न करके अपने घर के बाहर स्थापित करता है ताकि बाकी लोग भी उसकी पूजा कर सके
अमीर आदमी,यह देखकर की देवांश उसकी मूर्ति से भी बढ़िया मूर्ति लाया है उससे बहुत ज्यादा चिढ़ने लगा और उसने अपने मन में सोचा की 
 
अमीर आदमी सोचते हुए= देखो तो कितना ढोंग कर रहा है,,,,इसको सबक सिखाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा,,,,,एक काम करता हु अपनी मूर्ति चोरी करवा के इसका नाम लगा देता हु फिर इसे समझ आयेगा मुझसे 
पंगा लेने का अंजाम 
 
 
वह अगले दिन ऐसा ही करता है रात मैं अपनी मूर्ति को कही पर छुपा देता है और उसके सारे आभूषण कुंडल,,बाजूबंद,,माला,,,मुकुट,,,कानो की बालियां,, ये सब चीजे वह देवांश की मूर्ति को पहना देता है और सुबह होने का इंतजार करने लगता है 
 
सुबह होते ही वह ऐसे नाटक करता है कि उसकी मूर्ति चोरी हो गई है और वह गांव के मुखिया को बुलाता है 
 
मुखिया कहता है= क्या हुआ इतना हल्ला क्यों मचा रखा है 
 
अमीर आदमी = देखिए ना मुखिया जी मेरी लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति चोरी हो गई है उसे ढूंढने में मेरी मदद कीजिए 
मुखिया = अच्छा तुम्हे किसी पर शक है क्या 
 
अमीर आदमी= शक नही मुखिया जी मुझे पूरा यकीन है की मेरी मूर्ति देवांश ने चुराई होगी 
मुखिया चौकते हुए कहता है

मुखिया = देवांश वह तो बहुत नेक है वो तुम्हारी मूर्ति क्यों चुराएगा और उसने तो अपनी एक अलग मूर्ति भी ले ली है वह ऐसा नही कर सकता
 
अमीर आदमी  = मेरी मूर्ति उसकी मूर्ति से अच्छी थी इसीलिए वह मुझसे जलता था और इसीलिए उसने मेरी मूर्ति चुराई होगी 
 
वह आगे कहता है 
अमीर आदमी= आप उसकी मूर्ति जा कर देखिए उसने मेरी मूर्ति के आभूषण अपनी मूर्ति को पहनाए हुए है यही प्रमाण है कि उसने ही मेरी मूर्ति चुराई है 
फिर देवांश को बुलाया जाता है और उसे पुलिस के हवाले कर दिया जाता है
 
देवांश लक्ष्मी-नारायण जी से प्रार्थना करता है और कहता है 
 
देवांश = भगवान मैने तो कभी किसी का बुरा नही चाहा फिर मुझे किस पाप की सजा मिल रही है मेरी सहायता कीजिए प्रभु 
 
देवांश की सारी बात लक्ष्मी-नारायण जी सुन रहे होते है और वह अमीर आदमी के पास एक आदमी के रूप में जाते है और उससे कहते है 
आदमी के रूप में लक्ष्मी-नारायण = देखो मुझे सब पता है कि कैसे तुमने देवांश को झूठे चोरी के इल्जाम में फसाया है,,,,,,जल्दी से पुलिस स्टेशन जाओ और अपनी गलती को मानो
 
अमीर आदमी जवाब देता है = अब तू है कौन मुझे मत सिखा कि मुझे  क्या करना है भाग जा यहां से वरना अभी अपने आदमियों को बुला कर तुझे पिटवा दूंगा 
 
वह अपना हाथ उठाते है और अमीर आदमी को हवा में लटका देते है और अपने असली रूप में आ जाते है 
वह आदमी उनसे माफी मांगता है और कहता है
 
अमीर आदमी = मुझे माफ कर दीजिए मुझ से गलती हो गई,,,,, मैं आगे से ऐसा कुछ नही करूंगा कभी किसी को नही फसाऊंगा अपनी गलती मान लूंगा 
 
भगवान उसे नीचे उतार देते है और वो सीधा पुलिस स्टेशन जा कर अपनी गलती मान लेता है और पुलिस देवांश को रिहा कर देती है 
जब देवांश अपने घर आता है तो भगवान लक्ष्मी-नारायण उसे दर्शन देते है देवांश उनके आगे हाथ जोड़ खड़ा हो जाता हैं और कहता है 
 
देवांश = मेरे भाग्य खुल गए जो आपने मुझे दर्शन दिए प्रभु 
 
लक्ष्मी-नारायण कहते है = तुम मेरे परम भक्त हो देवांश मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत खुश हूं इसीलिए मैंने तुम्हारी मदद की है तुम हमेशा ऐसे ही मेरी भक्ति करते रहो और कभी किसी का बुरा मत करना मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा 
फिर वो अंतरध्यान हो जाते है

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