M:- गंगा सागर में जाकर , बंदे तू डुबकी लगा ले
मकर संक्रांति यूँ मनाके ,बंदे थोडा सा पुण्य कमाले
गंगा सागर में जाकर , बंदे तू डुबकी लगा ले
मकर संक्रांति यूँ मनाके ,बंदे थोडा सा पुण्य कमाले
गौमुख से गंगा चलके, आयी यहाँ पर
कहलाता पावन संगम, ये गंगा सागर
कोरस :- कहलाता पावन संगम, ये गंगा सागर
M:- लाखों श्रद्धालु आकर डुबकी लगाते-2.
करके स्नान शुद्ध, तन मन कर जाते
दान धरम तू करके ,किस्मत को अपनी जगाले
मकर संक्रांति यूँ मनाके ,थोडा सा पुण्य कमाले
M:- मकर संक्रांति पर्व लोग मनाए
कोरस :- मकर संक्रांति पर्व लोग मनाए
M:- आज के दिन खिचड़ी तिल गुड़ खाए
कोरस :- आज के दिन खिचड़ी तिल गुड़ खाए
M:- कहीं मिठाई दही चूड़ा भी खाए-2
अपने तरीके से सब रीत निभाए
छोड़कर चिंता फ़िकर, तू भी त्योहार मना ले
मकर संक्रांति यूँ मनाके ,थोडा सा पुण्य कमाले
M:- रखना कभी न माता, गंगा से दूरी
कोरस :- रखना कभी न माता, गंगा से दूरी
M:- कामना मन की तेरी, हो जाए पूरी
कोरस :- कामना मन की तेरी, हो जाए पूरी
M:- उठकर के प्रातः जो भी गंगा नहाए -२
रहे न कोई उसकी इच्छा अधूरी
भरके अंजुली में जल सूरज को अर्घ्य चढ़ा दे
मकर संक्रांति यूँ मनाके ,थोडा सा पुण्य कमाले
दान धरम तू करके ,किस्मत को अपनी जगाले
मकर संक्रांति यूँ मनाके ,थोडा सा पुण्य कमाले
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