कोरस :- हो ओ ओ हो ओ ओ हो ओ ओ हो ओ ओ ...........
M:- है युगो युगो से बहती गंगा मैया धरती पर
पापो को सबके हरती जो आते तेरे तट पर
गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
कोरस :- गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
M:- तू जग की पालने वाली स्वर्ग लोक से आयी
ब्रम्ह कमंडल से निकली शिव की जटा में समायी
तू जग की पालने वाली स्वर्ग लोक से आयी
ब्रम्ह कमंडल से निकली शिव की जटा में समायी
भगीरथ ने तप करा
कोरस :- ओ हो
M:- उसके कुलो को तारा
कोरस :- ओ हो
M:- तबसे बहती धरती पर
कोरस :- ओ हो
M:- ये निर्मल जल की धारा
गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
कोरस :- गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
हो ओ ओ हो ओ ओ हो ओ ओ हो ओ ओ ........................
M:- श्रद्धा भाव से जो भी तेरे जल में डुबकी लगाता
मन पावन हो जाता पापो से मुक्ति पाता
श्रद्धा भाव से जो भी तेरे जल में डुबकी लगाता
मन पावन हो जाता पापो से मुक्ति पाता
तू मोक्ष दायिनी मइया
कोरस :- ओ हो
M:- भक्तो की बने खिवैया
कोरस :- ओ हो
M:- जन्मो की प्यास बुझाता
कोरस :- ओ हो
M:- गंगाजल तेरा मइया
गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
कोरस :- गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
M:- तेरे पावन जल की धारा है मन के भेद मिटाती
भेद करे ना उच नीच का सबके काम है आती
तेरे पावन जल की धारा है मन के भेद मिटाती
भेद करे ना उच नीच का सबके काम है आती
तू जात पात को मिटाती
कोरस :- ओ हो
M:- ह्रदय से अपने लगाती
कोरस :- ओ हो
M:- माया ममता की करती
कोरस :- ओ हो
M:- खुशियों से दामन भरती
गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
कोरस :- गंगा माँ तू जग की तारिणी है कष्टों की निवारिणी है
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