Current Date: 22 Nov, 2024

गंगा माँ तरन तारणी

- Traditional


F:-        जय गंगा माँ तरन तारणी 
शिव शंकर के जटा विहारानी 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो उज्जवल धवल है कंचन धारा 
निश्छल शीतल रूप तुम्हारा 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो ब्रह्म कमंडल से तुम आयी 
शिव शंकर की जटा समायी 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो  भागीरथी जी के पुरखे तारे 
पहुंच गए वो स्वर्ग के द्वारे 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो गोमुख से धारा बनकर के 
बलखाती तुम चली सवर के 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो तीव्र वेग और रूप विशाल 
कोई नहीं रोकने वाला 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो सदियों से जग तार रही हो 
कर सब पर उपकार रही हो 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो ऋषि मुनि और असुर  जन तारे 
आया जो  भी द्वार तुम्हारे 
कोरस:    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो सतयुग त्रेता द्वापर तारा 
कलयुग को वरदान तुम्हारा 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो  गंगा तेरा अमृत पानी 
उसमे नहाये सुर मुनि ज्ञानी
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो अनुपम पावन रूप तुम्हारा 
तुम धरती की जीवन धारा 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

F:-        हो  धरती ने हरियाली पायी 
दुनिया ने खुशहाली पायी 
कोरस:-    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 
F:-        हो गोमुख से सागर तक आ कर 
शांत हुयी सागर में समा कर 
कोरस:    माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ 

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