F:- जय गंगा माँ तरन तारणी
शिव शंकर के जटा विहारानी
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो उज्जवल धवल है कंचन धारा
निश्छल शीतल रूप तुम्हारा
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो ब्रह्म कमंडल से तुम आयी
शिव शंकर की जटा समायी
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो भागीरथी जी के पुरखे तारे
पहुंच गए वो स्वर्ग के द्वारे
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो गोमुख से धारा बनकर के
बलखाती तुम चली सवर के
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो तीव्र वेग और रूप विशाल
कोई नहीं रोकने वाला
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो सदियों से जग तार रही हो
कर सब पर उपकार रही हो
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो ऋषि मुनि और असुर जन तारे
आया जो भी द्वार तुम्हारे
कोरस: माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो सतयुग त्रेता द्वापर तारा
कलयुग को वरदान तुम्हारा
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो गंगा तेरा अमृत पानी
उसमे नहाये सुर मुनि ज्ञानी
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो अनुपम पावन रूप तुम्हारा
तुम धरती की जीवन धारा
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो धरती ने हरियाली पायी
दुनिया ने खुशहाली पायी
कोरस:- माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
F:- हो गोमुख से सागर तक आ कर
शांत हुयी सागर में समा कर
कोरस: माँ जय जय माँ बोले जय जय गंगे माँ
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