गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस बार 31 अगस्त 2022 को गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सुख-समृद्धि के देवता भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणपति महाराज को शुभता, बुद्धि, सुख और समृद्धि का देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जहां भगवान गणेश स्वयं निवास करते हैं, वहीं रिद्धि-सिद्धि, शुभ और लाभ का भी वास होता है। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि उनकी पूजा से शुरू किए गए किसी भी काम में कोई बाधा नहीं आती है, इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है।
गणेश जी को सिंदूर क्यों पसंद है? (Why does Ganesha like vermilion)
गणेश पुराण की कथा के अनुसार, जब गणेश अपने बाल अवस्था (बचपन) में थे, तब उन्होंने सिंदूर नामक राक्षस का वध किया था। इसके बाद गणेश जी ने राक्षस का रक्त अपने शरीर पर लगाया। ऐसा माना जाता है कि इसी वजह से गणपति महाराज को लाल सिंदूर बहुत प्रिय होता है। गणेश जी को स्नान के बाद लाल सिंदूर चढ़ाने से गणेश जी की कृपा मिलती है। घर में सुख-समृद्धि आती है। गणेश जी की कृपा से आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
गणपति को सिंदूर चढ़ाने के फायदे (Benefits of offering vermilion to Ganpati)
सिंदूर चढ़ाने से व्यक्ति को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। सिंदूर चढ़ाने से शीघ्र विवाह की मनोकामना पूरी होती है। जिन दंपत्तियों को संतान नहीं होती है, उन्हें बुद्धिमान और स्वस्थ संतान होने का वरदान मिलता है। महत्वपूर्ण कार्यों पर घर से निकलने से पहले गणेश जी को सिंदूर चढ़ाने से शुभ समाचार मिलता है। नौकरी के लिए इंटरव्यू और परीक्षा के लिए जाते समय भी भगवान गणेश को सिंदूर चढ़ाना शुभ माना जाता है।
गणेश जी को सिंदूर कैसे चढ़ाएं? (How to offer vermilion to Ganesh ji)
सबसे पहले स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद उत्तर या ईशान कोण की ओर मुख करके गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी की मूर्ति या चित्र पर जल छिड़कें। बत्ती से गाय के घी का दीपक जलाएं। लाल फूल या दूर्वा (घास) चढ़ाएं। सुगंधित फूलों की हल्की अगरबत्ती जलाएं। फिर निम्नलिखित मंत्र का जाप करके भगवान गणेश के माथे पर सिंदूर लगाएं। फिर इसे अपने और उपस्थित लोगों के माथे पर लगाएं। मोदक या मौसमी फल चढ़ाएं। इस प्रकार पूजा पूर्ण करें।
गणेश मंत्र (Ganesh Mantra)
सिंदूरम शोभनं रक्तम सौभाग्यम सुखवर्धनम।
शुभम कामदं चैव सिंदूरम प्रतिघ्यतम…
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