गणेश अमृतवाणी
M:- गौरी पुत्र गणेश का सुखदायक है नाम, शिव के दुलारे आपको बारंबार प्रणाम, सिद्धिविनायक सिद्ध करें भक्तों के सब काज, आप गणों के धीश हैं भक्तों के सरताज,
अष्टविनायक की भक्ति करें कष्टों का अंत, नाम आपका ले रहे सब साधु और संत, भक्तन के हित खोलते गणपति दया के द्वार, गणा भक्ष को ध्याइए हो जाए उद्धार,
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- माथे मुकुट है स्वर्ण का तिलक लगा है भाए, पीतांबर परिधान है गल मुक्तन की माल, गज का मुख है आपका आपका एक है दंत, प्रथम पूजनीय आप हैं आप ही है भगवंत, श्री गणेश जी आपका लंबोदर है नाम, देवी देवता कर रहे चरणों में प्रणाम, शिव गोरा है माता पिता कार्तिक आपके भाई, नंदी भींगी और शिवगढ़ रहते आपके साथ,
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- बुद्धिमता की आपकी कोई नहीं है तोड़, देवी देवता भी प्रभु हाथ रहे हैं जोड़, रिद्धि सिद्धि हैं पत्नियां पुत्र है शुभ और लाभ, और देवी संतोषी के प्रभु पिता हैं आप, सुबह-शाम कैलाश पे आरती आप की होय, रिद्धि सिद्धि आपको हाथों चवर ढूंरोए, नंदी भींगी कंचन की आरती थाल सजाए, मां गौरा अपने हाथों मोदक भोग लगाएं,
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी जन्म लिए थे आप, अवतरित हो भक्तों के हरे थे सब संताप, अद्भुत जन्म की आपके कथा बड़ी है महान, मुक्ति फल प्रदान करें जानत सकल जहान, एक दिवस मां पार्वती स्नान करण को जाए, इस्नानगरी के द्वार पर पहरेदार नहीं पाय, उबटन को फिर गोरा ने दीया मानव आकार, प्राण फूंक कर बालक को बिठा दिया था द्वार
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- कोई भीतर आए ना दीया आदेश सुनाए, पहरे पर बैठा बालक मां आदेश को पाए, शिव शंकर फिर गौरा से मिलने को थे आए, इस्नानगरी के द्वार पे बालक बैठा पाए, पूछने पर बालक बोला मैं गौरा का लाल, भीतर जो भी जाएगा बनूंगा उसका काल, बातें सुनकर बालक की शिवजी क्रोध में आए, मार त्रिशूल प्रहार से उसका शीश उड़ाए
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- हलाहल गौरा सुनी महल से बाहर आए, मृत बालक को पाया तो बहुत ही रुदन मचाए, शिव शंकर फिर विष्णु को जल्दी से भिजवाए, गज का शीश विष्णु जी काट के ले कर आए, शिव शंकर ने बालक को गज का शीश लगाए, प्राण मंत्र फिर भूप के उसके प्राण लौटाए, गजमुख वाले बालक की सब ने करी जय कार, शिव गौरा के पुत्र पे लुटा रहे सब प्यार
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- ब्रह्मा ब्रह्माणी देखो दर्शन को है आए, वेदों के सब ज्ञान को बालक को थमाए, श्री विष्णु संग लक्ष्मी जी है कैलाश पे आए, धन धान की वर्षा की बालक पर बरसाए, अग्नि वायु और मेघ ने शक्तियां की प्रदान, सारे मिलकर कर रहे बालक का गुणगान, शिव शंकर आशीष दिए तुम गणों के पीर, आज से यह संसार तुम्हें कहेगा श्री गणेश
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- भाद्रपद शुक्ल पक्ष की थी वो पावन रात ,भार धरा का हरने को प्रकट हुए थे आए, शिव शंकर ने आपको प्रथम पूज्य बनवाए, सबसे पहले आप ही देवा पूजे जाए, तब से यही विधान है पहले आपका नाम, आपके नाम से हो शुरू भक्तों के शुभ काम, हो रही कैलाश पे आप की जय जय कार, नंदी भींगी आपको नमन करे सौ बार
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- हर बरस आ जाते हो मुंसे पर अस्वार, गणपति बप्पा मोरिया होती जय जय कार, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी आपको घर में लाए, प्रेम से बप्पा आपको मंदिर में बिठलाए, सांझ सुबह करे आरती घंटा शंख बजाए, अपने हाथों हे प्रभु मोदक भोग लगाएं, आपके आवाहन से मिलते शुभ और लाभ, प्राणियों के कट जाते पाप ताप संताप
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
M:- बल बुद्धि विद्या का करें भक्तों को तुम दान, रिद्धि सिद्धि वर्षा करें ले जो आपका नाम, हर वर्ष की भांति प्रभु घर में आना आप, रिद्धि सिद्धि को साथ में लेकर आना आप, नित्य नियम से चालीसा आरती तुम्हरी गाए, गणपति बप्पा मोरिया जय जय कार लगाएं, आनंद चतुर्दशी आपका बप्पा हो प्रस्थान, अगले बरस जल्दी आना चंदन का आभान
कोरस:- जय जय श्री गणेश हरते सकल क्लेश -2
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