गैया पुकारे है,
कानुड़ा तेरी गैया पुकारे हैं,
ये सांसे ओ मेरे गिरधर,
अब हाथ तुम्हारे है।।
तर्ज – हुस्न पहाड़ों का।
बहुत सहा अब आके संभालो,
विपदाओं से नाथ बचा लो,
दुःख के भंवर से आज निकालो,
दुःख के भंवर से आज निकालो,
झूठे सहारे है जहाँ के सारे,
झूठे सहारे है,
ये सांसे ओ मेरे गिरधर,
अब हाथ तुम्हारे है।।
टूट चुकी हूँ दुखड़े मैं सह के,
तड़प रही हूँ मैं रह रह के,
आजा पुकारे आंसू बह बह के,
अपने ही मारे है मुझे तो मेरे,
अपने ही मारे है,
ये सांसे ओ मेरे गिरधर,
अब हाथ तुम्हारे है।।
देर करो ना जल्दी आओ,
गव्वों के पालक बन जाओ,
‘हर्ष’ तुम्ही गोपाल कहाओ,
‘हर्ष’ तुम्ही गोपाल कहाओ,
हाथ पसारे है तुम्हारे आगे,
हाथ पसारे है,
ये सांसे ओ मेरे गिरधर,
अब हाथ तुम्हारे है।।
गैया पुकारे है,
कानुड़ा तेरी गैया पुकारे हैं,
ये सांसे ओ मेरे गिरधर,
अब हाथ तुम्हारे है।।
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