Current Date: 19 Nov, 2024

एक आस है तुम्हारी

- सूरज शर्मा


एक आस है तुम्हारी,
विश्वास है तुम्हारा,
आता हूँ तेरे दर पे,
सूझे ना दूजा द्वारा,
एक आस है तुम्हारी।।

तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से।

हारे का साथ देते,
डंका ये बज रहा है,
चौखट पे तेरी बाबा,
ताँता सा लग रहा है,
होती सुनाई सबकी,
आए जो गम का मारा,
आता हूं तेरे दर पे,
सूझे ना दूजा द्वारा,
एक आस है तुम्हारी।।

जब भी पड़ी जरुरत,
तुम दौड़ करके आए,
कारज सभी सँवारे,
संकट मेरे भगाए,
संकट की हर घड़ी में,
मैंने तुम्हे पुकारा,
आता हूं तेरे दर पे,
सूझे ना दूजा द्वारा,
एक आस है तुम्हारी।।

मन की व्यथाएं सारी,
तुम दूर कर रहे हो,
खुशियों से मेरा दामन,
भरपूर कर रहे हो,
कभी मैं उदास होऊं,
तुमको नहीं गवारा,
आता हूं तेरे दर पे,
सूझे ना दूजा द्वारा,
एक आस है तुम्हारी।।

तुझको मेरा नमन,
श्रध्दा बहुत है मन में,
हे नाथ तेरा झंडा,
फहरा रहा गगन में,
‘बिन्नू’ का दिल ये कहता,
है श्याम कितना प्यारा,
आता हूं तेरे दर पे,
सूझे ना दूजा द्वारा,
एक आस है तुम्हारी।।

एक आस है तुम्हारी,
विश्वास है तुम्हारा,
आता हूँ तेरे दर पे,
सूझे ना दूजा द्वारा,
एक आस है तुम्हारी।।

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