Current Date: 17 Nov, 2024

Durga Visarjan 2023: दुर्गा विसर्जन कब है? इस वर्ष दशहरा पर विदा नहीं होंगी मातारानी, जानें तिथि, समय और वाहन |

- Bhajan Sangrah


Durga Visarjan 2023: शारदीय नवरात्रि में जो लोग अपने घर पर या पंडाल में मां दुर्गा की मूर्तियां रखते हैं, वे महानवमी के अगले दिन दशहरा पर दुर्गा विसर्जन करते हैं, जबकि घरों में दुर्गा विसर्जन महानवमी को होता है. मां दुर्गा को खुशी-खुशी विदा करते हैं ताकि वे फिर अगले साल पधारें और जीवन में खुशहाली आए.
हालांकि इस साल दुर्गा विसर्जन दशहरा के दिन नहीं होगा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट का कहना है कि इस वर्ष दशहरा 24 अक्टूबर मंगलवार के दिन पड़ रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगलवार के दिन बेटी को विदा नहीं करते हैं, ऐसे में मां दुर्गा की विदाई मंगलवार को कैसे कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि इस वर्ष दुर्गा विसर्जन कब है? दुर्गा विसर्जन का समय क्या है? मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर विदा होंगी?

 

कब है दुर्गा विसर्जन 2023?

इस साल दुर्गा विसर्जन महानवमी के दिन करना उचित है. इस बार महानवमी 23 अक्टूबर दिन सोमवार को है. ऐसे में दुर्गा विसर्जन भी 23 अक्टूबर को करें. 24 को मंगलवार होने के कारण दुर्गा विसर्जन दशहरा पर नहीं करें. दुर्गा विसर्जन अक्षत् और मंत्र से होगा, लेकिन ध्यान रखें कि घरों में कलश और पंडाल में दुर्गा मूर्ति को स्थान से हटाया नहीं जाएगा. दशहरा को कलश और दुर्गा मूर्ति अपने स्थान पर रहेंगे. 25 अक्टूबर

 

बुधवार को सूर्योदय बाद से दुर्गा मूर्ति और कलश को स्थान से हटाएं. दुर्गा मूर्ति को नदी, तालाब, पोखर आदि में विसर्जित कर दें.

 

महानवमी की तिथि कब से कब है?

पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि की शुरूआत 22 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर होगा और यह तिथि 23 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. उदया ति​थि की मान्यता के आधार पर महानवमी 23 अक्टूबर को है.

 

रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग में दुर्गा विसर्जन

महानवमी के दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात:काल में 06:27 बजे से शुरू हो जाएगा और शाम 05:14 बजे तक रहेगा, जब​कि रवि योग पूरे ​ही दिन है. ऐस में दुर्गा विसर्जन रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा.

 

दुर्गा विसर्जन का समय 2023

महानवमी के दिन आप मां सिद्धिदात्री की पूजा और नवरात्रि का हवन करें. यदि 9 दिन का व्रत हैं तो पूजा के बाद पारण करें. फिर दोपहर में 2 बजे से लेकर दोपहर 03:30 बजे के मध्य कभी भी अक्षत् और मंत्र से दुर्गा विजर्सन करें. फिर 25 अक्टूबर को घरों में स्थापित नवरात्रि कलश को स्थान से हटा दें. विधि विधान से मां दुर्गा को विदा करें. उनकी मूर्तियों का विसर्जन करें.

 

दशहरे के दिन कब किसकी करें पूजा

हिंदू मान्यता के अनुसार दशहरे के दिन देवी दुर्गा की मूर्ति एवं पूजा के कलश का विसर्जन दशमी तिथि लगने के बाद प्रात:काल अथवा अपराह्न में किया जाता है. इस साल यह शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2023 को सुबह 06:27 से 08:42 बजे के बीच रहेगा.

 

हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी साधना को पूर्ण करने के बाद सबसे पहले देवी की मूर्ति का जलतीर्थ में जाकर विसर्जन करना चाहिए. इसके बाद ही नवरात्रि के व्रत का पारण और उसके बाद भगवान श्रीराम अथवा अन्य किसी देवी-देवता की पूजा प्रारंभ करना चाहिए.

 

दशहरे के दिन देवी दुर्गा की मूर्ति को विसर्जन से पहले दुर्गा पंडाल में या फिर घरों में महिलाएं सिंदूर खेला के उत्सव को मनाती हैं. इस परंपरा के दौरान महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अपनी मंगलकामनाएं देती हैं.

 

दशहरे के दिन भगवान श्री राम की विजय का उत्सव और उनकी विशेष पूजा करने का विधान है. इस साल भगवान राम की पूजा 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 01:58 से 02:43 बजे के बीच करना उचित रहेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार दशहरे के दिन राम दरबार की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.

 

दशहरे को ज्योतिष में अबूझ मुहूर्त माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार दशहरे के दिन भूमि-भवन, वाहन आदि तमाम चीजों की खरीददारी को बहुत शुभ माना गया है. इसी प्रकार दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने पर भी शुभ फलों की प्राप्ति मानी गई है.

 

ऐसे करें मां दुर्गा को विदाई (Durga Visarjan Vidhi)

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जैसे हम माता की स्थापना करते हैं वैसे ही हर्षोल्लास के साथ उन्हें विदा भी करना चाहिए. मां की विदाई से पहले माता रानी की विधि वत पूजा करें और फिर नदी किनारे देवी के समक्ष अपनी गलती की माफी मांगे 'गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि, पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च' ये मंत्र बोलते हुए प्रतिमा को धीरे-धीरे नदी में प्रवाहित कर दें. इसके अलावा घटस्थापना में बोए जवारे दुर्गा विसर्जन के दिन परिवार में बांटने चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नौ दिन तक नौ दिन तक इन जवारों में शक्ति व्याप्त होती है इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि का वास होता है.a

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