शंकर चौरा रे,
महामाई कर रही सोल्हा रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे ।।
माथे उनके बिंदिया सोहे,
टिलकी की बलिहारी राम ।
मांग में सिंधुर लगा रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे ।।
कान में उनके कुण्डल सोहे,
नथुनी की बलिहारी राम ।
गले में हरवा पहन रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे ।।
हाथो उनके कंगना सोहे,
चूड़ी की बलहारी राम ।
हाथ में मुंदरी पहन रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे ।।
कमर उनके गरदन सोहे,
झूलो की बलिहारी राम ।
कमर में कुछ न पहन रही रे,
शृंगार माई कर रही सोल्हा रे ।।
पाओ में उनके पायल सोहे,
विछियां की बलिहारी राम ।
पाओ में महावर लगा रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे ।।
अंग में उनके चोला सोहे,
गगरा के बलिहारी राम ।
चुनरी ओड रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोल्हा रे ।।
Credit Details :
Song: Shankar Chaura Re Mahamai Kar Rahi
Singer: Shahnaz Akhtar
Album: Maiya Panv Paijaniya
Lyricist: Ajaz Khan
Music Director: Ajaz Khan
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